( जसवीर सिंह हंस ) आचार्य देवव्रत ने कहा कि गुरुकुल शिक्षा पद्धति एक उत्तम विचारधारा है, जहाँ बच्चों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित बनाया जाता है। राज्यपाल आचार्य देव्रवत, जो गुरुकुल कुरुक्षेत्र के संरक्षक भी हैं आज विद्यालय के वार्षिक शिक्षा उत्सव की अध्यक्षता करते हुए अभिभावकों को सम्बोधित कर रहे थे। गुरुकुल शिक्षा उत्सव में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे।
राज्यपाल ने अभिभावकों से फर्जी गुरुकुलों से सचेत रहने की अपील करते हुए कहा कि केवल गुरुकुल शब्द लगा देने से कोई संस्थान गुरुकुल विचारधारा से परिपूर्ण नहीं हो जाता है। उन्होंने कहा कि पिछले कई वर्षों से अभिभावकों के दवाब के चलते उन्होंने गुरुकुल की तर्ज पर गुरुकुल नीलोखेड़ी और लड़कियों के लिए अम्बाला स्थित चमनवाटिका कन्या गुरुकुल की स्थापना की है। इन संस्थानों में आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ बच्चों के स्वास्थ्य और संस्कार पर भी विषेश ध्यान दिया जाता है। उन्होंने कहा कि भविष्य में अभिभावकों की मांग के अनुरुप और गुरुकुल स्थापित किये जाएंगे।
उत्सव के दौरान हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर ने कहा कि उन्होंने गुरुकुल कुरुक्षेत्र की काफी चर्चा सुनी थी लेकिन आज उन्होंने यहाँ आकर गुरुकुल को उससे भी बढ़कर पाया है। प्राचीन भारतीय परम्परा के साथ-साथ यहाँ आधुनिक शिक्षा भी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि समय के साथ पीछे छूट गयी हमारी संस्कृति, संस्कार एवं परम्पराओं को पुनर्स्थापित करने में गुरुकुल कुरुक्षेत्र महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और इसका श्रेय विशेष तौर पर राज्यपाल आचार्य देवव्रत को जाता है।
मुख्यमंत्री श्री जय राम ठाकुर ने कहा कि गुरूकुल में प्राचीन शिक्षा प्रणाली तथा आधुनिक शिक्षा का बेहतरीन समावेश है, जिससे एक जिम्मेदार, संस्कारी तथा बेहतर समाज का निर्माण सुनिश्चित होगा। उन्होंने कहा कि गुरूकुल ने राज्यपाल आचार्य देवव्रत के मार्गदर्शन में नई उॅंचाईयां हासिल की हैं। उन्होंने कहा कि हमारा देश एक समय ‘विश्व गुरू’ के नाम से जाना जाता था, क्योंकि उस समय संस्कारों पर विशेष बल दिया जाता था। उन्होंने विश्वास जताया कि गुरूकुल उस खोयी हुई प्रतिष्ठा को पुनः अर्जित करने में सहायक सिद्ध होगा।
उन्होंने कहा कि गुरूकुल न केवल शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय कार्य कर रहा बल्कि शून्य लागत प्राकृतिक खेती को अपनाने बारे पूरे विश्व को मार्ग दिखाने का अग्रणी कार्य भी कर रहा है। उन्होंने कहा कि समूचे देश में गुरूकुल के इस उदहारण का अनुसरण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2018-19 के लिए प्रस्तावित बजट में राज्य में शून्य लागत प्राकृतिक खेती के प्रोत्साहन के लिए 25 करोड़ रुपये का विशेष प्रावधान किया है। उन्होंने कहा कि यह खेती न केवल शुद्ध, सुरक्षित तथा लाभकारी है बल्कि इससे किसानों की आर्थिकी में भी सुधार आएगा।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शून्य लागत प्राकृतिक खेती को प्रदेश में बड़े तौर पर अपनाना सुनिश्चित बनाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य कृषि विभाग तथा कृषि एवं बागवानी विश्वविद्यालय के अधिकारियों के एक दल ने हाल ही में गुरूकुल का दौरा किया तथा प्रदेश में शून्य लागत प्राकृतिक खेती के प्रोत्साहन के लिए अपने सुझाव दिए।
मुख्यमंत्री ठाकुर ने कहा कि हिमाचल सौभाग्यशाली है कि उन्हें ऐसे कर्मशील राज्यपाल का मार्गदर्शन मिला है, जो सामाजिक सरोकार के विभिन्न विषयों को लेकर हर समय जन चेतना अभियान चलाए हुए हैं। उन्होंने राज्यपाल की शून्य लागत प्राकृतिक कृषि के अभियान का विश्ेष तौर पर जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की मुख्यमंत्रियों के साथ हाल ही में आयोजित बैठक में उनके इस महत्त्वपूर्ण अभियान का भी जिक्र किया गया। उन्होंने कहा कि गत दिवस उन्होंने गुरुकुल के प्राकृतिक कृषि पर आधारित उद्यान का भ्रमण किया तथा आज गुरुकुल परिसर में स्थापित विभिन्न संकायों का अवलोकन कर वह दंग रह गये। यहां राज्यपाल के 35 वर्षों के अथक प्रयास स्पष्ट झलकते हैं और राष्ट्र निर्माण में संस्कारित शिक्षा पद्धति उनकी उल्लेखनीय उपलब्धि है।
मुख्यमंत्री ने गुरूकुल के परिसर में स्थित शुटिंग रेंज में 10 मीटर की निशानेबाजी में भी हाथ आजमाया तथा 20 में से 18 अंक प्राप्त किए। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की इस प्रतिभा की सराहना करते हुए कहा कि आपका निशाना तो अचूक है।
गुरुकुल कुरुक्षेत्र के प्राचार्य कर्नल अरुण दत्ता ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और विद्यालय की विभिन्न गतिविधियों से अवगत कराया। इससे पूर्व राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को तथा गुरुकुल प्रधान कुलवन्त सिंह सैनी ने हिमाचल भाजपा अध्यक्ष सतपाल सत्ती को स्मृति-चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री ने सामूहिक रूप से गुरुकुल के वार्षिक कैलेण्डर का विमोचन किया। मंच संचालक नंदकिशोर आर्य ने गुरुकुल के इतिहास एवं राज्यपाल आचार्य देवव्रत के गुरुकुल निर्माण में योगदान की जानकारी दी।
राज्यपाल के ओएसडी डॉ. राजेन्द्र विद्यालंकार, प्रमुख उद्योगपति राकेश जैन, माइक्रोटेक के चेयरमैन सुबोध गुप्ता, सह-प्राचार्य शमशेर सिंह तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।