(जसवीर सिंह हंस) आज सुबह शिलाई में सडक पर चलते हुए 108 बदहाल वयवस्था में मरीजो की से खिलवाड़ कर रही के टायर निकल गये लोगों की मदद के लिए सुर्खियों में रहने वाली जीवनदायिनी 108 एम्बुलेंस सेवा स्वयं खस्ताहाल है. सरकार द्वारा चलाई गई 108 एंबुलेंस सेवा आज बदहाली का शिकार हो चुकी हैं। इसी का उदाहरण आज उस समय देखने को मिला जब शिलाई में एक एम्बुलेंस सही तरीके से मेंटेनेंस के अभाव में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। 108 एंबुलेंस कर्मियों शिकायत करने के बावजूद गाड़ी ke सर्विस नहीं करवाई गयी थी |
हालाँकि पायलट की सूझबुझ से एक बड़ा हादसा टल गया. जानकारी के मुताबिक शिलाई अस्पताल से एम्बुलेंस (HP-63-4257) पेशेंट लेने हेतु हंलला की और जा रही थी। इस बीच रास्ते में ही एम्बुलेंस का पट्टा टूट गया इस्ससे पहले की कोई बड़ा हादसा होता पायलट ने एम्बुलेंस को बीच सडक में ही पलट दिया। लेकिन अगर घटना के समय एम्बुलेंस में मरीज होता तो जानी नुक्सान भी हो सकत था। इससे पहले भी शिमला में 108 एंबुलेंस के दुर्घटनाग्रस्त होने से भी ई एम् टी व पायलट की मौत हो चुकी है परन्तु 108 एंबुलेंस चलाने वाली कम्पनी ने कोई सबक नहीं लिया |
इससे पहले 18 फरवरी को भी स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार ने सोलन जिले के दाड़लाघाट के समीप 108 एंबुलेंस (एचपी-63-4288) को अचानक रोककर स्वयं भीतर जाकर देखा तो वह हैरान रह गए। एंबुलेंस में आवश्यक जीवनरक्षक सुविधाएं न होने का परमार ने कड़ा संज्ञान लेते हुए एंबुलेंस संचालन कंपनी जीवीके के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए, साथ ही उन्होंने पूछा कि क्यों न कंपनी के टेंडर रद किए जाएं।
हेल्थ मिनिस्टर ने कहा कि उस समय एक दिन पहले ही 108 सेवाओं की समीक्षा के दौरान उन्हें बताया गया था कि वाहन में 31 जैनरिक दवाएं, ऑक्सीजन के दो सिलेंडर तथा तीन स्ट्रेचर उपलब्ध रहते हैं, जबकि मौके पर कुछ एक इन्जेक्शन को छोड़कर वाहन में कोई भी दवा नहीं थी और न ही ऑक्सीजन सिलेंडर था।
केवल छोटे-छोटे दो स्ट्रेचर पड़े थे। यहीं नही गंभीर दुर्घटना की स्थिति में वाहन में 21 औजार उपलब्ध होने की बात भी उन्हें बताई गई थी, लेकिन वाहन में कोई ऐसा उपकरण नहीं था और वाहन में धूल भी जमी थी। परमार ने 108 एंबुलेंस राष्ट्रीय सेवा की खराब हालत और इसमें सुविधाओं की कमी पर कड़ा संज्ञान लेते हुए विशेष सचिव स्वास्थ्य को दूरभाष से एंबुलेंस संचालन कम्पनी जीवीके के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने इस संबंध में दो दिन के भीतर रिपोर्ट देने को भी कहा था ।
कल भी जिला सिरमोर के गगिरिपार क्षेत्र शिलाई मैं दौरे में आए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा के शिलाई दौरे को निराशजनक बताया था व कहा था कि शिलाई की जनता को शिलाई जैसे दुर्गम क्षेत्र के लिए स्वास्थ्य केंद्र में बहुत कुछ उम्मीदें केंद्र स्वच्छता मंत्री से थे वही जगह प्रकाश नड्डा ने शिलाई की जनता को पूरी तरह निराश किया है |
शिलाई का स्वास्थ्य केंद्र मात्र दो डॉक्टरों के सहारे चला हुआ है जबकि सैकड़ों लोग रोज इलाज के लिए शिलाई स्वास्थ्य केंद्र पहुंचते हैं तथा शिलाई क्षेत्र में रोजाना एक-दो एक्सीडेंट होते रहते हैं क्योंकि यह पहाड़ी इलाका है और यहां पर ऐसे घटनाएं लगभग होती रहती है शिलाई के इस स्वास्थ्य केंद्र में ना तो लोगों को ऑक्सीजन की सुविधा मिलती है और ना ही बच्चों के इलाज के लिए कोई शिशु रोग विशेषज्ञ है |
शिलाई जैसे दुर्गम क्षेत्र के के लिए सरकार के द्वारा विशेष इंतजाम करना चाहिए वही पर ऐसा कुछ भी नहीं हो पाया स्थानीय भाजपा विधायक उनकी तारीफे कर रहे हैं नेताओं व मंत्रियों की अपने दुर्गम क्षेत्र में पूरी सेवाएं की जा रही है लेकिन क्षेत्र की समस्याओं का निवारण करने का कोई विचार नहीं कर रही है |