6-7 टन क्षमता वाली डम्पर में 35-40 टन माल ढुलाई हो रही है व गाड़िया रामपुरघाट,बहराल व यमुनाघाट बैरीयर से होकर निकलती है इसकी शिकायत पुलिस प्रशासन तक को स्थानीय निवासियों दवारा की गयी परन्तु पुलिस ने न जाने किस दबाव में या किसी और कारण से इन डम्पर पर कभी कोई कारेवाही नहीं की जाती शाम को 8 बजे के बाद डम्पर की लाइन लग जाती है | बताया जा रहा है कि बैरियर पर ड्यूटी के लिए एक खास इलाके के लोग मंत्री के फोन करवा कर अपनी ड्यूटी लगवा रहे हैं
इस बारे में पहले भी एक डम्पर ड्राईवर ने आला अधिकारियो को ये भी बताया था की पर डम्पर अवैध वसूली होती है व डम्पर वालो से पुलिस की सेटिंग है व हर डम्पर वाला रोज 500 रुपए देता है यहाँ तक की खास पुलिस कर्मियों की पावटा में ही सेटिंग के बाद बैरीयर पर ड्यूटी लगाने की बात सामने आयी थी व उसके बाद गत महीने कारेवाही की बात भी हुई थी वो परन्तु बेनतीजा निकली थी | इस मुद्दे पर पूर्व में एक एसपी ने रात को भेष बदलकर छापेमारी भी की थी परंतु कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई थी
यदि डम्पर चालक की बात माने तो रोज करीब 200 डम्पर निकलते है इस हिसाब से रोजाना करीब 100000 व महीने का करीब 30 लाख रुपया पुलिस को रिश्वत का जाता है | ये पैसे कहा जाता है किनमे बंटता है स्थानीय अधिकारियो का इसमें क्या रोल है व क्या पैसा ऊपर तक जाता है ये जाँच का विषय है
भाई नाहन में महिला अपराध के लिए बनाए गए महिला पुलिस स्टेशन के कर्मचारियों को भी पांवटा साहिब में खनन के खिलाफ कार्रवाई में लगाया गया है जबकि सरकार के स्पष्ट आदेश है कि महिला पुलिस स्टेशन में तेंनात कर्मचारी केवल महिलाओं से संबंधित अपराध के प्रति ही जांच करेंगे परंतु सरकार के आदेशों की भी धज्जियां उठाई जा रही है वही एक काले रंग के स्कॉर्पियो में पुलिस टीम रामपुर घाट व अन्य इलाकों पर घूमती नजर आ रही है परंतु अभी तक इन टीमों ने कोई भी कार्रवाई अवैध खनन के खिलाफ नहीं की है अब इन टीमों का मकसद क्या है यह विजिलेंस या पुलिस के आला अधिकारी जाने बाकी भ्रष्टाचारियों को पकड़ने के लिए विजिलेंस टीम सारी जिंदगी शिकायतकर्ताओं का इंतजार ही करती रहेगी और जब पावटा साहिब मे कोई भ्रष्ट पुलिस कर्मचारी द्वारा रिश्वत मांगने का मामला सामने आता है तब स्थानीय स्तर पर सेटिंग कर मामले को निपटा दिया जाता है और अधिकारियों द्वारा उसे भ्रष्ट पुलिस कर्मचारियों को चौकी इंचार्ज लगा दिया जाता है
सड़क विभाग की लापरवाही से 6-7 टन क्षमता वाली संपर्क मार्ग पर 35-40 टन माल ढुलाई स्थानीये लोगो ने बताया कि विभाग एंव पुलिस प्रशासन को कई बार शिकायत की गई , लेकिन अबतक कोई कार्यवाही नही हुई । ओवरलोड खनन के टिप्परों द्वारा सड़कों को भी जल्दी खराब कर दिया जाता है अगर सड़क बन भी गई तो 2से 3 महीने से ज्यादा टिक नही पाएगी। लोगो ने कहा की एक तो सड़क की भार क्षमता को बढ़ाया जाए और दूसरी तरफ ओवर लोडिंग वाहनों पर नकेल कसी जाए नही तो स्थानीय ग्रामीणों को संघर्ष का रास्ता भी अपनाना पड़ सकता है ।