आजादी के 70 सालों में पहली बार, दुल्हन डोली से नहीं मारूति कार से पहुंची ससुराल..

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सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन…! अक्सर कहा जाता है कि यह जनपद नटनी के शाप से ग्रस्त है। सड़क, बिजली, पानी,  शिक्षण और स्वास्थ्य संस्थाओं का अभाव यह सब इस क्ष़्ोत्र के लोगों का भाग्य बन चुका था। किन्तु हालात अब बदलने लगे हैं। राजनीतिक इच्छा शक्ति और विकास के प्रति लोगों में जागृति के कारण धीरे-धीरे हालात सामान्य होते प्रतीत हो रहे हैं।
नाहन जनपद से करीब 10-12 किलोमीटर दूर धारटी क्षेत्र की देवका पुड़ला पंचायत का एक गांव है टीब। इस गांव की खासियत यह है कि यह गांव  दशकों तक पेयजल और सड़क सुविधा से वंचित रहा। रियासतकाल में करीब 150 साल पूर्व इस गांव को भूप सिंह ने बसाया गया था। यह गांव भूतपूर्व सैनिकों का गांव है और परिवार के एक युवा एवं जांबाज जवान ने ‘आपरेशन रक्षक’ के दौरान जम्मू कश्मीर में शहीदी पाई थी। इस गांव में अधिकांश एक ही परिवार के वंशज रहते हैं। 10 फौजी परिवार सहित करीब साहित 15 परिवारों वाला यह गांव सड़क और पेयजल की सुविधा के लिए दशकों तक तरसता रहा।
सड़क की कमी के कारण बीमार और बुजुर्गों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए पीठ पर उठा कर मुख्य सड़क तक लाना पड़ता था। गांव की स्थिति यह थी कि यहां होने वाले सामाजिक आयोजनों जैसे विवाह-शादी आदि के समय रिश्तेदार यहां आने से कतराते थे।
संभवत इस क्षेत्र के इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना है। पहली बार कोई दुल्हन काठ के डोले में बैठकर नहीं बल्कि मारूति में बैठकर ससुराल पहुंची है। इससे पूर्व जितनी भी बहुएं गांव आई सब डोले में बैठकर चटटानों और गहरी खाइयों के बीच से होते हुए थर-थर कांप कर अपने ससुराल पहुंचती थी।
इसी बीच, सौभाग्यवश नाहन के विधायक डा. राजीव बिंदल के पास क्षेत्र के कुछ जागरूक लोग पहुंचे। उन्होंने टीब गांव तक सड़क निर्माण का आग्रह किया। डा. बिंदल ने अपनी कार्यशैली के अनुरूप उपायुक्त और अन्य सम्बन्धित अधिकारियों को फोन मिलाया और तुरंत सड़क निर्माण के आदेश दिए।
किन्तु यह सब इतना आसान नहीं था। यह सड़क जंगल-झाडि़यों और ढांक से होकर गुजरनी थी। पर मन में कुछ करने की लालसा हो तो कार्य हो ही जाता है। गांव के लोगों ने डा. बिंदल का मार्गदर्शन पाकर सड़क के सपने को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया।
सर्वप्रथम गांव वालों ने 93 हजार रुपये एकत्रित कर एफआरए राशि वन विभाग में जमा करवाई। इस सम्पर्क मार्ग के निर्माण पर बहुत ज्यादा धनराशि व्यय नहीं हुई। केवल 3.50 लाख रुपये सड़क निर्माण की लागत आई। किन्तु इस सड़क को बनने में 70 वर्ष क्यों लगे यह सोचने वाली बात है। 70 सालों तक गांव के लोगों को सड़क सुविधा से वंचित रखा गया यह सरासर गांव वालों के साथ अन्याय नहीं तो और क्याा है।
देवका पुड़ला के पूर्व प्रधान नरेश कहते हैं- ‘‘यह सब डा. राजीव बिंदल की देन है। वर्ना आज तक किसी ने इस गांव में सड़क के बारे में नहीं सोचा। हम आभारी हैं डा. बिंदल ने काटल और टीब गांव तक सड़क पहुंचा कर गांव वालों को भारी राहत दी है।’’
उधर, टीब गांव के पूर्व सैनिक प्रेम थापा उर्फ बिटटू कहते हैं- ‘‘गांव में पहली बार सड़क पहुंची और दुल्हन काठ के डोले की बजाए मारूति में बैठकर ससुराल आई। हमारे बजुर्गों ने करीब 150 साल पहले इस वीरान क्षेत्र में आकर बसने का निर्णय लिया था। संभवत उनका निर्णय आज के हम जैसे लोगों पर भारी पड़ रहा था।’’
गांव की युवा गृहिणी एवं पूर्व वार्ड मेम्बर सपना कहती हैं….. ‘‘यह सड़क केवल सड़क नहीं है, यह हमारी भाग्य रेखा है जो गांववासियों का जीवन बदल देगी। हमें बच्चों को स्कूल छोड़ने और बीमार को अस्पताल पहुंचाने में भारी दिक्कते होती थी। किन्तु अब सड़क बनने से सब कुछ आसान गया है।’’
विधानसभा अध्यक्ष डा. राजीव बिंदल कहते हैं- ‘‘टीब जैसे उपेक्षित गांवों तक सड़क, बिजली और पानी की मूलभूत सुविधाएं देना हमारी प्राथमिकता है। धारटी क्षेत्र अभी भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। टीब गांव के लिए सड़क की मांग लेकर जब गांव के कुछ जागरूक लोग मेरे पास पहुंचे तो मैंने उन्हें शीघ्र सड़क सुविधा प्रदान करने का वचन दिया था।’’
बहरहाल…! सोमवार यानि 30 अप्रैल 2018 का दिन। टीब गांव के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा।
विधानसभा अध्यक्ष डा. बिंदल ने अधिकारियो की टीम के साथ 3.50 लाख रुपये से निर्मित आशाराम तापड़-काटल-टीब संपर्क सड़क का लोर्कापण करते हुए सड़क का नामकरण ‘‘शहीद नरेश थापा संपर्क मार्ग’’ करने की घोषणा की। उन्होंने सड़क लिए दो लाख रुपये देने की घोषणा  के साथ टीब गांव के लिए एक बोरवैल खोदने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए आईपीएच विभाग को आदेश दिए।

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