एक ऐसी घटना जिसने देवभूमि को दुनियाभर में शर्मसार किया। एक बच्ची की आवरू ही नहीं लूटी बल्कि बेटी का बेरहमी से कत्ल भी कर डाला। देवभूमि की शांति को हवस के दरिंदों ने अशांत कर दिया और पूरे प्रदेश में असुरक्षा का माहौल बनाया।
यही नहीं घटना देखकर हर एक का दिल पसीज उठा और कलेजा कांपने लगा। हर मां-बाप इस खौफनाक घटना से आज तक सहमें हुए हैं और बेटियों की सुरक्षा के लिए चिंतित तो है ही साथ ही चौकने भी हो गए। पूरी हिमाचल सरकार इस घटना से बैकफुट पर आ गई और सता से भी बाहर होना पड़ा।
आज तक गुडिय़ा मामले में प्रदेश ही नहीं देशभर के लोग न्याय मांगने की गुहार लगा रहे हैं। यही नहीं पूरा पुलिस महकमा कटघरे में खड़ा हो गया और खाकी पर भी दाग लगे। मामला यहीं नहीं रूका और प्रदेश के 8 पुलिस अधिकारी व कर्मचारी सलाखों के पीछे गए।
प्रदेश पुलिस से मामला छूट गया और देश की सबसे बड़ी एजेंसी सीबीआई मामले की गुत्थी सुलझाने में आज तक लगी हुई है। सीबीआई ने थाने के लॉकअप में मारे गए सूरज के आरोप में पुलिस के बड़े अधिकारियों से लेकर छोटे अधिकारियों को जेल में डाला लेकिन अब जो मामला सामने आया है वह भी हैरतअंगेज है।
पहले पुलिस ने जिन लोगों को गुडिय़ा मामले में दोषी करार दिया था उन्हें बाहर कर दिया गया और अब तलाश थी असली बलात्कारियों व हत्या आरोपियों की। लेकिन हाल ही में गुडिय़ा मामले में सीबीआई ने जिस लकड़हारे (चिरानी) को इस मामले में गिरफ्तार किया है उससे ऐसा लग रहा है कि खोदा पहाड़ निकली चुहिया। अब सवाल कई खड़े हो गए हैं।
पूरे प्रदेश की जनता के दिल में यह बात शायद ही उतर रही हो कि इतने हाईप्रोफाइल मामले का हत्याआरोपी व बलात्कारी एक लकड़हारा है। यदि सीबीआई की यह अंतिम गिरफ्तारी है या फिर इसी लकड़हारे पर आरोप साबित हो जाते हैं तो संभाविक तौर पर प्रश्र उठेंगे ही और उठने भी लगे हैं। सवाल अब यह उठने लगे हैं कि क्या लकड़हारा नीलू ही मुख्य आरोपी है।
यदि नीलू ही मुख्य अरोपी है तो प्रदेश पुलिस के नौजवान जेल में क्यों। क्या लकड़हारा नीलू इतना प्रभावशाली था कि प्रदेश पुलिस के उच्चतर पद पर बैठे हुए अधिकारी को मामला छुपाना पड़ा और लकड़हारे की जगह किन्हीं औरों को आरोपी बनाना पड़ा। क्या लकड़हारा नीलू इतना प्रभावशाली था कि पुलिस को नीलू को बचाने के लिए सूरज की हत्या थाने के ही लॉकअप में करनी पड़ी।
आखिर प्रदेश की पुलिस नीलू को क्यों बचाएगी। सवाल अब यह भी खड़े हुए हैं कि जिन प्रभावशाली लोगों के फोटो इस मामले में सोशल मीडिया में सामने आए थे और बाद में वे रिमूव करने पड़े थे क्या उनकी छानवीन नहीं हुई। अब सवाल यह भी खड़ा हो गया है कि क्या उस वक्त दाल काली थी या फिर इस वक्त पूरी दाल काली है।
उस वक्त प्रदेश में कांग्रेस व देश में भाजपा सतासीन थी लेकिन आज देश व प्रदेश दोनों में भाजपा सतासीन है और जिस भाजपा ने गुडिय़ा मामले को मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया था क्या वह भी यही मानती है कि लकड़हारा नीलू ही मुख्य आरोपी हो सकता है। जिस मामले ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया सता का परिवर्तन करवाया और गुडिय़ा को अभी तक इन्साफ न मिला हो तो लोगों के जहन में प्रश्र तो उठेंगे ही।
जिस विपक्ष ने होहल्ला मचाया था कि इस मामले में प्रभावशाली लोगों का हाथ है और गुडिय़ा को इन्साफ नहीं मिल रहा है तो जनता अब प्रश्र पूछ रही है कि लकड़हारा नीलू क्या इतना प्रभावशाली था कि इस पूरे मामले में किसी प्रभावशाली आरोपी के सामने न आने से जनता के जहन में सवाल उठ रहे हैं और जनता ने न तो तब पुलिस पर विश्वास किया था और न ही अभी सीबीआई पर विश्वास हो रहा है।
यदि नीलू इस प्रकरण की पहली कड़ी है और अभी और आरोपी गिरफ्तार होने हैं तो सीबीआई पर जनता का विश्वास जरूर बनेगा। लेकिन यदि नीलू ही असली व आखिरी आरोपी है तो शायद जनता के गले से यह बात नहीं उतरेगी। गौर रहे कि 6 जुलाई 2017 को गुडिय़ा का शव तांदी जंगल में मिला था।
पुलिस ने 6 आरोपियों को पकड़कर गिरफ्तार किया था। इस दौरान एक आरोपी सूरज की थाने में ही पिटाई के कारण मौत हो गई। उस समय जनाक्रोश इस कदर भड़का कि आरोप लगे कि सरकार प्रभावशाली व मुख्य आरोपी के बचाव में है और बेगुनाहों को गिरफ्तार किया गया है। तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने मामला सीबीआई को सौंपा।
सीबीआई ने सूरज हत्याकांड में आईजी एसपी सहित 8 पुलिस वालों को सलाखों के पीछे भेजा। पुलिस ने जिन आरोपियों को गुडिय़ा प्रकरण में शामिल किया था सीबीआई ने उन्हें मुजरिम नहीं माना। अब सीबीआई ने एक लकड़हारे को गिरफ्तार किया है। हम यूं नहीं कह रहे हैं कि नीलू मुख्य आरोपी नहीं हो सकता है लेकिन यदि नीलू ही मुख्य आरोपी है तो सवाल कई खड़े हो चुके हैं। धनेश गौतम की तीखी टिप्पणी