सिरमौर: एक ही जिले की तीन बेटियां खेलेंगी कबड्डी वर्ल्ड कप, रितु को मिली कप्तानी

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अमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया (AKFI) ने 15 नवंबर से 25 नवंबर 2025 तक ढाका (बांग्लादेश) में आयोजित होने वाले दूसरे महिला कबड्डी विश्व कप के लिए भारतीय सीनियर महिला टीम की घोषणा कर दी है।

टीम की कमान रितु नेगी के हाथों

14 सदस्यीय इस भारतीय दल में हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले की तीन खिलाड़ी शामिल हुई हैं, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। शिलाई उपमंडल की अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त डिफेंडर और अर्जुन पुरस्कार विजेता रितु नेगी को भारतीय टीम का कप्तान नियुक्त किया गया है। उनकी लीडरशिप अनुभव, शांत स्वभाव और रणनीति समझ के लिए जानी जाती है। रितु पहले भी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत के लिए पदक दिला चुकी हैं।

टीम की उपकप्तान के रूप में शिलाई की ही पुष्पा राणा को जिम्मेदारी सौंपी गई है। पुष्पा अपने मजबूत पकड़ वाले डिफेंस और रेडर्स को सीमाबद्ध करने की क्षमता के लिए जानी जाती हैं। टीम की कोर डिफेंस लाइन में उनकी भूमिका बेहद अहम मानी जा रही है।

साक्षी शर्मा भी भारतीय टीम में

इन दोनों के अलावा, सिरमौर की ही साक्षी शर्मा भी भारतीय दल का हिस्सा हैं। साक्षी ने पिछले दो वर्षों में राष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया है और अपने तेज फुटवर्क व काउंटर ब्लॉक के लिए चयनकर्ताओं की निगाहों में आईं।

14 खिलाड़ियों की टीम में से तीन खिलाड़ी एक ही जिले और उसी क्षेत्र से होना, सिरमौर और विशेष रूप से शिलाई विधानसभा क्षेत्र के लिए अभूतपूर्व सम्मान है। यह उपलब्धि स्थानीय खेल संस्कृति, कोचिंग सेटअप और ग्रामीण क्षेत्रों में उभरती खेल प्रतिभा को मजबूत पहचान दिलाती है। स्थानीय लोग इसे “शिलाई की बहनों की त्रिवेणी” कहकर गर्व व्यक्त कर रहे हैं।

कोचिंग स्टाफ भी बेहद अनुभवी

भारतीय टीम को इस प्रतियोगिता में अनुभवी कोचिंग और मैनेजमेंट स्टाफ का मार्गदर्शन मिलेगा। दोनों कोच भारतीय महिला कबड्डी में लम्बे अनुभव और रणनीतिक समझ के लिए जानी जाती हैं।

मुख्य कोच- तेजस्विनी बाई वी (अर्जुन पुरस्कार विजेता)

सह-कोच- कविता सेलवराज (ध्यानचंद पुरस्कार विजेता)

टीम मैनेजर- चयनित विभागीय अधिकारी

सिरमौर की ये तीनों बेटियाँ पहले भी कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश को पदक दिला चुकी हैं। इस बार इनकी निगाहें विश्व खिताब और तिरंगे का मान बढ़ाने पर टिकी हैं।

स्थानीय पंचायतों से लेकर जिला स्तर तक उत्साह और गर्व का माहौल है। लोगों का कहना है कि यह सफलता पहाड़ी बेटियों के संघर्ष, अनुशासन और प्रतिभा का प्रमाण है।

 

 

 

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