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हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से एक बेहद शर्मसार और दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां पर देवली कालोनी में एक नवजात शिशु का शव मिला है- जो कि एक आवारा कुत्ता मुंह में दबाकर घूम रहा था।
कुत्ते के मुंह में शव
घटना बीते कल की बताई जा रही है। स्थानीय लोगों ने पुलिस थाना ढली में घटना की सूचना दी। लोगों ने बताया कि देवली कॉलोनी में नंद कॉटेज के पास एक आवारा कुत्ता नवजात शिशु के शव को मुंह में दबाकर घूम रहा है। लोगों ने किसी तरह कुत्ते के मुंह से शव को निकलवा कर सुरक्षित स्थान पर रखा।
सूचना मिलते ही पुलिस टीम मौके पर पहुंची और नवजात का शव बरामद किया। नवजात शिशु लड़का था। शुरुआती जांच में शिशु के चेहरे, सिर और पीठ पर कुत्ते या किसी जंगली जानवर द्वारा काटे जाने के निशान पाए गए हैं।
पूरे इलाके में फैली सनसनी
इस घटना के बाद पूरे इलाके में सनसनी फैल गई है। पुलिस टीम ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टामार्टम करवा दिया है। फिलहाल, नवजात के शव को IGMC शिमला के शव गृह में रखवाया गया है।
पुलिस टीम ने BNS की धारा 94 के तहत मामला दर्ज कर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है। पुलिस शिशु की मां का पता लगाने में जुटी हुई है। साथ ही स्थानीय लोगों से भी पूछताछ की जा रही है- ताकि पता चल सके कि इस नवजात को किसने फेंका।
स्थानीय लोगों में आक्रोश
घटना के बाद से स्थानीय लोगों में गुस्सा पनप उठा है। उनका कहना है कि यह कृत्य समाज को झकझोरने वाला है और दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाना चाहिए। स्थानीय लोग इस घटना से बेहद दुखी और नाराज हैं। पूरे क्षेत्र में शोक और आक्रोश का माहौल है। ग्रामीणों ने इस क्रूर घटना की कड़ी निंदा की है और अपराधियों की जल्द गिरफ्तारी की मांग की है।
प्रशासन ने जनता से अपील की है कि अगर किसी को इस घटना से संबंधित कोई भी जानकारी हो तो वह तुरंत पुलिस को सूचित करे। साथ ही, प्रशासन ने समाज में गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की सुरक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
बच्चे के लिए तरसते हैं कई लोग
लोगों का कहना है कि कई लोग बच्चे के लिए तरसते हैं। जबकि, कुछ लोग बच्चों के साथ क्रूरता करते हैं- जो कि बेहद शर्मनाक बात है। उनका कहना है कि अगर किसी को बच्चा नहीं चाहिए तो वो किसी और को बच्चा गोद दे सकता है।
कैसे गोद ले सकते हैं बच्चा?
बच्चे को कैसे गोद लिया जा सकता है-
बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और अधिनियम के तहत होती है।
भावी माता-पिता को सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) की वेबसाइट पर पंजीकरण करना होता है।
उसके बाद एक होम स्टडी रिपोर्ट बनाई जाती है, जिसमें दंपत्ति की आर्थिक, सामाजिक और पारिवारिक स्थिति का आकलन किया जाता है।
बच्चा स्वीकार करने के बाद उसे कुछ समय के लिए फॉस्टर केयर (देखरेख अवधि) में दंपत्ति के साथ रखा जाता है।
फिर कानूनी प्रक्रिया पूरी कर बच्चे को दंपत्ति को सौंपा जाता है।
एजेंसी दो साल तक हर छह महीने बाद फॉलोअप विजिट करके यह सुनिश्चित करती है कि बच्चा सुरक्षित और स्वस्थ माहौल में रह रहा है।
बच्चा गोद लेने वाले लोगों के लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं। कोई भी व्यक्ति बच्चे को गोद ले सकता है- फिर चाहे वो भारतीय नागिरक हो या फिर विदेशी या फिर NRI (प्रवासी भारतीय)। मगर सभी अधिनियम के तहत निर्धारित नियम और शर्तें पूरी करने के बाद ही ये लोग बच्चे को गोद ले सकते हैं।











