पढ़े कैसे दो साल पहले ही जिसे मान चुके थे मृत उस विकलांग मनोरोगी युवक से गरीब माता-पिता ने कैसे की बात

( जसवीर सिंह हंस ) हिमाचल प्रदेश में अमानवीय हालात में बेसहारा भटक रहे मध्यप्रदेश के एक विकलांग मनोरोगी युवक को अब नई जिंदगी मिलने की उम्मीद बंध गई है। उमंग फाउंडेशन के नीता राम भारद्वाज और सुरेंदर कुमार के प्रयासों से न सिर्फ उसे बचाया जा सका, बल्कि पुलिस की मदद से उसे राज्य मानसिक स्वास्थ्य अस्पताल में मनोचिकित्सा के लिए भर्ती कराया गया है।

मध्यप्रदेश के जिला सीधी में युवक के अत्यंत गरीब माता-पिता से भी फोन पर सम्पर्क कर लिया गया है। दो साल से गुम बेटे को वे मृत मान चुके थे । अब उसके स्वस्थ होने पर उमंग फाउंडेशन उसे घर तक पहुँचाने का प्रबंध करेगा। अपने अनूठे अभियान के तहत आम लोगों व पुलिस के सहयोग से उमंग फाउंडेशन पिछले सवा साल में सड़कों पर बेसहारा घूमने वाले 60 से अधिक मनोरोगियों को मनोचिकित्सा के लिए अस्पतालों में भर्ती करा चुका है। उनमें से कई ठीक होकर अपने घर लौट चुके हैं।

You may also likePosts

उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने बताया कि मनोरगी युवक राजेश उर्फ अर्जुन केवट (22) का एक हाथ नहीं है। वह बेहद दयनीय हालत में सिरमौर ज़िले की कमरऊ तहसील के गांव भजौंण में युवा शिक्षक नीता राम भारद्वाज को एक रेन शेल्टर में मिला था। भारद्वाज ने उसे खाना कपड़ा दिया और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल कानून, 2017 के अंतर्गत उसे इलाज के लिए संरक्षण में लिए जाने के लिए पुलिस से संपर्क किया। पांवटा पुलिस के साफ मना करने पर उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष ने दबाव बनाया और तब राजेश उर्फ अर्जुन केवट को संरक्षण में लिया गया। मनोरगी युवक ठीक से अपना पता नहीं बात पा रहा था।

उमंग फाउंडेशन के ट्रस्टी सुरेंदर कुमार ने उससे मिले संकेतों के आधार पर मध्यप्रदेश पुलिस और फिर ज़िला सीधी के गाँव कोलगढ़ के सरपंच रमाशंकर गुप्ता से संपर्क साधा। उन्होंने बताया कि अर्जुन उर्फ राजेश के पिता का नाम हेतराम केवट और माता का नाम श्यामकली है। उन्होंने बताया यह परिवार इतना गरीब है कि उनके पास फोन तक नहीं है। सरपंच ने उसके घर जाकर हेतराम की बात सुरेंदर कुमार से कराई।

हेतराम ने सुरेंदर को बताया कि दिमागी हालत खराब होने के कारण एक बार अर्जुन उर्फ राजेश ट्रेन के आगे कूद गया था। किसी तरह उसकी जान बच गई पर एक हाथ कट गया। युवक की माँ श्यामकली ने रोते हुए कहा कि वह दो वर्ष से गायब था। परिवार उसके मिलने की उम्मीद खो चुका था और उसे मृत मान लिया था। उसने सुरेंदर कुमार से फरियाद कि उसके बेटे को घर तक पहुंचा दें क्योंकि गरीबी के कारण उसे लेने के लिए कोई शिमला नहीं आ सकता।

अर्जुन उर्फ राजेश की दिमागी हालत ठीक होने के बाद उमंग फाउंडेशन उसे उसके घर पहुंचाने का प्रबंध करेगा। सुरेंदर कुमार ने बताया कि जिला सीधी के मंझोली पुलिस थाने के विक्रम सिंह के सहयोग से ही मनोरोगी युवक के परिवार से संपर्क साधा जा सका।

 

Related Posts

Next Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!