(धनेश गौतम ) अब अविभावकों को अपने बच्चों के लिए कापी-किताब खरीदने के लिए स्कूल का दबाव सहन नहीं करना होगा। अविभावक किसी भी निजी बुक शॉप में अपने बच्चों के लिए सस्ते दामों व रिबेट करके कापी किताबें खरीद पाएंगे। सभी निजी स्कूलों को सेशन खत्म होने के बाद व अगला सेशन शुरू होने से पहले किताबों की सूची अपनी बेवसाइट में जारी करनी होगी।
यही नहीं कोई भी स्कूल प्रबंधन अविभावकों व छात्रों को यह दबाव नहीं बना सकता है कि किताबें -कापियां उनके द्वारा चिंहित लोगों से ही खरीदें। यह निर्देश शुक्रवार को एडीएम अक्षय सूद ने यहां बचत भवन में स्कूल प्रबंधन व बुक सेलर एसोसिएशन की बैठक को संबोधित करते हुए जारी किए। एडीएम ने कहा कि अविभावक कहीं से भी पुस्तकें व कापियां खरीद सकते हैं और स्कूल इसमें शामिल नहीं होंगें। अविभावकों की मर्जी होगी कि वह कहां से कापी किताबें खरीदना चाहते हैं और जरूरी नहीं है कि स्कूल के नाम से प्रकाशित कापी ही मान्य होगी।
गौर रहे कि पुस्तक विक्रेता संघ जिला कुल्लू व स्कूल प्रबंधनों में विवाद चल रहा था। पुस्तक विक्रेता संघ ने जहां स्कूलों में हो रहे व्यवसाय को रोकने के लिए प्रशाशन का दरवाजा खटखटाया था वहीं निजी स्कूल अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे थे। गत बैठकों में निर्णय हुए थे कि स्कूल अपने स्तर पर बच्चों से व्यवसाय नहीं करेंगे लेकिन बाबजूद इसके स्कूलों ने फिर से संस्थान के नाम की कापी किताबें छाप कर व्यवसाय शुरू किया है। इस मामले को लेकर पुस्तक विक्रेता संघ एक बार फिर डीसी से मिले और उन स्कूलों की साक्ष्यों के साथ शिकायत की थी।
उधर डीसी कुल्लू यूनुस ने इस मामले को सुलझाने का जिम्मा एडीसी को सौंपा था और पुस्तक विक्रेता संघ ने निजी स्कूलों द्वारा चलाई जा रही व्यवसायिक गतिविधयों पर कड़ा एतराज जताया था। संघ के प्रधान अमित कुमार ने कहा कि निजी स्कूलों में धांधली चली हुई है। अविभावकों को दोनों हाथों से लुटा जा रहा है और निजी स्कूल किताबों कापियों व बर्दियों का कारोबार स्कूल में चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ बाहरी लोगों के साथ मिलकर इस धंधे को अंजाम दिया जा रहा है और जब इसका विरोध हुआ तो निजी स्कूलों ने शहर में ही कमरे लेकर पुस्तकों का भंडारण करना शुरू किया और इन स्टोरों पर ही अविभावकों को पुस्तक खरीदने के लिए बुलाया जा रहा है जिस कारण पुस्तक विक्रेताओं को भारी नुकसान हो रहा है और अविभावकों को लुटा जा रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि बुक लिस्ट को निजी स्कूल ओपन नहीं करती है जबकि नियमानुसार तीन माह पहले पुस्तक सूची बाजार में ओपन होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पुस्तक विक्रेताओं ने सभी स्कूलों को आरटीआई भी डाली लेकिन किसी भी स्कूल प्रबंधन ने जवाब नहीं दिया है और अब संघ ने निर्णय लिया है कि इसकी शिकायत आरटीआई कमिश्नर से की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस मामले को वे कई बार उपायुक्त व जिला प्रशाशन के अन्य अधिकारियों के पास उठा चुके हैं लेकिन अभी तक कोई भी उचित करवाई नहीं हुई है और लूट घसीट का यह कारोबार यथावत चला हुआ है।
उन्होंने कहा कि अब विक्रेता संघ ने निर्णय लिया है कि संघ इस धांधली को बंद करेगा और जो भी स्कूल इस धांधली में शामिल होगा उसका पर्दाफाश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्कूलों को पुस्तक सूची तीन माह पहले जारी करनी चाहिए और कापियों में स्कूलों का नाम छापना बंद कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी स्कूलों को पुस्तकों, कापियों व वर्दी के लिए ओपन टेंडर करने चाहिए ताकि यह धांधली समाप्त हो और अविभावकों को इसका लाभ मिल सके न कि निजी स्कूलों को। उन्होंने कहा कि यदि निजी स्कूलों ने ही यह व्यवसाय चलाया तो पुस्तक विक्रेताओं का क्या काम रह गया। उधर डीसी के आदेश पर शुक्रवार को सामूहिक बैठक हुई और इसमें एडीएम ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि स्कूल इस व्यवसाय में न पड़ें।
केजी का बुक सेट 3500 में: शहर का एक नामी स्कूल केजी क्लास का बुक सेट 3500 में बेच रहा है। पुस्तक विक्रेता संघ ने बैठक में एडीएम को साक्ष्य दिखाते हुए बताया कि इस तरह की धांधली निजी स्कूल कर रहे हैं। बेवसाइट में नहीं दी जा रही जानकारी : कुछ स्कूल प्रशाशन को गुमराह कर रहे हैं कि पुस्तक की सूची बेवसाइट में डाली गई है जबकि उन स्कूलों की बेवसाइट ही नहीं चल रही है।