पावटा साहिब : सिविल अस्पताल में नवजात शिशु की मौत , सरकार के जच्चा बच्चा सुरक्षा के दावों की खुली पोल

 

केंद्र और राज्य सरकार जहां एक और जच्चा बच्चा सुरक्षा के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च रही है और डॉक्टर के सेमिनार और ट्रेनिंग पर भी करोड़ों रुपए का खर्चा हो रहा है वहीं कुछ कमीशनखोर डॉक्टर सरकार को भी बदनाम करवाने में जुटे हुए हैं

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रेफरल अस्पताल कहे जाने वाले सिविल अस्पताल में एक महिला की डिलीवरी के बाद नवजात शिशु की मौत का मामला सामने आया है परंतु मामला दबाने का प्रयास किया जा रहा है इसके बाद सिविल अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खुल गई है ऐसे में सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं कि यदि जच्चा बच्चा को कोई परेशानी थी तो उसको हायर सेंटर के लिए रेफर क्यों नहीं किया गया तथा सिविल अस्पताल में ही उसकी सिजेरियन डिलीवरी क्यों कर दी गई

मिली जानकारी के अनुसार अपने आप को महिला चिकित्सक के रूप में स्पेशलिस्ट कहने वाले एक कमीशनखोर डॉक्टर तथा महिलाओं को नॉर्मल डिलीवरी की कंडीशन में होने के बाद भी रेफर करने वाले एक डॉक्टर द्वारा एक महिला की डिलीवरी करवाई गई थी बताया जा रहा है कि यह एक सिजेरियन डिलीवरी थी इसके बाद नवजात शिशु की मौत हो गई है बताया जा रहा है कि इस कमीशन का डॉक्टर ने लाखों रुपए महीने की कमीशन दवा कंपनी के द्वारा फिक्स की हुई है तथा महिलाओं को खास कंपनी की ही दवाइयां लिखी जाती है 87 व्हील हॉस्पिटल में आयरन कैल्शियम और फोलिक एसिड आदि दवाई सरकार द्वारा फ्री देने के बावजूद बाहरी कंपनी की महंगी दवाइयां लिखी जा रही है वही महिलायो का अल्ट्रासाउंड भी एक खास क्लीनिक में ही करवाया जाता है जिसमें इसकी कमीशन से डॉक्टर की मोटी कमाई हो रही है यदि इस डॉक्टर की विजिलेंस जांच करवाई जाए तो करोड़ों रुपए की प्रॉपर्टी का खुलासा हो सकता है जिसमें मोहाली जीरखपुर चंडीगढ़ में भी करोड़ों रुपए के फ्लैट खरीदे गए हैं तथा शहर में भी करोड़ों रुपए की कई प्रॉपर्टी खरीदी गई है

बताया जा रहा है कि मौके पर बदतमीज किस्म का अस्पताल इंचार्ज भी मौजूद था जिसकी देखरेख में बच्चों को बचाने की कोशिश के दावे भी किया जा रहे हैं परंतु चाइल्ड स्पेशलिस्ट कहलाने वाला यह डॉक्टर अपने ओपीडी में भी लगातार ना बैठकर बीमार बच्चों को चेक नही कर रहा है केवल अपने दफ्तर में ही गिने चुने मरीजों को देख रहा है इस डॉक्टर ने अपनी डॉक्टर पत्नी की पोस्टिंग भी इसी अस्पताल में करवा ली है

वार्ड नंबर 9 की रहने वाली इस महिला की सिजेरियन डिलीवरी के बाद हुए नवजात शिशु की मौत के मामले में आला अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं परंतु नवजात शिशु की मौत के विषय में बताया जा रहा है कि महिला में खून की कमी थी तथा उसको खून चढ़ाया गया था वहीं इस विषय पर जब जिले के सीएमओ अजय पाठक को फोन किया गया तो उनका फोन स्विच ऑफ आया वही परिवार द्वारा किसी प्रकार की शिकायत अभी तक पुलिस या विभाग में दर्ज नहीं करवाई गई है

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