( जसवीर सिंह हंस ) स्कूली बच्चों के लिए प्रयोग किए जाने वाले प्रत्येक वाहन के चालक को वाहन चलाने का कम से कम पांच वर्ष का अनुभव होना चाहिए और यातायात नियमों की उल्लघंना को लेकर चालक का कोई पूर्व रिकॉर्ड नहीं होना चाहिए। इसके अलावा, बच्चों को स्कूल ले जाने व वापिस घर लाने से जुड़े सुरक्षा प्रावधानों का कुशलता से क्रिर्यान्वयन किया जाना चाहिए। यह बात मुख्यमंत्री श्री जय राम ठाकुर ने आज यहां ओकओवर में निजी स्कूलों से जुड़े यातायात सुरक्षा मुद्दों के सम्बन्ध में राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि निजी स्कूलों द्वारा बच्चों के यातायात के लिये प्रयुक्त बसों, टैक्सियों व आवागमन के अन्य साधनों के लिए मौजूदा कानून तथा दिशा-निर्देशों के नियमन को मजबूत करने पर विशेष बल दिया जाना चाहिए। उन्हांने कहा कि वाहन चालकों द्वारा यातायात नियमों की किसी भी प्रकार की उल्लंघना पर उनके साथ सख्ती से पेश आना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्कूली बच्चों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले वाहनों के लिए उपयुक्त परमिट होने चाहिए। उन्होंने कहा कि सुरक्षा उपायों की उल्लंघना की समस्या से निपटने के लिए सम्बन्धित अधिकारियों को जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।
जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य में निजी स्कूलों से जुड़े यातायात सुरक्षा मुददों के नियमन के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया हैं, जो चार दिनांं के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, ताकि सिफारिशों को अन्तिम रूप दिया जा सके तथा विद्यार्थियों की सुरक्षा सुनिश्चित बनाने के लिए नियमों को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके।
उन्होंने कहा कि सीबीएसई, माननीय सर्वोच्च न्यायालय तथा आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण द्वारा जारी सभी दिशा-निर्देशों को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी स्कूल बसें नई होनी चाहिए अथवा अच्छी दशा में हों तथा सक्षम अधिकारियों द्वारा निर्धारित मानदण्डों के अनुरूप हों। उन्होंने कहा कि मौजूदा कानूनों की निगरानी तथा क्रियान्वयन के लिए प्रभावी फीडबैक तंत्र होना चाहिए। उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों द्वारा संचालित सभी बसों में पीला रंग होना चाहिए तथा हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसें, जिन्हें स्कूल बस के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, के आगे तथा पिछले भाग में बड़े अक्षरों में ‘स्कूल बस’ लिखा होना चाहिए।
बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रदेश में स्कूल आने-जाने की सुरक्षित व्यवस्था हेतु सभी विद्यालयों को आवश्यक दिशा-निर्देश तुरन्त तैयार किए जाएं तथा उन्हें तुरन्त प्रदेश मंत्रिमण्डल के समक्ष विचार प्रस्तुत किए जाए। इसके अतिरिक्त, वाहनों के निरीक्षण हेतु प्रदेश भर में आगामी 10 दिन में व्यापक अभियान चलाया जाएगा। इन स्कूल बसों एवं अन्य शिक्षण संस्थानों की बसों व अन्य वाहनों का निरीक्षण क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी एवं उप-मण्डलाधिकारी नागरिक व पुलिस अधिकारी द्वारा किया जाएगा, जिसे हर तीन माह के अन्तराल पर दोहराया जाएगा। इस प्रकार के वाहनों की पासिंग के नियमों को और अधिक सख्त बनाने पर भी विचार किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बसों की निर्धारित क्षमता से अधिक बच्चों अथवा सवारियों को बैठाने पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए प्रयुक्त की जाने वाली बसों में प्राथमिक चिकित्सा उपचार बॉक्स, आग बुझाने के यंत्र इत्यादि जैसे सभी आवश्यक उपकरण होने चाहिए। उन्होंने बच्चों की सुरक्षा के लिए सभी कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों के सुरक्षित यातायात के लिए अभिभावकों तथा स्थानीय समुदायों को शामिल करने के लिए निजी स्कूलों द्वारा उठाए जाने वाले कदमों की सिफारिशें भी समिति द्वारा तय जानी चाहिए।मुख्य सचिव एवं समिति के अध्यक्ष श्री विनीत चौधरी ने मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया कि समिति अपने सुझाव तय समय सीमा के भीतर सौंपेगी।
शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज, महाधिवक्ता अशोक शर्मा, अतिरिक्त मुख्य सचिव मनीषा नन्दा व राम सुभग सिंह, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व व्यवस्था) अनुराग, हि.प्र. पथ परिहवन निगम के प्रबन्ध निदेशक सन्दीप भटनागर, निदेशक परिवहन बी.सी. बडालिया, विधि सचिव यशवन्त सिंह चोगल, उपायुक्त अमित कश्यप, पुलिस अधिक्षक ओमापति जम्वाल, प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक मनमोहन शर्मा भी इस अवसर पर उपस्थित थे।