मुख्यमंत्री ने किया हिमाचल प्रदेश ‘वन पारिस्थितिकीय प्रबंधन एवं आजीविका’ परियोजना का शुभारंभ

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मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने गत सांय यहां राज्य के लिए 800 करोड़ रुपये की ‘हिमाचल प्रदेश वन पारिस्थितिकीय तंत्र प्रबंधन एवं आजीविका’ परियोजना का शुभारंभ किया। यह परियोजना राज्य के छः जिलों क्रमशः कुल्लू, लाहौल-स्पिति, मण्डी, बिलासपुर, शिमला तथा किन्नौर में कार्यान्वित की जाएगी।
जय राम ठाकुर ने कहा कि इस परियोजना में वन पारिस्थितिकीय प्रबन्धन, जैव विविधता का संरक्षण, आजीविका में सुधार तथा पर्यावरण संरक्षण प्रयासों के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक विकास जैस पहलू शामिल हैं। उन्होंने कहा कि परियोजना के अंतर्गत संयुक्त वन प्रबन्धन के लिए गठित ग्रामीण वन विकास समिति तथा जैव प्रबन्धन समितियों के माध्यम से कार्य किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि परियोजना के अंतर्गत लगभग 460 समितियों का गठन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह परियोजना न केवल जैव विविधिता का संरक्षण सुनिश्चित करेगी, बल्कि राज्य के सत्त सामाजिक-आर्थिक विकास में भी मद्दगार होगी। उन्होंने कहा कि इस परियोजना की कुल अवधि 10 वर्ष होगी। उन्होंने कहा कि राज्य के दोनों जनजातीय ज़िलों को परियोजना में शामिल किया गया है जो ज़िलों की विशिष्ट वनस्पतियों व जीव-जन्तुओं के संरक्षण में सहायक सिद्ध होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि औषधियों के एकत्रिकरण एवं इससे बनने वाले उत्पादों पर निर्भर रहने वाले समुदायों के लिए विशेष प्रावधान किया गया है। इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को औषधियों के एकत्रिकरण तथा इसके विपणन के लिए विशेषज्ञों की सेवाएं प्रदान की जाएंगी। उन्होंने कहा कि परियोजना के अंतर्गत चारागाहों तथा घासयुक्त भूमि का सुधार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पौधरोपण में लोगों की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित बनाने के प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि पौधरोपण को केवल एक रस्म नहीं बनाया जाना चाहिए बल्कि लगाए गए पौधों के पोषण व जीवंतता को भी सुनिश्चित बनाया जाना चाहिए।
जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को एक पौधा लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संबंधित क्षेत्र की भौगोलिक स्थितियों के अनुरूप ‘मित्र वृक्ष’ या ‘गोत्र वृक्ष’ जैसी पौधरोपण की नई अवधारणाओं को अपनाना चाहिए। इसके अंतर्गत व्यक्ति गोत्र वृक्ष या मित्र वृक्ष के रूप में एक वृक्ष को अपनाएं तथा जीवनभर उसकी रक्षा करने का संकल्प लें। पेड़ों के संरक्षण के लिए स्थानीय लोगों की सहभागिता को सुनिश्चित बनाकर पौधरोपण के लिए उन्हें प्रेरित किया जाना चाहिए।
वन, परिवहन तथा युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री गोविन्द सिंह ठाकुर ने कहा कि यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा जापान के प्रधानमंत्री शीन्जो आबे के प्रयासों का परिणाम है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के कांगड़ा तथा चम्बा ज़िलों में जर्मनी की सहायता से केएफडब्ल्यू परियोजना पहले ही कार्यान्वित की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा आरम्भ किए गए विशेष पौधरोपण अभियान के दौरान आम जनमानस की सक्रिय सहभागिता से 17.54 लाख से भी अधिक पौधे लगाए गए।
जिका के मुख्य प्रतिनिधि कासुओ मात्सुमोटो ने कहा कि यह परियोजना हिमाचल प्रदेश की जैव विविधता के संरक्षण के उद्देश्य से प्रदेश में कार्यान्वित की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से न केवल पर्यावरण सुधार में सहायता मिलेगी बल्कि मानव तथा वन्य जीवन के मध्य होने वाले टकराव को कम करने में भी सहायता मिलेगी। उन्होंने इस परियोजना की हस्ताक्षर प्रक्रिया में पूर्ण सहयोग प्रदान करने के लिए राज्य सरकार का धन्यवाद किया।अतिरिक्त मुख्य सचिव वन तरूण कपूर ने मुख्यमंत्री तथा अन्य गणमान्यों का स्वागत किया। उन्होंने इस परियोजना की प्रमुख विशेषताओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी। प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन जी.एस. गोराया, जिका के प्रतिनिधि विनीत सरीन भी अन्य गणमान्य व्यक्तियों सहित इस अवसर पर उपस्थित थे।

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