हिमाचल प्रदेश के उद्योगों का अस्तित्व खतरे में, सरकार के फैसलों से कंपनियों को समेटना पड़ रहा कारोबार

प्रदेश सरकार ने उद्योग जगत पर कुछ ऐसे निर्णय थोप दिए हैं। इससे हिमाचल प्रदेश में उद्योगों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है, हालात ये बन गए हैं कि कुछ उद्योगों को जहां बीबीएन से अपना कारोबार शिफ्ट करना पड़ रहा है, वहीं बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने हिमाचल प्रदेश में विस्तार न करने का निर्णय लेते हुए नए निवेश को अन्य राज्यों में स्थानांतरित कर दिया है। उद्योग जगत का ये सूरत ए हाल हिमाचल के सबसे बड़े औद्योगिक संगठन बीबीएन उद्योग संघ ने पत्रकार वार्ता के दौरान बयां किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश की मौजूदा सरकार द्वारा उद्योगों को प्रोत्साहन देने की बजाय औद्योगीकरण को प्रभावित करने वाले कदम उठाए जा रहे है, जिनमें मंहगी बिजली दरें, परिवहन लागत, धारा 118 की पेचीदगियों सहित अन्य मुद्दे प्रमुख हैं। बीबीएन उद्योग संघ ने निवेश बढ़ाने व मौजूदा उद्योगों के हित में नियमों के सरलीकरण सहित कई मुददों पर अपने विचार व्यक्त किए और प्रदेश सरकार से उद्योग हितैषी कदम उठाने का आग्रह किया। बीबीएन उद्योग संघ ने कहा कि एक साल में उद्योग जगत पर हर तरफ से मार ही पड़ी है।

उद्योग जगत को भी सुख की अनुभूति हा,े अभी तक ऐसा एक भी कदम प्रदेश सरकार ने नहीं उठाया है। बीबीएन उद्योग संघ के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल, महासचिव यशवंत गुलेरिया, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनुराग पुरी, संरक्षक राजेंद्र गुलेरिया, हरीश अग्रवाल, संगठन मंत्री मुकेश जैन व सलाहकार शैलेष अग्रवाल ने कहा कि बीबीएन क्षेत्र का राज्य के औद्योगीकरण में जहां 70 फीसदी योगदान है, वहीं अर्थव्यवस्था में भी महत्त्वपूर्ण योगदान है। बीबीएन में एक लाख करोड़ के टर्नओवर वाली लगभग 2400 सक्रिय इकाइया हैं, जो लगभग 4.0 लाख लोगों को रोजगार देती हैं। यही नहीं, एसजीएसटी में 29 फीसदी देने के साथ साथ राज्य विद्युत बोर्ड द्वारा बेची जाने वाली कुल बिजली का लगभग 45 फीसदी उपभोग करती हैं।

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एक साल में उद्योग जगत पर हर तरफ से मार

बीबीएनआईए ने कहा कि बिजली शुल्क में वृद्धि एच.पी. सरकार का बिजली शुल्क में असामान्य वृद्धि की, जो अब देश में सबसे अधिक है। निवेश आकर्षित करने की राज्य की एकमात्र यूएसपी ख़त्म हो गई है। प्लास्टिक, एल्युमीनियम और सीसा जैसे नए अतिरिक्त उत्पादों पर एजीटी का लेवी-उद्योग इस लेवी को वापस लेने के लिए कह रहा है क्योंकि यह केवल जीएसटी के कार्यान्वयन के बाद इस राज्य में है, हिमाचल प्रदेश सरकार ने लेवी बढ़ा दी है और इस सूची में प्लास्टिक, एल्युमीनियम जैसी और वस्तुएं जोड़ दी हैं, इसे ख़त्म किया जाना चाहिए।

बुनियादी ढांचे की कमी

राजेंद्र गुलेरिया ने कहा कि आधुनिक आवास, अस्पताल, स्कूल, स्ट्रीट लाइट आदि जैसी मानक रहने योग्य सुविधाओं की कमी के साथ संयुक्त आंतरिक भौतिक बुनियादी ढांचे की कमी है। नालागढ़-दभोटा और नालागढ़ ढेरोवाल रोड फोरलेन बनाना चाहिए। अनुराग पुरी ने कहा कि नगर निगम के गठन से पूरे बीबीएन के नियोजित विकास करने और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए भारत सरकार की योजनाओं से धन का उपयोग करने में मदद मिलेगी।

रोजगार को पोर्टल लॉन्च

बीबीएनआईए ने अपने सदस्यों और स्थानीय व्यापारिक समुदाय के हित के लिए आपसी व्यापार को बढ़ाबा देने के लिए बीबीएनआईए टे्रड डॉटकाम पोर्टल लांच किया है। इस पोर्टल में स्कूलों, आईटीआई और कॉलेजों से नए पासआउट विद्यार्थी नौकरी के लिए खुद को पंजीकृत कर सकते हैं

महंगी परिवहन लागत

संघ के पदाधिकाररियों ने कहा कि नालागढ़ ट्रक ऑपरेटर यूनियन द्वारा हाल ही में माल ढुलाई शुल्क में 12 फीसदी की मनमाने ढंग से वृद्धि ने उद्योग को झटका दिया है। उद्योग के पास इसे बंद करने या बाहर से ट्रक मंगाने के लिए ट्रक आपरेटर यूनियन से लडऩे के अलावा कोई विकल्प नहीं है ।

धारा 118 का सरलीकरण

बीबीएन उद्योग संघ के संरक्षक राजेंद्र गुलेरिया व संगठन मंत्री मुकेश जैन ने कहा कि धारा 118 यह एक लंबे समय से लंबित मुद्दा है। इसके सरलीकरण के दावों के बावजूद कुछ नहीं हुआ। निवेश ब्यूरो ने सभी अनुमतियों के लिए एकल बिंदु संपर्क बनाने का आश्वासन दिया गया था।

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