( जसवीर सिंह हंस ) छात्र कानून की वृहद् जानकारी के लिए पाठ्यक्रम की पुस्तकों पर ही निर्भर न रहें। वह विधि विद्यार्थी अदालतों में अधिवक्ताओं व न्यायधीशों के मध्य होने वाली कानूनी प्रक्रिया की व्यवहारिक जानकारी भी अवश्य प्राप्त करें। यह बात सर्वोच्च न्यायालय के माननीय न्यायधीश न्यायमूर्ति श्री अर्जन कुमार सिकरी ने आज हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय शिमला में ‘शिमला लाॅ रिव्यू’ पत्रिका के विमोचन के उपरांत आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित छात्रों को सम्बोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि इस पत्रिका में देश के विभिन्न विधि विश्वविद्यालयों के प्राध्यापकों के आलेख छात्रों के लिए अत्यंत ज्ञानवर्धक व उपयोगी सिद्ध होगें। उन्हांेने अपने जीवन व सेवाकाल के अनुभवों को छात्रों के साथ सांझा भी किया। उन्होंने कहा कि प्राध्यापकों के आलेखों में व्यक्त नवीन वैधानिक विचारों व दर्शनों के आधार पर ही कानून व संविधान में विकासात्मक बदलाव व संशोधन सम्भव हुआ है। शिमला लाॅ रिवयू भी इस तरह के आलेखों का माध्यम है जो भविष्य में मील का पत्थर साबित होगा।
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश एवं हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय शिमला के कुलपति न्यायधीश न्यायमूर्ति श्री संजय करोल ने कहा कि इस विश्वविद्यालय की गणना देश के प्रख्यात विधि विश्वविद्यालयों में नोैवें स्थान पर आंकी गई हैं, जिसका श्रेय पूर्व कुलपति प्रोफेसर एस.सी.रैना को जाता है। उन्हांेने श्री रैना के उत्कृष्ट योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि उक्त पत्रिका के आगामी संस्करणों में न्यायाधीशों के आलेखों के साथ-साथ छात्रों के लेख भी प्रकाशित किए जाएंगें।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के छात्र अपनी पाठ्यक्रम या अन्य तरह की समस्या के हल के लिए मेल व वाॅट्सएप के माध्यम से भी उनसे सम्पर्क कर सकते हंै। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायधीश न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर, न्यायधीश न्यायमूर्ति चन्द्रभूषण बारोवालिया, पूर्व कुलपति प्रो0 सुभाष चन्द्र रैना, रजिस्ट्रार प्रो0 सुरेन्द्र सिंह जस्वाल, सहायक प्रोफेसर चंचल कुमार सिंह, उपमंडलाधिकारी शिमला ग्रामीण श्री अनिल शर्मा, हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, अधिकारी, प्रताप चैहान व छात्र उपस्थित थे।