( धनेश गौतम ) सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मनाली लेह मार्ग पर सात महीने के बाद रविवार को यातायात बहाल हो गया है। यह मार्ग बहाल होते ही जहां लेह-लद्दाख के लोग कुल्लू-मनाली से जुड़ जाएंगे वहीं, लद्दाख में रह रहे हमारे सैनिकों के लिए रसद और खाद्द आपूर्ति पहुंचाने में मदद मिलेगी।
यहां यह बता दें कि 38 सीमा सड़क संगठन ने मार्च महीने में रोहतांग बहाली का कार्य शुरू किया था और 4 अप्रैल को रोहतांग दर्रे पर यातायात बहाल किया था। तत्पश्चात सीमा सड़क संगठन ने दारचा से सरचु तक यातायात बहाल करने का कार्य आरंभ किया था। 38 सीमा सड़क संगठन के कमांडर एके अवस्थी ने बताया कि पिछले सालों के मुकाबले में इस साल तकरीबन तीन सप्ताह पहले मनाली-सरचु रोड़ पर यातायात बहाल किया गया है।
उन्होंने बताया कि बारा-लाचा-ला और लाचुंला में अभी भी 20 से 25 फुट ऊंची बर्फ की दीवारें हैं जिससे काटकर सड़क निकालना कतई आसान काम नहीं था। उन्होंने कहा कि सीमा सड़क संगठन के जवानों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए शुन्य से कम तापमान पर समय से पहले इस मार्ग पर यातायात बहाल कर सराहनीय कार्य किया है।
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बीआरओ दीपक परियोजना के चीफ इंजीनियर सेना मेडल प्राप्त ब्रिगेडियर डीके त्यागी ने भी सरचु तक का दौरा किया और सीमा सड़क संगठन के जवानों को समय से पहले मार्ग बहाली पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस मार्ग को 2019 तक डबल लेन कर चकाचक किया जाएगा। लेह मार्ग का मनाली से सरचु तक का भाग बीआरओ के दीपक परियोजना के पास रहता है जबकि सरचु से लेह तक के भाग में बीआरओ की हिमांक परियोजना बर्फ हटाने के कार्यों को अंजाम देती है।
बीआरओ डीजी लेफ्टिनेट जनरल हरपाल सिंह ने मनाली दौरे के दौरान मनाली-लेह मार्ग को समय पर डबललेन करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि रोहतांग सुरंग के बाद तीन अन्य दर्रों पर टनल निर्माण की योजना है। उन्होंने कहा कि शिंकुला दर्रे के निचे टनल निकालने के लिए रक्षा मंत्रालय काफी गंभीर है उम्मीद की जानी चाहिए कि दो साल के अंदर- इस टनल का निर्माण कार्य भी शुरू होगा।