( धनेश गौतम ) नेपाल की सांसद एवं नेपाल सहकारिता फैडरेशन की उपाध्यक्ष ओम देवी मल्ला ने कहा है कि कुल्लू की शॉल का मॉडल नेपाल की धरती पर उतारा जाएगा। उन्होंने कहा कि यहां पर आकर भुट्टिको बुनकर सोसायटी में जो उन्होंने सीखा है वह उससे प्रभावित हुई है और अब नेपाल जाकर इसी तरह का काम किया जाएगा और नेपाल में भी बुनकर सोसायटियों को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि वहां पर भी पावरलूम से सहकारिता से जुड़े लोग मुकाबला कर सके।
उन्होंने कहा कि नेपाल में सहकारिता आंदोलन को सरकार ने तीसरा स्तंभ माना है और सहकारिता पर बल दिया जा रहा है। भारत की सरकार को यहां की सहकारिता आंदोलन को और बढ़ावा देना चाहिए क्योंकि यहां पर पहले से ही सहकारिता देश की आर्थिकी की रीढ़ बनी हुई है और लाखों लोग इससे रोजगार कमा रहे हैं। उन्होंने कहा कि नेपाल में 34500 सहकारी सभाएं पंजीकृत हैं जबकि इनमें से 4000 सहकारी सभाएं महिलाएं चला रही हैं। उन्होंने कहा कि नेपाल में जो सहकारी सभाएं हैं वे छोटी-छोटी हैं लेकिन भारत में बड़ी-बड़ी सहकारी सभाएं मौजूद हैं।
उन्होंने कहा कि हमने सीखा है कि सहकारी संस्था के लिए नहीं बल्कि जनता व सदस्यों के लिए होती है। उन्होंने खेद व्यक्त किया कि हिंदुस्तान में पहले 35 करोड़ बुनकर थे लेकिन वर्तमान में मात्र 50 लाख बुनकर बचे हैं इसकी ओर सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि नेपाल में जाकर सरकार व फैडरेशन में यह प्रस्ताव रखेगी कि कुल्लू की बुनकर सोसायटियों की तर्ज पर वहां पर भी ऐसी सोसायटियों को बल दिया जाए।
उन्होंने कहा कि इसके लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। नेपाल की सांसद एवं नेपाल सहकारिता फैडरेशन की उपाध्यक्ष ओम देवी मल्ला यहां ठाकुर वेद राम जयंती पर भाग लेने आई थी। उन्हें यहां पर ठाकुर वेद राम अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया। उन्होंने कहा कि मुझे बहुत ज्यादा खुशी है कि उन्हें सहकारिता के युग पुरूष के नाम का अवार्ड मिला है। इससे उनकी जिम्मेबारी और बढ़ जाती है और वह यहां से बहुत कुछ सहकारिता क्षेत्र के मामलों को सीख कर गई है।
उन्होंने कहा कि ठाकुर वेद राम सच में सहकारिता के युग पुरूष थे और वर्तमान में सत्य प्रकाश ठाकुर सहकारिता आंदोलन को जो बढ़ावा दे रहे हैं वह सराहनीय कार्य है। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति अपने लिए सोचता है लेकिन सहकारिता औरों के लिए सोचती है। इसी उद्देश्य पर भुट्टिको सोसायटी चली हुई है। भुट्टिको सोसायटी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से एक हजार से अधिक लोगों को रोजगार दे रही है और आज इस सोसायटी ने कुल्लू के हस्त बुनकर व हथकरघा उत्पादों को देश-विदेश में पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि नेपाल में भी सहकारिता आंदोलन के तहत बहुत सारे उत्पाद तैयार हो रहे हैं लेकिन उनके पास मार्किट की कमी है। उन्होंने कहा कि नेपाल में भी हाथों से तैयार उत्पादों को पहनकर वहां के लोग गर्व महसूस करते हैं। जिस दिन नेपाल के उत्पादों को अच्छी मार्किट मिलेगी उस दिन वहां की आर्थिकी भी मजबूत होगी।