शुगर मिल से निकले शीरा ब्यास दरिया में मिलने से हजारों मछलियां की मौत।

( अनिलछांगू ) हिमाचल के साथ लगते व हिमाचल के जिला कांगडा के निचले ईलाके से पौंगवांध से पंजाव कीड़ी अफगाना स्थित चड्ढा शुगर मिल से निकला शीरा ब्यास दरिया में मिलने से हजारों मछलियां मर गईं। वहीं, जंडियाला गुरु के चिट्‌टा शेर इलाके में 30 गायों की मौत हो गई।

प्रशासन ने 8 जिलों में अलर्ट जारी कर मछली न खाने की अपील की है। बताया जा रहा है कि चड्ढा शुगर मिल को पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड ने सील कर दिया है। गुरुवार को शीरा दरिया में मिल गया। इससे गुरुवार सुबह हजारों मछलियां मारी गईं। पर्यावरण मंत्री ओपी सोनी ने जांच होने तक मिल को बंद करवा दिया है।

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ब्यास दरिया हरिके में सतलुज से मिलता है। ये पानी राजस्थान फीडर और फिरोजपुर फीडर को जाता है।
अमृतसर के डीसी कमलदीप सिंह के अनुसार शीरा की मात्रा ज्यादा होने से पानी में ऑक्सीजन कम हो गई। यह जहरीला कैमीकल नहीं है। दम घुटने से मछलियों की मौत हुई है। वहीं, अभी तक न कोई मरी हुई और न ही कोई जिंदा डाल्फिन मिली है।

गुरदासपुर, अमृतसर और तरनतारन में इसका असर देखने को मिल सकता है। अधिकारियों ने लोगों से पानी इस्तेमाल न करने तथा मछलियां भी न खाने की अपील की है। इसके साथ ही पंजाब कैबिनेट मंत्री ओपी सोनी ने आदेश दिए हैं कि जांच होने तक मिल बंद रहेगी। पौंग डैम से 1000 क्यूसिक और पानी छोड़ा गया है ताकि शीरे का असर कम हो सके। इसके साथ ही कहा गया है कि इस पानी से पशुओं को भी न नहलाएं। बता दें कि ब्यास में मछलियों की कई प्रजातियां जैसे डगरा, गौद, सोल, मल्ली, संगाड़ा पाई जाती हैं।

मरने वाली मछलियों में सबसे अधिक संख्या इन्हीं प्रजातियों की है। ब्यास दरिया में डॉल्फिन-घड़ियाल को लेकर चिंताब्यास दरिया में इंडस रीवर प्रजाति की डॉल्फिन भी हैं। 3 से 6 मई तक किए गए सर्वे में इनकी संख्या 12 से ज्यादा पाई गई थी। वर्ल्ड वाइड फंड फार नेचर इंडिया (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया) के सहयोग से वन एवं जीव सुरक्षा विभाग के विशेषज्ञों ने 185 किलोमीटर स्ट्रेच में तलवाड़ा हेडवर्क्स से हरिके नोज तक यह सर्वे किया था।

पानी में शीरा मिलने से इन डॉल्फिन को कोई नुकसान पहुंचा है या नहीं, गुरुवार शाम तक इसकी जांच जारी थी। फॉरेस्ट विभाग का कहना है कि फिलहाल उन्हें कोई मरी हुई डॉल्फिन नहीं मिली। हालांकि जिंदा डॉल्फिन भी नजर न आने से अधिकारी चिंतित हैं। कुछ महीने पहले दरिया में 47 घड़ियाल भी छोड़े गए थे। किसी घड़ियाल के मरने की भी कोई जानकारी नहीं है।

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