वन माफिया से सुरक्षित नहीं जंगल, सिरमौर में लाखों की वन सम्पदा बनी मिटटी |

जिला के घिन्नी घाड़ क्षेत्र की सराहां-चंडीगढ़ सड़क पर लावारिस पडी चीड़ की लकड़ी को देखकर एक बार तो हर कोई चोंक जाता है। लकड़ी की हालत देखकर हैरानी होती है कि आखिर कोई इसकी सुध क्यों नही ले रहा है। खुले में पड़ी यह लकड़ी बरसात के बाद और ज्यादा खराब हो जाएगी। वन सम्पदा का इस तरह बर्बाद होना कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है।

गौरतलब है कि जिले में चीड़ के जंगल बहुतायत हैं लेकिन जंगल माफिया के बढ़ते साम्राज्य से इन पर खतरा मंडरा रहा है। बिरोजे की अवैध निकासी चीड़ के जंगलों के लिए घातक सिद्ध हो रही है जिसके चलते हर साल हजारों पेड सुख जाते हैं। यही नहीं जगल की आग से चीड़ के पेड़ टूट जाते हैं। सूखे व टूट चुके पेड़ों को निगम के हवाले कर दिया जाता है। लवासा चौकी-जामन की सेर के जंगल से चीड़ के सूखे पेड़ कटवाए गए थे।

कॉर्पोरेशन के मण्डलीय प्रबन्धक यशुदीप सिंह ने बताया कि इस लॉट के ठेकेदार ने मनमर्जी कर नियमों का उलन्घन किया जिस पर इस लॉट को केंसिल कर दिया गया। लापरवाही बरतने पर ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। चीड़ के सूखे पेड़ों की पूरी रिकवरी ठेकेदार से की जाएगी। यशुदीप सिंह एमडी वन निगम नाहन।

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