स्वच्छ भारत अभियान को लग रहा पलीता
यमुना नदी जिले की जीवनदायिनी कहा जाता है। एक तो यह पहले से ही प्रदूषित है तो वहीं अब प्रशासन की लापरवाही के चलते इसमें सेप्टिक टैंक की गंदगी डाली जा रही है। सेप्टिक टैंक खाली करने वाले निजी टैंकर संचालक खुले आम नदी में गंदगी डाल रहे हैं और जिम्मेदार तमाशबीन बने हुए हैं।हद तो यह कि अब इसमें शहर के घरों के शौचालयों के सेप्टिक टैंक से निकलने वाला मलबा सीधे नदी में गिराया जा रहा है। शहर के कई स्थानों पर सफाई के लिए प्राइवेट टैंक संचालित करने वाले खुलेआम इसे नदी में गिरा रहे हैं।
शौचालयों के सेप्टिक टैंकों की सफाई करने वाले वाहनों की जिले में भरमार हो गई है। प्रेशर मशीन से टैंक को साफ कर गंदगी टैंकर में भरी जातीा है और उसे तमसा के किनारे गिरा दिया जाता है। प्राइवेट टैंकर संचालक कभी इस बंधा तो कभी उस बंधा के किनारे गंदगी गिराते रहते हैं। इससे नदी प्रदूषित होती जा रही है। नियमानुसार सेप्टिक टैंक की गंदगी को ट्रीटमेंट प्लांट में भेजना चाहिए लेकिन टैंकर संचालक नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। कई जगह इन टैंकरों द्वारा गिराई गंदगी से लोगो का जीना मुहाल हो गया है।
स्थानीय लोगो का का कहना है की नदी में सैप्टिक टैंक की गंदगी डालना गलत है। ऐसा करने वाले वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। स्थानीय लोगों ने नगर पालिका, बी डी ओ ऑफिस और प्रदूषण विभाग के अधिकारियों से मांग की है कि ऐसे टैंकर संचालकों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए जिससे नदियों को प्रदूषित होने से बचाया जा सके