केंद्र के अधिकारियो के साथ पशुपालन डेयरी और मत्स्य पालन योजनाओं की प्रगति की समीक्षा

( जसवीर सिंह हंस )  तरूण श्रीधर, सचिव, , भारत सरकार ने अपने एक दिन के प्रवास पर मत्स्य निदेशालय हिमाचल प्रदेश में विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक का आयोजन किया । सचिव, पशुपालन डेयरी और मत्स्य पालन विभाग, भारत सरकार का पद ग्रहण करने के बाद पहली बार प्रदेश  के प्रवास पर पधारे तरूण श्रीधर का निदेषक एवं प्रारक्षी, मत्स्य सतपाल मैहता ने अन्य विभागीय अधिकारियों के साथ स्वागत किया।

निदेशक एवं प्रारक्षी, मत्स्य सतपाल मैहता ने विभागीय गति विधियों से सचिव, पशुपालन डेयरी और मत्स्य पालन विभाग, भारत सरकार को अवगत करवाया और विभागीय कल्याणकारी योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की। श्रीधर, सचिव, पशुपालन डेयरी और मत्स्य पालन विभाग, भारत सरकार ने विभाग द्वारा की जा रही लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु किये जा रहे प्रयासों में और गति लाने के निर्देश  दिये।

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उन्होंने कहा कि आज मछली पकड़ने की नई तकनीक और उपकरण बाजार में आ रहे हैं जिन्हें हिमाचल में कैसे प्रयोग किया जाए इसके लिए विभाग को कार्य करना चाहिए। उन्होंने मछली को बाजार में ले जाने से पूर्व उसकी गुणवत्ता, ताजगी और उसे कैसे स्वच्छ वातावरण में रख कर बाजार में बेचा जाए पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि इससे पहले कि प्रदेश  के मछुआरों को इस बारे में विषेष प्रषिक्षण दिया जाए पहले विभाग के अधिकारी देष में उपलब्ध मात्स्यि की के क्षेत्र में अनुसंधान कर रहे संस्थानों से प्रषिक्षण प्राप्त करें जिस क लिए केन्द्र सरकार कर संभव मदद को तैयार है।

उन्होंने कहा कि केन्द्रीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, कोची के सहयोग से मछली के उत्पाद बनाने की विधि से भी मछुआरों को आवष्यक प्रषिक्षण देने की आवष्यकता है ताकि मछुआरे अपने उत्पाद स्वयं तैयार कर बाजार में विक्रय के लिए भेज सकें। उन्होंने मछली पकडने के बाद उसकी गुणवत्ता व ताजगी पर जोर देते हुए कहा कि हमें अपने पुराने मछली पकडने के तरीकों में सुधार लाना चाहिए और पकडी गई मछली को कम से कम हाथ स्पर्श  हो ऐसी हमें कोशिश  करनी चाहिए ताकि मछली को देर तक ताजा रखा जा सके। ट्राउट पालन के क्षेत्र में विभाग द्वारा किये जा रहे प्रयासों पर उन्होंने कहा कि हमें यदि प्रदेष को ट्राउट राज्य बनाना है तो नई नई ट्राउट प्रजातियों को पालन करना पडेगा और पडोसी राज्य जम्मू कष्मीर के साथ मिलकर अपने ट्राउट के पशुधन को अनुसंधान की दृष्टि से आदान प्रदान करना चाहिए।

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