मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज हिमाचल प्रदेश के निर्माता व प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. यशवन्त सिंह परमार की 112वीं जयंती के अवसर पर हिमाचल प्रदेश विधानसभा में पुष्पाजंलि अर्पित की। यह कार्यक्रम हिमाचल प्रदेश संसदीय समूह द्वारा आयोजित किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. परमार एक दूर-दृष्टा नेता थे, जिन्होंने न केवल प्रदेश को स्वतंत्र दर्जा प्रदान करने के लिए संघर्ष किया बल्कि उन्होंने प्रदेश के सुदृढ़ विकास की नीव भी रखी। उन्होंने कहा कि डॉ. परमार का प्रदेश के किसानों के कल्याण तथा समाज के कमज़ोर वर्गों के प्रति हमेशा संवेदनशील दृष्टिकोण रखते थे तथा उन्होंने हमेशा ही इनके समग्र विकास को प्राथमिकता दी। उन्होंने कहा कि इन्हीं के नेतृत्व में प्रदेश को अलग पहचान बनाने में सफलता मिली और हिमाचल प्रदेश भारतीय गणराज्य के 18वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया।
जय राम ठाकुर ने कहा कि डॉ. वाई.एस. परमार की जयंती को व्यापक स्तर पर मनाया जाएगा ताकि इसके आयोजन में अधिक से अधिक लोग शामिल हो सकें। उन्होंने कहा कि डॉ. वाई.एस. परमार के हृदय में हिमाचल प्रदेश की समृद्ध संस्कृति कूट-कूट कर भरी हुई थी और उनके जीवन व कार्य से प्रत्येक को सीख लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उनका प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि हमे अलोचना को सकारात्मक रूप में लेना चाहिए, क्योंकि यह लोकतंत्र की पहचान है। उन्होंने कहा कि इस महान दूरदृष्टा नेता को यही सच्ची श्रद्धाजंलि होगी हम प्रदेश के विकास व कल्याण के लिए एक जुट होकर कार्य करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. परमार ने प्रदेश में सड़कों के निर्माण पर सर्वोच्च प्राथमिकता दी क्योंकि वह मानते थे कि सड़के ही पहाड़ी राज्य के विकास की भाग्य रेखाएं हैं। उन्होंने कहा कि वे हमेशा ही समाज के गरीब वर्गों के कल्याण के प्रति प्रयत्नशील रहते थे। अपने इसी व्यक्तित्व के कारण डॉ. परमार ने प्रदेश के लाखों लोगों के हृदय में अमीर छाप डाली है। उन्होंने कहा कि विचारों में भिन्नता हो सकती है परन्तु इसमें किसी प्रकार का दुर्भाव नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें डॉ. परमार के जीवन व कार्य से प्रेरणा लेनी चाहिए।
इस अवसर पर डॉ. वाई.एस. परमार के जीवन चरित्र पर प्रस्तुति दी गई। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. राजीव बिन्दल ने कहा कि डॉ. वाई.एस. परमार एक जन नेता थे, जिनका लोगों से सीधा संवाद था। उन्होंने कहा कि डॉ. परमार द्वारा विधानसभा में दिए गए सभी वक्तव्य व भाषणों को विधानसभा द्वारा संकलित किया गया है। उन्होंने कहा कि डॉ. परमार को हिमाचली संस्कृति व जीवन शैली पर गर्व था और डॉ. परमार को प्रदेश के रीति-रिवाजों, संस्कृति और प्रदेश के लोगों की विकास की आवश्यकताओं का व्यापक ज्ञान था। उन्होंने इस अवसर पर डॉ. परमार की भाषणों के कुछ उद्धरण भी पढ़े।
विधानसभा के उपाध्यक्ष हंसराज ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए कहा कि डॉ. परमार न केवल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे बल्कि उन्होंने प्रदेश के विकास की सुदृढ़ नीव भी रखी। मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी डॉ. साधना ठाकुर, पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, सिंचाई एंव जन स्वास्थ्य मंत्री महेन्द्र सिंह, शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज, कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री, विधायकगण, विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष गंगूराम मुसाफिर तथा डॉ. राधारमण शास्त्री, पूर्व मंत्रीगण, नगर निगम शिमला की महापौर कुसुम सदरेट, उप-महापौर राकेश, डॉ. वाई.एस. परमार के स्पुत्र एवं पूर्व विधायक कुश परमार व उनके परिवार के सदस्यों ने भी डॉ. परमार को पुष्पाजंलि अर्पित की।
उपायुक्त शिमला अमित कश्यप, निदेशक सूचना एवं जन सम्पर्क अनुपम कश्यप, पुलिस अधीक्षक शिमला ओमापति जम्वाल, विधानसभा के सचिव यशपाल शर्मा व अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपिस्थत थे। इससे पहले, मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने रिज मैदान स्थित डॉ.वाई.एस. परमार की प्रतिमा पर पुष्पाजंलि अर्पित की। इस दौरान मुख्यमंत्री के साथ सिंचाई एंव जन स्वास्थ्य मंत्री महेन्द्र सिंह ठाकुर, शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज, विधायक राकेश सिंघा तथा इन्द्र सिंह, नगर निगम शिमला के महापौर कुसुम सदरेट, उप-महापौर राकेश शर्मा, एपीएमसी शिमला तथा किन्नौर के अध्यक्ष नरेश शर्मा, विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष गंगूराम मुसाफिर, उपायुक्त अमित कश्यप, सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के निदेशक अनुपम कश्यप, पुलिस अधीक्षक ओमापति जम्वाल, नगर निगम शिमला के पार्षदगण व अन्यों ने प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. वाई.एस. परमार की 112वीं के जयंती के अवसर पर उन्हें पुष्पाजंलि अर्पित की।इस अवसर पर सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के कलाकारों द्वारा भजन व देशभक्ति के गीतों का गायन भी किया।