शर्मा आरडी- पच्छाद के गलानाघाट सीसे स्कूल में स्टाफ का अभाव कुछ इस कदर है चल रहा है कि जो शिक्षक एक बार बदल गया उसकी जगह दूसरा कोई नहीं आता। इस अव्यवस्था के चलते स्कूल बगैर स्टाफ के होता जा रहा है। कोई सुधार न होता देख बच्चे लगातार स्कूल छोड़कर दूसरे स्कूलों में शरण ले रहे हैं। स्कूल में कुल 11 पड़ खाली पड़े हैं। इस गंभीर मसले पर आखिर सत्ताधारी दल के नेता क्यों चुप हैं।
हल्के के घिन्नीघाड क्षेत्र में वर्ष 2001 में अस्तित्व में आया गलानाघाट एक ऐसा स्कूल है जहां जियोग्राफी का पद भरा ही नहीं गया। जबकि जूनियर एसिस्टेंट 2006 से, प्रवक्ता कॉमर्स व वरिष्ठ सहायक का पद वर्ष 2007 से, पीटीआई का पद 2008 से खाली पड़ा है। स्कूल में कॉमर्स विषय का कोई प्रवक्ता नहीं है जिस कारण किसी भी बच्चे ने यहां एडमिशन नहीं लिया लेकिन जो यहां अध्ययनरत थे वे भी स्कूल छोड़ चूके हैं। इंग्लिश प्रवक्ता के अलावा टीजीटी मेडिकल, नॉन मेडिकल व टीजीटी आर्ट्स के पद खाली हैं। स्कूल में लाइब्रेरियन का पद भी खाली है। एक तरह से यह स्कूल राम भरोसे चल रहा है। विभागीय उदासीनता के चलते बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है।
स्थानीय लोग गलानाघाट सीसे स्कूल में सांईस विषय शुरू करने की मांग कर रहे हैं लेकिन यहां तो पहले ही सभी विषयों से संबंधित स्टाफ नहीं है। स्कूल में 189 बच्चे अध्ययनरत हैं जबकि गत वर्ष यहां बच्चों की संख्या 225 थी। यही हाल रहा तो स्कूल में बच्चों की संख्या और अधिक बढ़ सकती है। हाल ही में स्कूल में हुई एसएमसी की बैठक में इस पर गंभीर चिंतन किया गया जहां तय हुआ कि सरकार को इससे अवगत करवाया जाए। इस पर स्थानीय लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष गंगू राम मुसाफ़िर से मिल चूका है।
स्कूल के प्रिंसिपल जगजीत सिंह राणा ने माना कि स्कूल में लगातार स्टाफ घटता जा रहा है। उन्होंने इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को दे दी है।