ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व रखने वाला सराहां का तालाब अपनी पहचान खोता जा रहा है। कस्बे की शान माना जाने वाला यह तालाब कभी रंग बिरंगी मछलियों के लिए मशहूर हुआ करता था। जो अब बिन पानी के वीरान पड़ा है। मुख्य आकर्षणक केंद्र यहां की रंगबिरंगी मछलियां बरबस ही हर किसी को खींच लाती थी। तालाब में न तो अब मछलियां रही न ही पहले जैसा पानी रहा। आलम यह है कि हर कोई इसका जमकर दोहन करने में लगा है। तालाब की धार्मिक आस्था को दरकिनार कर अपनी स्वार्थ सिद्धि में लगे हैं। इस अव्यवस्था के चलते यह ऐतिहासिक तालाब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहता है। यदि प्रशासन ने समय रहते इसकी सुध नहीं ली तो यह बीते जमाने की बात हो जाएगी।
शिरगुल देवता की ऐड़ी से अस्तित्व में आए सराहां के तालाब को कभी यहां की शान माना जाता था। वामन द्वादशी पर्व पर श्रद्धालु इसकी पूजा करते हैं। तालाब की खासियत यह है कि भयंकर से भयंकर सुखा भी यह बड़ी आसानी सा झेल जाता। तालाब में ख्वाजा महाराज का वास माना जाता है। लेकिन कुछ लोगों ने तालाब को डस्टबिन बना डाला और धीरे धीरे इसमें कूड़ा डालना एक फैशन बन गया। इसी बीच कुछ लोगों ने तालाब में रंगबिरंगी मछलियों डाल दी जो छोटा मोटा कूड़ा तो चट कर जाती लेकिन बाकि बचा कूड़ा इसकी सुंदरता को ग्रहण लगाता रहता।
जैसे जैसे सराहां की आबादी बढ़ रही है पानी को लेकर इस तालाब पर दबाव बढ़ गया है। भवन बनाने से लेकर खेतीबाड़ी तक के लिए सभी को यही तालाब कामधेनु सिद्ध हो रहा है नतीजतन गर्मियों में पानी का स्तर काफी कम हो जाता है। अढाई बिघा क्षेत्र में फैले इस तालाब की कभी सफाई नहीं हो पाई लेकिन गत वर्ष आज ही के दिन ग्राम पंचायत ने इस तालाब की सफाई शुरु की। तालाब से सैंकड़ों तन गाद निकाली गई जिसे पूरा भरने में समय लग रहा है। अब प्रशासन को चाहिए कि विरासत में मिली इस ऐतिहासिक धरोहर के अस्तित्व को बचाने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं।