राजधानी शिमला में नए साल के जश्न के बीच उमंग फाउंडेशन ने रात को भीषण सर्दी में ठिठुरते बेघर बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को कंबल देकर अपने अनूठे अभियान, “ठंड से कोई जान न जाए”, की शुरुआत की।
उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने बताया संस्था की टीम ने रात 11 बजे तक शहर के विभिन्न इलाकों में रेन शेल्टरों, आईएसबीटी, लोकल बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन तथा अन्य जगहों पर बेसहारा सो रहे लोगों को ढूंढ कर कम्बल दिए। नए साल में समाज के सहयोग से शुरू हुआ यह अभियान फरवरी के अंत तक चलेगा।
उन्होंने कहा कि उमंग फाउंडेशन विगत 5 वर्षों से यह अभियान सर्दियों में 2 महीनों के लिए चलाता है। इसमें बेघर बुजुर्गों एवं बेसहारा महिलाओं तथा बच्चों को आवश्यकता पड़ने पर गर्म कपड़े एवं इलाज की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है। उनके अनुसार पिछले वर्षों में कई बेसहारा बुजुर्गों, महिलाओं को वृद्धाश्रम एवं नारी सेवा सदन में भी भर्ती कराया गया था कि वे सुरक्षित जीवन जी सकें। बेसहारा पाए गए मनोरोगियों को इलाज के लिए आईजीएमसी में भेजा जाता है।
उनके अनुसार इस बार भी कुछ बेसहारा बुजुर्ग पुरुष एवं महिलाएं और कई बच्चे उनके ध्यान में आए हैं जिनको तुरंत पुनर्वास की आवश्यकता है। इन लोगों का ब्यौरा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के पास भेजा जा रहा है ताकि सरकार किसी अनहोनी घटना से पहले उनकी मदद कर सके। देर रात तक चले इस अभियान में उमंग फाउंडेशन के महासचिव यशवंत राय, सतीश तथा विपाशा आदि सदस्य शामिल थे।
प्रो. श्रीवास्तव ने अपील की कि लोग शिमला एवं आसपास के क्षेत्रों में किसी बेसहारा बुजुर्ग, बेघर महिला और बच्चों को देखकर उमंग फाउंडेशन को मो.नम्बर 9816077535 पर सम्पर्क करें।
उन्होंने कहा कि भीषण सर्दी में प्रदेश की जनता बेसहारा लोगों को बचाने के लिए स्वयं आगे आए और यह मामले सरकार के ध्यान में भी लाए जाएं। उनके अभियान का उद्देश्य बेघर बुजुर्गों महिलाओं तथा छोटे बच्चों को ठंड से बचा कर सुरक्षित आश्रय दिलाना है। इससे पूर्व उमंग फाउंडेशन ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में मज़दूरों के बच्चों को कम्बल वितरित किए थे।