पच्छाद हल्के के सराहां स्थित सिविल अस्पताल में उजागर हुई अव्यवस्था को लेकर चर्चा में आए स्वास्थ्य विभाग को यही पता नहीं है कि मोटी सैलरी लेने वाले उसके डॉक्टर आखिर कहां हैं। सिविल अस्पताल से डॉक्टर के कई दिनों से गायब होने के बाद बागथन का मामला सामने आया है। अभी विभाग इस मामले को सुलझाने में लगे थे कि बागथन में सामने आई अजीबोगरीब घटना ने उसे और बड़ी परेशानी में उलझा दिया है। पीएचसी से पिछले कई दिनों से डॉक्टर गायब है लेकिन विभाग अनजान बना हुआ है। जनता के साथ खुलेआम हो रहे इस धोखे से स्वास्थ्य विभाग तो अनजान है ही सत्ताधारी नेता भी मौन धारण किए हुए हैं। विपक्षी नेता कभी कभार विधायक के मार्फत इन मसलों को उठाते तो जरूर हैं लेकिन कोई प्रभावी कदम उठाने में अक्सर संकोच करते प्रतीत होते हैं।
हिमाचल निर्माता के गांव में पिछली भाजपा सरकार ने करीबन 65 लाख का भवन बनाया जिसका शुभारंभ तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री डॉ बिंदल ने किया था। आलिशान बने पीएचसी भवन को आजतक डॉक्टर नहीं मिल पाया। यहां तैनात डॉ की ट्रांसफर के बाद सालों तक पद खाली रहा। मजबूरन क्षेत्र के मरीजों को बंगाली डॉ की शरण लेनी पड़ती है। यहां स्वास्थ्य लाभ नहीं मिलने पर मरीजों को सोलन या फिर नाहन जाना पड़ता है। वैसे तो बागथन को राजनीती का गढ़ माना जाता है लेकिन इस मामले में न तो कोई आंदोलन हुआ न ही कोई रोष प्रदर्शन किया गया। गत अक्टूबर माह में यहां एक डॉक्टर ने ज्वाइन अवश्य किया उसके बाद कभी मरीजों को उनके दर्शन नहीं हुए। स्थानीय लोगों की माने तो उसके बाद उन्हें 14 नवम्बर को होने वाले बाल दिवस कार्यक्रम में देखा गया था।
स्थानीय निवासी कुशल चौहान, सतपाल, संजय, सुनील ने बताया कि कई बार स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीयों को बागथन पीएचसी में डॉक्टर व फार्मासिस्ट के खाली पदों को लेकर मांग की गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। अस्पताल से डॉक्टर गायब है और अधिकारीयों को कोई पता नहीं जबकि यहां मरीजों को राम भरोसे छोड़ा गया है विभाग को उनकी कोई फ़िक्र नहीं है। अस्पताल में मिडवाइफ के अलावा दो चतुर्थ श्रेणी कर्मी हैं जो मरीजों को देखने को मजबूर हैं।
सीएमओ डॉ संजय शर्मा ने बताया कि बागथन के डॉ को एक सप्ताह के लिए ददाहू अस्पताल भैजा गया था लेकिन न तो वह ददाहू गए न ही बागथन हाजिर हुए। मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं साथ ही बीएमओ को तत्काल सम्बंधित डॉ की सैलरी रोकने के निर्देश दे दिए गए हैं।