मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज यहां इंस्टिच्यूशन ऑफ इंजीनियरज (भारत) के हिमाचल प्रदेश राज्य केन्द्र और राष्ट्रीय कौशल विकास फोरम (एनएसडीएफ) एवं जी.ई. टी एण्ड डी इंडिया लिमिटेड के सहयोग से आयोजित ‘हिमालय ग्रिड के आधुनिकीकरण’ विषय पर आयोजित कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कहा कि प्रदेश में लोगों को 24 घण्टे विद्युत आपूर्ति प्रदान करने और ग्रिड को और अधिक बेहतर और कुशल बनाने के लिए नई तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह संस्था क्षेत्र के इंजीनियरों के कौशल विकास में अहम भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा कि प्रकृति ने प्रदेश को विद्युत ऊर्जा संभावनाओं से नवाजा है। आज तक देश में कुल 45000 मेगावॉट क्षमता का दोहन हुआ जिसमें हिमाचल का योगदान 11000 मेगावॉट क्षमता का है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में उपलब्ध ऊर्जा संभावनाओं के दोहन के लिए प्रतिबद्ध है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत निगम लिमिटेड (एचपीएसईबीएल) और हिमाचल प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अलावा जी.ई. टी एण्ड डी इंडिया लिमिटेड प्रदेश की ग्रिड अंधोरचना के आधुनिकीकरण के लिए 515 करोड़ रुपये की परियोजनाएं कार्यान्वित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं में वांगटू, गुम्मा, उर्नी, देहां, बरसैन और हाटकोटी में गैस इन्सूलैटिड सबस्टेशन की स्थापना प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि परियोजनाओं के पूरे होते ही इनसे राज्य में ऊर्जा की बढ़ती मांग पूरी होगी और इसे अंतरराज्य बिजली ट्रांसमिशन परियोजनाओं के माध्यम से राष्ट्रीय ग्रिड से भी जोड़ा जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘एक राष्ट्र एक ग्रिड’ का सपना है जिसकी पूर्ति के लिए कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्मार्ट ग्रिड तकनीक के माध्यम से बिजली की आपूर्ति को सुचारू बनाया जा सकता है तथा बेहतर ट्रांसमिशन सुविधाएं विकसित करके इससे संचालन व प्रबंधन के खर्च में भी कमी आएगी। उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर बिजली भी उपलब्ध होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए नई तकनीकों को अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने ‘ट्रांसमिशन लॉस’ को कम करने के लिए ट्रांसमिशन लाइनों के स्तरोन्यन पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि आगामी बिजली परियोजनाओं से पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचे तथा कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में अक्षय ऊर्जा को प्रोत्साहन प्रदान कर रही है।
जय राम ठाकुर ने एनएसडीएफ और इंस्टिच्यूशन ऑफ इंजीनियरज हिमाचल प्रदेश को कार्यशाला के आयोजन पर बधाई देते हुए, कहा कि यह कार्यशाला इंजीनियरों को नई तकनीक से अवगत करवाने में मील पत्थर साबित होगी तथा इससे राज्य को भी लाभ पहुंचेगा।
जी.ई. टी एण्ड डी इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक सुनील वाधवा ने कहा कि ज्ञान का आदान-प्रदान समाज व देश के विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आज का युग तकनीक का युग है तथा हमारा मुख्य लक्ष्य डिजीटाइजेशन ही होना चाहिए।
राष्ट्रीय कौशल विकास फोरम के अध्यक्ष ई. सुनील ग्रोवर ने कहा कि इंस्टिच्यूशन ऑफ इंजीनियरज (इंडिया) हिमाचल केन्द्र का मुख्य लक्ष्य तकनीकी विशेषज्ञों को एक मंच पर लाना और ज्ञान के आदान-प्रदान से उनका कौशल उन्नयन करना है।
अध्यक्ष इंस्टिच्यूशन ऑफ इंजीनियरज (इंडिया) हिमाचल प्रदेश राज्य केन्द्र ई. आर.के. शर्मा ने मुख्यमंत्री तथा अन्य गणमान्यों का इस अवसर पर स्वागत किया। उन्होंने कहा कि नौ लाख से अधिक इंजीनियर इंस्टिच्यूशन ऑफ इंजीनियरज (इंडिया) से जुड़े हुए है। उन्होंने कहा कि राज्य केन्द्र की स्थापना 1988 में हुई थी और इसके लगभग चार हजार सदस्य हैं। प्रबंध निदेश एचपीएसईबीएल जे.पी. काल्टा और एस.एन. कपूर भी इस अवसर पर उपस्थित थे।