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हिमाचल प्रदेश की वर्ष 2018-19 के लिए 6300 करोड़ रुपये आकार की वार्षिक योजना स्वीकृत

JASVIR SINGH HANS by JASVIR SINGH HANS
7 years ago
in हिमाचल प्रदेश
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(जसवीर सिंह हंस )  मुख्यमंत्री  जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आज यहां आयोजित राज्य योजना बोर्ड की बैठक में वर्ष 2018-19 के लिए 6300 करोड़ रुपये की वार्षिक योजना स्वीकृत की गई। योजना में 10.51 फीसदी की बढ़ौतरी की गई है और यह पिछले वर्ष के 5700 करोड़ रुपये के मुकाबले 600 करोड़ रुपये अधिक है।

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वार्षिक योजना में सामाजिक सेवा क्षेत्र, परिवहन तथा संचार, कृषि एवं सम्बद्ध गतिविधियों, ऊर्जा, सिंचाई तथा बाढ़ नियंत्रण इत्यादि को अतिरिक्त प्राथमिकता प्रदान की गई है।सामाजिक सेवा क्षेत्र के लिए 2548 करोड़ रुपये का प्रावधान प्रस्तावित है और 1095 करोड़ रुपये के प्रावधान सहित परिवहन तथा संचार को दूसरे स्थान पर रखा गया है। तीसरी प्राथमिकता कृषि तथा सम्बद्ध गतिविधियों को दी गई है और इसके लिए 844 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित किया गया है, जबकि ऊर्जा क्षेत्र के लिए 682 करोड़ रुपये प्रस्तावित हैं। सिंचाई तथा बाढ़ नियंत्रण के लिए 431 करोड़ रुपये, सामान्य आर्थिक सेवाओं के लिए 285 करोड़ रुपये, जबकि अन्य क्षेत्रों में 415 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नाबार्ड से ऋण पोषित ग्रामीण अधोसंरचना विकास निधि (आर.आई.डी.एफ)के अंतर्गत 653 करोड़ रुपये की राशि प्रस्तावित है। उन्होंने कहा कि इसके अंतर्गत सड़कों तथा पुलों के लिए 368 करोड़, ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं के लिए 130 करोड़, लघु सिंचाई योजनाओं के लिए 110 करोड़, सूक्ष्म सिंचाई तथा पॉलीहाउस के अलावा बाढ़ नियंत्रण तथा खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति क्षेत्रों के लिए 38 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित है।

वाही मुख्यमंत्री श्री जय राम ठाकुर ने वार्षिक योजना को स्वीकृत करने के लिए आयोजित राज्य योजना बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा हालांकि, वार्षिक योजना को प्रस्तावित करना तथा अनुमोदित करवाना पुरानी परम्परा है, लेकिन हमें कुछ अलग से करने की आवश्यकता है, जो अभी तक नहीं किया गया है। हमें उन क्षेत्रों के विकास के लिए कार्य करना होगा, जिनकी अभी तक चर्चा तक नही होती है। अन्य मुख्य क्षेत्रों के साथ-साथ पर्यटन, युवा सेवाएं एवं खेल तथा निजी उत्पादकों के लिए सरल मानदण्डों के साथ जल विद्युत उत्पादन पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि महज पुरानी परम्पराओं पर चल कर जिन उपलब्धियों को हासिल नहीं किया गया है, को हासिल करने के लिए हमें ‘लीक से परे’ सोचने की आवश्यकता है ताकि जिसे प्राप्त नहीं किया गया हो, उसे प्राप्त किया किया जा सके। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से बजट सत्र में 13 से 15 नई योजनाओं को लेकर आने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ‘मुझे पता है कि हमारे पास इसके लिए सीमित संसाधन हैं, लेकिन हम इन परियोजनाओं के लिए एजेंसियों अथवा केन्द्र सरकार की सहायता से धनराशि का प्रावधान कर सकते हैं,’ लेकिन हमें नई सोच के साथ प्रस्तावों को प्रस्तुत करना होगा।

वर्तमान तंत्र में सुधार और उसे सुदृढ़ बनाए जाने की आवश्यकता पर बल देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज यह समय की मांग है कि ऐसे क्षेत्रों की पहचान की जाए, जिनमें हम बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं अथवा अन्य राज्यों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैंं। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि यद्यपि हिमाचल अनेक क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है फिर भी, इनमें और अधिक कार्य करने की आवश्यकता है।

प्रदेश में लोगों के अनुरोध पर बिना सोचे-समझे शिक्षण संस्थान खोले जाने की घोषणा करना अथवा खोलने की स्वीकृति प्रदान करने पर चिन्ता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि बहुत से ऐसे खोले गए संस्थानों में गत 10 वर्षों से आज तक अमल नहीं हुआ है। यहां तक कई स्वास्थ्य व शिक्षण संस्थानों में आवश्यक स्टॉफ भी उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए आवश्यकता के आधार पर संस्थान खोलने की बात कही।

