प्रकृति का शोषण नही बल्कि आवश्यकतानुसार दोहन किया जाए

( जसवीर सिंह हंस ) प्रकृति के पास मनुष्य के जीवन यापन के लिए अनमोल खजाना मौजूद है तथा मनुष्य को प्रकृति का शोषण नहीं बल्कि आवश्यकतानुसार ही दोहन करना चाहिए तभी जैव विविधता एवं पर्यावरण का सरंक्षण संभव होगा ।यह उदगार विधानसभा अध्यक्ष डॉ0 राजीव बिंदल ने आज यहां जिला परिषद के सभागार में हिप्र राज्य जैव विविधता बोर्ड के सौजन्य से “ जैव विविधता को मुख्य धारा में लाना- लोगों  और उनकी आजिविका को कायम रखना “ नामक विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए । इससे पहले उन्होने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यशाला का शुभारंभ किया । इस एक दिवसीय कार्यशाला में त्रिस्तरीय पंचायतीराज प्रणाली के पदाधिकारी तथा वन विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने भाग लिया ।

डॉ0 बिंदल ने कहा कि जैव विविधता का कम होना एक विश्वव्यापी समस्या उत्पन्न होने लगी है जिस प्रकार मनुष्य द्वारा अवैज्ञानिक तौर पर प्रकृति का दोहन किया जा रहा  है उससे प्रकृति का पारिस्थितिकीय असंतुलन बढ़ रहा है जोकि चिंता एवं चिन्तन का विषय है । उन्होने कहा कि प्रकृति में असंख्य प्रकार की अमूल्य वनस्पतियां मौजूद है जिनका उपयोग औषधियों के निर्माण में किया जा रहा है परन्तु जिस प्रकार कुछ लोगों द्वारा प्रकृति  का अवैज्ञानिक तरीके से निष्ष्कर्षण किया जा रहा है उससे ग्लोबल वार्मिग जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है ।

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उन्होने कहा कि कालांतर में अनाज, पेड़-पौधों इत्यादि की अनेक किस्में हुआ करती थी परन्तु जिस प्रकार वर्तमान में रासायनिक खादों का फसलों में आवश्यकता से अधिक उपयोग किया जा रहा है उससे जहां मनुष्य के शरीर में पोषक तत्व की कमी आने लगी है वहीं पर जैव विविधता के मायने भी समाप्त होने के कागार पर आ गए है । इसी प्रकार बुजुर्ग लोग जलवायु के आधार पर पेड़ पौधे लगाते थे और वन मनुष्य की आवश्यकताओं को पूरा करते थे । उन्होने कहा कि जिस प्रकार वनो का कटान हो रहा है और पेड़ पौधों का रोपण कम हो गया है, यह सब विनाश के कारण बनने लगे है ।

डॉ0 बिंदल ने हिप्र राज्य जैव विविधता बोर्ड के अधिकारियों का नाहन में एक दिवसीय शिविर लगाने के लिए आभार व्यक्त किया और कहा कि लोगों को अब जैव विविधता के सरंक्षण के लिए आगे आना होगा और जिला के पंचायत स्तर पर इस अभियान को एक जन आन्दोलन का रूप देना होगा तभी इस कार्यशाला का उददेश्य सार्थक होगा । उन्होने कहा कि सिरमौर जिला की कुल 228 पंचायतों में से केवल 48 पंचायतों में जैव विविधता समितियां गठित हुई है जिसे शत प्रतिशत करना जरूरी है जिसके गठन के लिए उन्होने वन विभाग को आवश्यक निर्देश दिए ।

डॉ0 बिंदल ने त्रिस्तरीय पंचायत पदाधिकारियों को जानकारी दी कि कोई भी व्यक्ति किसी भी क्षेत्र से जैव इत्यादि सामग्री का संबधित क्षेत्र की पंचायत एवं जैव विविधता समिति की अनुमति के बिना निर्यात नहीं किया जा सकता है जोकि एक कानूनी जुर्म है । उन्होने पंचायत पदाधिकारियों का आहवान किया कि जैव विविधता के सरंक्षण के लिए अपना रचनात्मक योगदान अपने घर व गांव से आरंभ करें तभी जैव विविधता का सरंक्षण एवं संवर्धन संभव होगा ।

उपायुक्त सिरमौर श्री ललित जैन ने कहा कि विविधता के कारण ही आज विकास संभव है तथा जिस योजना को जन प्रतिनिधि अपनाते है वह पूर्ण रूप से सफल होती है। उन्होंने जन प्रतिनिधियों का आहवान किया कि जिला सिरमौर की 228 ग्राम पंचायतों में 31 मई, 2018 तक प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर जैव विविधता प्रबंधन कमेटी गठित करना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि ऐसा न करने पर जिला प्रशासन द्वारा दी जाने वाली विभिन्न योजनाऐं संबंधित पंचायत को स्वीकृत नहीं की जाएगी।

हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव श्री कुणाल सत्यार्थी ने मुख्यातिथि को शॉल टोपी तथा स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश मंे 3306 जैव विविधता प्रबंधन समितियों का गठन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस जैव विविधता प्रबंधन समिति में सात लोग होंगे जिनमंे एक अध्यक्ष एक उपाध्यक्ष तथा पांच सदस्य होगे। उन्होंने कहा कि इस समिति को अपनी पंचायत की जैव विविधता संबंधी हर गतिविधि एक रजिस्टर मंे दर्ज करनी होगी। उन्होंने कहा कि जैव विविधता से संबंधित लाभ का 95 प्रतिशत भाग ग्राम पंचायत को मिलेगा। उन्होंने हिमाचल प्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड की गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी।

इस अवसर पर जैव विविधता बोर्ड के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ0 पंकज शर्मा, विनित नेगी, मुख्य अरणयपाल नाहन आर के गुप्ता, जिला के जिला परिषद सदस्य, बीडीसी सदस्य, ग्राम पंचायतों के प्रधान तथा उप-प्रधानों के अतिरिक्त वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी भी उपस्थित थे।

 

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