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वित्त आयोग से प्रदेश को प्रत्येक वर्ष आपदा राहत निधि के लिए 800 करोड़ रुपये देने की मांग

JASVIR SINGH HANS by JASVIR SINGH HANS
7 years ago
in मुख्य ख़बरें, सिरमौर, हिमाचल प्रदेश
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मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने राज्य की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों व प्रतिकूल जलवायु के दृष्टिगत वित्त आयोग से राज्य की राजस्व प्राप्तियों एवं खर्च का उचित मूल्यांकन करने का आग्रह किया है। वह आज यहां 15वें वित्त आयोग के साथ बैठक को सम्बोधित कर रहे थे।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कठिन भौगोलिक परिस्थितियां हैं तथा पूंजीगत परिसम्पत्तियां जैसे सड़क, स्वास्थ्य, शैक्षणिक संस्थानों, सिंचाई, पेयजल व बिजली योजनाओं आदि का निर्माण तथा रख-रखाव पर काफी लागत आती है। उन्होंने कहा कि राज्य में सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों की आवश्यकता मैदानी क्षेत्रों की तुलना में अधिक है। उन्होंने कहा कि पूरे भारत में औसतन चार गांवों पर एक स्वास्थ्य उप केन्द्र है, जो 5624 लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कर रहा है, जबकि राज्य में औसतन 10 गांवों पर एक स्वास्थ्य उप-केन्द्र है, जो केवल 2987 लोगों को सुविधाएं प्रदान कर रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य में लगभग 87 प्रतिशत लघु और सीमान्त किसान हैं और राज्य में केवल 20.5 प्रतिशत क्षेत्र में ही सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत 46 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि राज्य में प्रति इकाई उपज राष्ट्रीय औसत से काफी कम है।

जय राम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश राजस्व घाटे वाला प्रदेश है तथा इसे विकासात्मक कार्यों के लिए कर्ज पर निर्भर रहना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यद्यपि राज्य सरकार समझदारी से कर्ज ले रही है तथा बेहतर नकदी प्रबन्धन से राज्य के कर्ज को सकल राज्य घरेलू उत्पाद के अनुपात में लाने में मदद मिली है, जो वर्ष 2007-08 में 65 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2016-17 में 35 प्रतिशत रह गया है। उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप राज्य सरकार के पास कर्ज अदायगी के बाद सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में निवेश के बहुत कम संसाधन रह गए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्व घाटायुक्त प्रदेश होने के कारण तथा आबंटन पूर्व घाटा पाटने के लिए केन्द्रीय करों में से राज्य का हिस्सा बहुत कम है। उन्होंने आयोग से राज्य के लिए उचित अनुदान प्रदान करने का अनुरोध किया, जिससे आंबटन के पश्चात हुए राजस्व घाटे की भरपाई की जा सके तथा राज्य के पास पर्याप्त राजस्व भी हो और साथ ही बुनियादी ढांचागत कार्यों में उचित धन की व्यवस्था हो सके।

उन्होंने कहा कि राज्य अपना राजस्व बढ़ाने के लिए बेहतर प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2005-06 में वैट से वार्षिक राजस्व 727 करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2016-17 में बढ़कर 4382 करोड़ रुपये हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार जीएसटी के लागू होने के बाद करों में बढ़ोतरी की उम्मीद कर रही है। उन्होंने कहा कि पिछले 14 महीनों में जीएसटी में अनुमानित राजस्व प्राप्ति में 40 प्रतिशत राजस्व की कमी आंकी गई है। उन्होंने कहा कि 15वें वित्त आयोग के अन्तर्गत राजस्व संरक्षण ढांचा केवल पहले 27 महीनों के लिए उपलब्ध है। उन्होंने मामले पर विचार करने का आग्रह किया ताकि राज्य के राजस्व में वृद्धि हो सके।

जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में 1.50 लाख करोड़ रुपये की वन सम्पदा मौजूद है और वैज्ञानिक वनवर्धकीय कृषि कार्य व पारिस्थितिक व्यवहार्य वन लॉगिंग से राज्य में प्रतिवर्ष 4000 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कानूनों द्वारा वन सम्पदाओं के दोहन पर प्रतिबन्ध लगने के कारण प्रदेश को भारी राजस्व का घाटा उठाना पड़ रहा है। उन्होंने वित्त आयोग से इस राजस्व घाटे की भरपाई के लिए उचित मुआवजा प्रदान करने का आग्रह किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य को वर्ष 2014-15 में योजना आयोग से 3000 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे। उन्होंने 15वें वित्तायोग से आग्रह किया कि इस घाटे पर विशेष विचार किया जाए, जो पूर्व के वित्तायोग द्वारा समाप्त करने के परिणामस्वरूप प्रदेश को झेलना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य को विशेष श्रेणी में लाने के लिए विशेष प्रावधान किए जाने चाहिए।

जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य बाढ़, आकस्मिक बाढ़, बादल फटना, सूखा, वन्य अग्नि, शीत लहरों, हिमस्खलन इत्यादि जैसे विभिन्न खतरे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में इस वर्ष 17 सितम्बर तक मानसून के दौरान 1217 करोड़ रुपये का मौद्रिक नुकसान हुआ है। उन्होंने इस कठिन चुनौती से निपटने के लिए राज्य आपदा राहत निधि के लिए हर वर्ष 800 करोड़ रुपये की राशि आवंटित करने के लिए आयोग से आग्रह किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 14वें वित्तायोग ने सिफारिश की थी कि ग्रामीण स्थानीय निकायों को अनुशंसित सभी अनुदान सीधे ग्राम पंचायतों को दिए जाने चाहिए, जिससे चुन कर आए पंचायत समिति तथा जिला परिषद सदस्यों में नाराजगी उत्पन्न हुई।  उन्होंने आयोग से आग्रह किया कि वे जिला परिषद व पंचायत समितियों को कुछ अनुदान की सिफारिशें देने का अधिकार प्रदान करने पर विचार करें क्योंकि पंचायती राज संस्थाओं के अन्तर्गत दो स्तरों पर ऐसे प्रतिनिधियों को चुना गया है, जो न केवल योजनाएं बना सकते हैं बल्कि इन्हें स्थानीय स्तर पर उपयुक्त तरीके से लागू कर सकते हैं।

जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य में 27000 मैगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता है, जो देश की कुल जल विद्युत क्षमता का एक चौथाई है तथा राज्य ने इसमें से 10500 मैगावाट क्षमता का दोहन किया है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र विद्युत उत्पादक मौजूदा कम दर क्षमता के उपयोग और बिजली की बिक्री दर में गिरावट के कारण बिजली परियोजनाएं लगाने में रूचि नहीं ले रहे हैं। उन्होंने आयोग से जल विद्युत ऊर्जा के उत्पादन को बिना किसी ऊपरी सीमा के सौर ऊर्जा की तर्ज पर नवीकरणीय ऊर्जा घोषित करने का आग्रह किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पर्यटन की अपार संभावनाओं के चलते राजस्व तथा रोजगार सृजन के बेहतर अवसर मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि राज्य अपने सीमित संसाधनों के कारण इस क्षमता का पूरी तरह से दोहन नहीं कर पा रहा है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात राज्य में केवल 57 किलोमीटर रेल लाईनों का विस्तार किया गया है तथा राज्य में ऐसा कोई हवाई अड्डा नहीं है, जिसमें बड़े विमानों को उतारा जा सके। अतः उन्होंने आयोग से आग्रह किया कि राज्य में रेल नेटवर्क को बढ़ाया जाए तथा प्रदेश में बड़े हवाई अड्डों का निर्माण किया जाए, जिसमें बड़े विमान उतारे जा सके। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना प्रदेश के लोगों के लिए वरदान साबित हुई है, क्योंकि इसके अन्तर्गत प्रदेश में अधिकतम सड़कों का निर्माण किया गया है। उन्होंने कहा कि यहां इन सड़कों का रख-रखाव सबसे बड़ी समस्या है। उन्होंने कहा कि अन्य आधारभूत परियोजनाओं जैसे जल विद्युत, सिंचाई, पेयजल के रख-रखाव पर भारी मात्रा में धन की आवश्यकता है।

उन्होंने आयोग से राज्य में बन्दरों के आतंक की समस्या का समाधान करने में सहयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस समस्या के कारण राज्य के किसानों ने फसल लगाना बन्द कर दिया है जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि राज्य को बड़ी परियोजनाओं जैसे पौंग बांध, शानन परियोजना तथा भाखड़ा ब्यास प्रबन्धन बोर्ड से सम्बन्धित परियोजनाओं में अपना न्यायोचित हिस्सा नहीं मिला है। उन्होंने आयोग से इन मुद्दो का केन्द्र तथा दूसरे संबंधित प्रदेशों से बातचीत के माध्यम से हल निकालने का आग्रह किया।

वर्तमान प्रदेश सरकार की उपलब्धियों की जानकारी देते हुए जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य सिक्किम के बाद दूसरा बाह्य शौचमुक्त राज्य घोषित किया गया है। उन्होंने कहा कि हाल ही में राज्य को सुशासन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015-16 में राज्य के वन आवरण में 2.67 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा शुरू किया गया जन मंच  ज़मीनी स्तर पर लोगों की समस्याओं तथा उनके समाधान के लिए एक प्रभावी माध्यम साबित हुआ है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था का ग्रामीण स्वरूप इसकी विशेषता है तथा इसमें रोजगार के अवसर नगण्य हैं और इसी कारण प्रदेश का युवा रोजगार के लिए सरकार की ओर देखता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने रोजगार व जीविका के साधन बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाएं आरम्भ की हैं। मुख्यमंत्री युवा आजीविका योजना, दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल विकास योजना तथा कौशल विकास भत्ता आदि योजनाएं इसी दिशा में किया गया एक प्रयास है।

15वें वित्तायोग के अध्यक्ष श्री एन.के. सिंह ने आश्वासन दिया कि आयोग प्रदेश को धन का आवंटन करते समय राज्य सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न मुद्दों को ध्यान में रखेगा। आयोग के अन्य सदस्यों ने भी परिचर्चा में भाग लिया।        मुख्य सचिव विनीत चौधरी ने 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि राज्य ने इन वर्षों के दौरान अभूतपूर्व प्रगति की है तथा एक अविकसित राज्य से प्रदेश आज देश का अग्रणी राज्य बनकर उभरा है।

अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त अनिल कुमार खाची ने हिमाचल प्रदेश के संदर्भ में प्रस्तुति दी।  सचिव वित्त श्री अक्षय सूद ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया|  सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री महेन्द्र सिंह, खाद्य, नागरिक आपूर्ति मंत्री किशन कपूर, शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज, ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा, शहरी विकास मंत्री सरवीण चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार, ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर, उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ राजीव सैजल, 15वें वित्त आयोग के सदस्य श्री शक्तिकांत दास, डॉ अनूप सिंह, डॉ. अशोक लाहिरी और डॉ. रमेश चंद, आयोग के सचिव श्री अरविंद मेहता, अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह बी.के. अग्रवाल, अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी, अतिरिक्त मुख्य राजस्व एवं लोक निर्माण मनीषा नंदा, अतिरिक्त मुख्य सचिव पर्यटन  राम सुभग सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव वन तरुण कपूर, प्रधान सचिव और राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे।

 

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