शिक्षित लोगों को शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल करना व शिक्षा की बदहाल स्तिथि को सुधारने के लिए आवाज़ उठना आज़ के इस पूंजीवाद दौर में इसलिए ज़रूरी हो गया है क्योंकि आज इस देश में हर वस्तु को बेचा जा रहा इसलिए शिक्षा भी आज कमाई का साधन बन चुका हर साल हजारों हजार प्राइवेट स्कूल और कॉलेज व यूनिवर्सिटी खोली जा रहीं है ये कॉलेज व स्कूल कौन खोल रहे है जिनके पास business करने के लिए पेसा है ये व्यापारी कौन है नेता या नेताओ के रिश्तेदार इसलिए धड़ाधड़ प्राइवेट स्कूल खोलने की अनुमति दी जा रहीं है जिस गति से प्राइवेट स्कूल की संख्या व करोबार बढ़ रहा है उसी गति से दिन प्रतिदिन सरकारी स्कूल का ढाँचा बिगड़ रहा है
कौन जिम्मेदार है इस बिगड़ती हुई हालत के लिए ?
सरकार
टीचर
कोर्ट
प्रशासन
जनता
☝इसके लिए कोई एक आदमी जिम्मेदार नहीँ है यह सारा सिस्टम जिम्मेदार है…केसे..आगे देखे
इसके लिए जनता जिमेदार है
क्यों
क्योंकि सरकार कौन चुनता है जनता
स्कूल कौन खोलता है….सरकार
टीचर कौन apoint करता है…..सरकार
शिक्षा पर नीति कौन बनाते है…. सरकार
सरकार…मतलब…संसद और विधानसभा…में बेठे वो लोग जिनको जनता चुन कर भेजती है
ये नेता लोग जब सस्ती शिक्षा और स्कूल में टीचर उपलब्ध नहीँ करते तो इन लोगों से सवाल किसको पूछना चहिए जनता को…जो हम लोग नहीँ पूछते है…
तो गलती भी हमारी है
आज जब दो लोग गाँव में चुनाव पर बात करेंगे तो वो बात करेंगे काले धन की या डिजिटल इंडिया की..अच्छी बात है होनी चहिए लेकिन गाँव में बिजली की हालत खराब है इसमे बात नहीँ करेंगे
गाँव में बेंक नहीँ है या उसमे पेसे नहीँ है इसमे बात नहीँ करेंगे उनको यह पता नहीँ है डिजिटल इंडिया के लिए इंडिया में पहले बिजली चहिए
आज़ अगर हम हिमाचल प्रदेश सरकार में बेठे नूमायदे की बात करे तो विधायक की तनख्वाह दो लाख दस हजार और मुख्य मंत्री की दो लाख 75 हजार है और जो टीचर की 3 हजार 5 हजार 8 हज़ार 13 हज़ार ये हाल है एक अध्यापक पूरी जिंदगी पढ़ता है पढ़ाई करवाता है और एक अनपढ़ नेता उनके ऊपर शासन करता है…
.लिखने के लिए तो बहुत कुछ है लेकिन आज लोगो के पास पढ़ने के लिए टाईम नहीँ है
मेरे पंचायत में शिक्षा के जो हाल है वो कुछ ठीक नहीँ है
3 गाँव की बात करे तो हालात ये है कि कुफोटी गाँव दलित समुदाय का गाँव है 14 बच्चे ऐसे है जिनको हमने खुद आइडेंटिफाइड किया है
गाँव कुफौटी
1 – सचिन s/o लाल सिंह
इसकी उम्र 13 वर्ष की है आँखो से कम दिखाई देता है आजतक स्कूल का दरवाजा नहीँ देखा है पिता जी धियाडी करता है
2- विनीता d/o बोसीया राम
5वी से स्कूल छोड़ दिया है
स्कूल छोड़ने का कारण घर में काम करना पढ़ता है
3 – सन्दीप s/o फकीर चंद 6वी से स्कूल छोड़ दिया है
4- चतर सिंह ”
6वी से स्कूल छोड़ दिया
5- भरत ”
4वी से स्कूल छोड़ दिया
6- कौशल्या s/d गुमान सिंह
5वी से स्कूल छोड़ दिया
7- वीरेंद्र s/o लाल सिंह
9वी से स्कूल छोड़ दिया
8- मनोज s/o कुम्बीया राम
8वी से छोड़ दिया
9- संजय s/o जट्टु राम
8वी से
10- रिंकू s/o जंगली राम
5वी se
11- मुकेश ”
8वी से
12- राकेश ”
6वी से
13- रोहित/ राजू राम
14- विनोद ”
स्कूल छोड़ने का कारण कही ना कही आर्थिक तंगी है
गाँव देवनल (चौउरौटा)
यह गाँव भी दलित समुदाय का गाँव है पर भी लोग आर्थिक व समाजिक रुप से पीडित है
1- रवि/ कुंदन सिंह — 9वी से
2- मुकेश ” — 8वी से
3- कमलेश/ विनी राम – 7वी से
4- यशपाल /बसिया राम 5वी से
5- मनोज/ गुमान सिंह -7वी से
6- कमल ” – 6वी से
7- सुभाष /लायक राम – 8वी से
8- संजू /इन्द्र सिंह 8वी से
9- राहुल ” ” 9वी से
कारण साफ है इनकी भी आर्थिक व सामाजिक स्तिथि सही नहीँ है
गाँव बढ़धार
इस गाँव से भी 4 बच्चे स्कूल छोड़ चुके है यहाँ पर स्कूल के हालात इतने खराब है की ना बिजली ना शौचालय ना स्कूल की अपनी बिल्डिंग है यहाँ एक अध्यापक है
यह detail इस लिए लिख रहा हूँ जब etv ने यह न्यूज़ tv पर दिखाई तो शिलाई से कोई अधिकारी बोल रहे थे की ये आंकड़े तथ्य हीन है हमारे पास कोई ऐसा आंकड़े नहीँ की किसी ने स्कूल छोड़ दिया है
उनको हम बताना चाहते है की आइए जनाब पूरे पते के साथ लिख दिया है अब आपकी बारी है हमने तो अपना फर्ज निभा दिया है.
शिक्षा को बचाने के लिए इस पोस्ट को share करके इस लड़ाई में अपनी भागीदारी सुनिश्चत करे ?
बलदेव
सह सचिव
भारत की जनवादी नौजवान सभा इकाई झकान्डो(dyfi)