हिमाचल प्रदेश में मनाए जाने वाले पारंपरिक मेलों की श्रृंखला में सिरमौर जिला के सरांहा में कालांतर से मनाए जाने वाला राज्य स्तरीय वामन द्वादशी मेला इस वर्ष भी 21 व 22 सितंबर 2018 को बडे़ हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। यह मेला सरांहा बाजार स्थित भगवान वामन के प्राचीन मंदिर के नाम पर हर वर्ष भाद्रमास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को आयोजित किया जाता है जिसमें जिला सिरमौर के अतिरिक्त पड़ोसी राज्य हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ से हजारों की तादाद में श्रद्धालु मेले मे पहुंचकर भगवान वामन का आर्शिवाद प्राप्त करते हैं। प्रदेश सरकार इस मेले को गत वर्ष से राज्य स्तरीय मेले का दर्जा प्रदान किया गया है ताकि मेले को और आकर्षक बनाने के साथ साथ इसकी प्राचीन गरिमा भी कायम रहे ।
मेले में निकाली जाने वाली भगवान वामन की शोभा-यात्रा लोगों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होती है । लोग वामन भगवान की पालकी के दर्शन का एक वर्ष से बेसब्री से इंतजार करते हैं। जनश्रुति के अनुसार भगवान वामन की पालकी के दर्शन एवं नौका विहार के दौरान प्रसाद प्राप्त करने से क्रूर ग्रह के प्रकोप से शान्ति मिलती है। मेले का शुभारंभ वामन भगवान की पारंपरिक पूजा एवं शोभा-यात्रा के साथ होता है, जिसमें सैंकड़ों की तादाद में लोग भाग लेते हैं। इसके उपरान्त सरांहा बाजार में स्थित प्राचीन तालाब में वामन भगवान को नौकाविहार करवाया जाता है और लोगों का विश्वास है कि नौका विहार के समय वर्षा की हल्की फुहारे होना शुभ मानते है । नौका विहार का दृष्य अत्यंत मनोहारी होता है और लोग तालाब के छोर पर खड़े होकर प्रसाद प्राप्त करने के लिए आतुर रहते हैं।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार वामन भगवान को विष्णु का पांचवा अवतार माना जाता है । कथा के अनुसार दैत्य सेनापति राजा बलि द्वारा देवताओं को पराजित करके स्वर्ग का राज्य प्राप्त कर लिया और उसने इसी खुशी में अश्व मेघ यज्ञ का आयोजन किया। देवता अपनी पराजय से दुरूखी होकर भगवान विष्णु की शरण में गए। भगवान विष्णु उनकी सहायता करने का आश्वासन देते हैं और भगवान विष्णु वामन रुप में माता अदिति के गर्भ से उत्पन्न होने का वचन देते हैं। दैत्यराज बलि द्वारा देवों के पराभव के बाद कश्यप जी के कहने से माता अदिति पयोव्रत का अनुष्ठान करती हैं जो पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है तब भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी के दिन अदिति के गर्भ से विष्णु भगवान वामन के रूप में अवतार लिया ।
वामन अवतार लेकर, विष्णु भगवान ब्राह्माण का वेष धर कर राजा बलि द्वारा आयोजित अश्वमेध यज्ञ में भिक्षा मांगने पहुंचते हैं। वामन रुप में श्री विष्णु भिक्षा में तीन पग भूमि मांगते हैं, राजा बलि अपने वचन पर अडिग रहते हुए, श्री विष्णु को तीन पग भूमि दान में दे देते हैं। वामन रुप में भगवान ने एक पग में स्वर्ग और दूसरे पग में पृथ्वी को नाप लिया और अभी तीसरा पैर रखना शेष था। ऐसे मे राजा बलि अपना वचन निभाते हुए अपना सिर भगवान के आगे रख देते हैं और वामन भगवान के पैर रखते ही, राजा बलि पाताललोक पहुंच जाते हैं। बलि के द्वारा वचन का पालन करने पर, भगवान विष्णु अत्यन्त प्रसन्न होते हैं और बलि को पाताललोक का स्वामी बना देते हैं इस तरह भगवान वामन देवताओं की सहायता कर उन्हें पुनः स्वर्ग का अधिकार प्रदान करते हैं।
मेले का शुभारंभ 21 सितंबर को उपायुक्त सिरमौर द्वारा भगवान वामन की पूजा-अर्चना और शोभा यात्रा से होगा जबकि 22 सितंबर को मेले के समापन अवसर के अवसर पर उद्योग मंत्री हिमाचल प्रदेश को आमंत्रित किया गया है । मेले के अंतिम दिन विशाल दंगल का आयोजन किया जाएगा, जिसमें उतरी भारत के नामी पहलवान भाग लेंगे।
मेला समिति द्वारा इस पारंपरिक मेले को आकर्षक बनाने के लिए स्टार नाईटों का आयोजन किया गया है। जिसमें इंडियन आयडल फेम गीता भारद्वाज, नाटी किंग कुलदीप शर्मा, सहित प्रदेश के प्रसिद्ध कलाकारों को आमंत्रित किया गया है । मेले में लोगों को सरकारी योजनाओं की जानकारी देने के लिए विभिन्न विभागों द्वारा विकासात्मक प्रदर्शनियां और स्वयं सहायता समूहों द्वारा अपने उत्पाद प्रदर्शित किए जाएगें । मेेला अधिकारी एंव एसडीएम राजगढ़ ने बताया कि मेले में आने वाले लोगों की सुविधा के लिए मेला समिति द्वारा सुरक्षा सहित सभी आवश्यक प्रबन्ध पूरे कर लिए गए हैं।
पारंपरिक मेले व त्यौहार प्रदेश की समृद्ध संस्कृति व सभ्यता के परिचायक है जिनका सरंक्षण व संवर्धन करना समय की आवश्यकता बन गई है । जारी कर्ताः- बी0आर0 चौहान , जिला लोक सम्पर्क अधिकारी, सिरमौर