कुछ क्षेत्रों में बिना सोचे समझे विस्तार पर विराम लगाए जाने की आवश्यकता पर बल देते हुए श्री जय राम ठाकुर ने कहा कि हमें गुणवत्ता पर अधिक ध्यान देना चाहिए तथा अनावश्यक बोझ और देनदारी खड़ी करने से बचना चाहिए। उन्होंने भविष्य में अनुत्पादक खर्चों से सावधान रहने को कहा। उन्होंने कहा कि कई स्कूल बिना अध्यापक के पद सृजित किए ही खोल दिए गए और इसी प्रकार स्वास्थ्य संस्थान भी बिना स्टाफ के खोल दिए गए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी यह गलत सोच है कि ऐसे संस्थान खोलने की घोषणाएं करने अथवा बिना सोचे समझे संस्थान खोले जाने से कोई विकास होता है। उन्होंने कहा कि विकास के लिए सही दिशा में पर्याप्त प्रयास तथा प्रतिवद्धता की आवश्यकता होती है। उन्होंने इस बात का ध्यान रखने पर बल दिया कि संस्थान खोलते समय हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके लिए पर्याप्त बुनियादी सुविधाएं और पर्याप्त स्टॉफ उपलब्ध हो और साथ ही पर्याप्त धन भी उपलब्ध हो।

प्रदेश में विद्यमान पर्यटन विकास की सम्भावनाओं पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अक्सर हम पर्यटन विकास पर बड़ी-बड़ी बाते करते हैं, लेकिन देखने में आया है कि कभी किसी ने यह प्रयास नही किया कि पर्यटन विकास की बड़ी परियोजनाओं पर कैसे कार्य किया जाए। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि ऐसी परियोजनाओं को बाहरी एजेंसियों से धन कैसे उपलब्ध करवाया जाए और इनके लिए अधोसंरचनात्मक सुविधाएं कैसे सृजित की जाएं।

प्रदेश में विद्यमान 27000 मैगावाट विद्युत क्षमता का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी तक मात्र 10500 मैगावाट का ही दोहन हो पाया है। उन्होंने कहा कि कई परियोजनाएं वर्षों से अधर में लटकी पड़ी हैं, जिन पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने निजी निवेशकों की भागीदारी को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि इसके लिए मापदण्डों को और सरल बनाना होगा, ताकि निवेशक इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश के लिए राजी हो। उन्होंने कहा कि निजी निवेशकों की व्यापक भागीदारी से ही इस राज्य को ऊर्जा राज्य बनाया जा सकता है।

हिमाचल प्रदेश भू-अधिनियम की धारा-118 का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस धारा के तहत प्रतिबन्धों के कारण निजी निवेशकों को पेश आ रही दिक्कतों पर विचार विमर्श किया जाएगा, ताकि इस प्रदेश में विकास और लोगों के हित में सन्तुलन बनाए रखते हुए आगे बढ़ा जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के व्यापक हित के साथ सरकार कभी समझौता नही करेगी, क्योंकि उनके लिए लोगों के हित सर्वोपरी हैं।  उन्होंने इस बात पर बल दिया कि विकास की गति को बनाए रखने के लिए जहां भी आवश्यक हुआ, प्रतिबन्धों पर विचार विमर्श करके इनमें ढील दी जा सकती है ताकि यह प्रदेश विकास मामलों में अन्य राज्यों की बराबरी कर सके।

प्रदेश में कृषि क्षेत्र पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषकों के हितों की रक्षा करना सरकार की प्राथमिकता है तथा उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में भी ऐसे नए क्षेत्रों की पहचान की जानी चाहिए कि जहां निजी निवेशकों को आमंत्रित किया जा सके। उन्होंने कहा कि जब भी बदलाव की बात होती है, उसका या तो स्वागत होता है अथवा विरोध, परन्तु हमें इन चुनौतियों का सामना करते हुए प्रदेश के लोगों के हित में आर्थिक परिदृश्य को बदलने के लिए और अधिक सत्त रोज़गार के अवसर सृजित करने होंगे, ताकि लोगों के जीवन स्तर को ऊॅंचा उठाया जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार लोगों के हितों की रक्षा करने और वह प्रदेश कि हित में बेहतर विकासात्मक योजनाएं बनाने में पूरी तरह सक्षम है। उन्होंने इस बात पर बल कि हमें पर्यटन सहित अन्य प्राथमिकता वाले सभी क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए उन राज्यों का भी अनुसरण करना चाहिए, जिन्होंने ऐसे क्षेत्रों में पहले ही उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने अधिकारियों से इस दिशा में कार्य करने के निर्देश दिए।

प्रदेश में निवेश के लिए प्रतिस्पर्धात्मक वातावरण बनाए जाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि ऐसा करने से युवाओं का सशक्तिकरण होगा और उन्हें रोज़गार के अवसर भी मिलेगे। उन्होंने ऐसे अधिकारियों को प्रोत्साहित करने की भी बात कही जो लीक से हट कर कुछ करने और सोचने का मादा रखते हो।

खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री  किशन कपूर, शिक्षा मंत्री  सुरेश भारद्वाज, शहरी विकास मंत्री  सरवीण चौधरी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री विपिन सिंह परमार, वन मंत्री  गोविंद सिंह ठाकुर, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. राजीव सैजल ने बैठक में अपने बहुमूल्य सुझाव दिए।मुख्य सचिव श्री विनीत चौधरी, अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त डॉ. श्रीकांत बाल्दी तथा अन्यों सहित राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।

 

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