वन मंत्री गोविन्द ठाकुर ने आज यहां पर्यावरणीय पर्यटन की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि ईको पर्यटन का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित बनाया जाना चाहिए ताकि हिमाचल इस क्षेत्र में एक अग्रणी राज्य बन सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रमुख ईको गंतव्य बनने की क्षमता है, इसलिए इस दिशा में ठोस प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।
श्री ठाकुर ने कहा कि राज्य में बड़े पैमाने पर ईको पर्यटन के विकास के लिए सार्वजनिक निजी सहभागिता की संभावना का पता लगाया जाएगा, जो आने वाले समय में इस क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि ईको पर्यटन गतिविधियों के अंतर्गत पंचायतों को जोड़कर उन्हें हितधारक बनाने पर बल दिया जाएगा तथा वृत व मण्डल स्तर की समितियां गठित की जाएंगी।
वन मंत्री ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि तय समय सीमा के भीतर सम्पूर्ण मामले सहित ईको पर्यटन के डिजाईन तैयार किए जाएं ताकि इस संबंध में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के साथ चर्चा की जा सके। उन्होंने निविदा दस्तावेजों को भी पूरा करने के निर्देश ताकि हितधारकों तथा अन्यों को 10 चिन्हित ईको स्थलों को आवंटित किया जा सके। उन्होंने मंडी के अरण्यपाल तथा कुल्लू के वन मण्डलाधिकारी को मुख्यमंत्री द्वारा निर्देशित ईको पर्यटन गतिविधियां शीघ्र शुरू करने के निर्देश दिए।
बैठक में वनों में आगजनी की घटनाएं रोकने पर भी विस्तारपूर्वक चर्चा की गई। इस संबंध में मंत्री ने एक ठोस योजना तैयार करने के निर्देश दिए ताकि वनों को आगजनी से बचाया जा सके। उन्होंने अधिकारियों से वनों को आग से बचाने के लिए हर संभव कदम उठाने को कहा।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन) तरूण कपूर, प्रधान मुख्य अरण्यपाल डॉ. जी.एस. गोराया, प्रधान अरण्यपाल (वन्य प्राणी) डॉ. रमेश कांग, प्रधान मुख्य अरण्यपाल (वित्त) अजय कुमार, ईको पर्यटन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं मुख्य अरण्यपाल डॉ. संजय सूद, मंडी की अरण्यपाल उपासना पटियाल, भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के उप अरण्यपाल संदीप शर्मा, विभिन्न जिलों के वन मण्डलाधिकारी तथा विभाग के अन्य अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।