चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न हों अगर दृढ़ निश्चय आत्म विश्वास मजबूत हो तो सभी मुश्किलें आसान हो जाती हैं। यदि मन में कुछ करने का जज्बा हो तो रास्ता खुद-ब-खुद मिल जाता है। यह साबित कर दिखाया जिला बिलासपुर के ग्राम पंचायत स्वाहण की मीना देवी ने। मीना देवी के हौंसलों और मजबूत इरादों न केवल महिलाओं को आत्म निर्भर बनाया बल्कि उन्हे आर्थिक तौर पर सुदृढ भी किया।
50 वर्षीय मीना जिला बिलासपुर के ग्रामीण क्षेत्र कंदरौर में पली बडी हुई। मैट्रिक की पढाई करने के पश्चात उनके मन में कुछ नया करने की सोच रहती थी और उन्होंने आगे पढने की ईच्छा जताई और परिवार को मनाकर कंदरौर आईटीआई में प्रवेश लिया व वहां से कटिंग टेलरिंग में प्रशिक्षण हासिल किया। तब परिवार वालों ने उनकी शादी करवा दी।
उनके पति ने भी आईटीआई से बैल्डिंग में प्रशिक्षण हासिल किया था। दोनों ने मिलझुल कर नौकरी की तलाश की लेकिन कामयाबी नहीं मिली। बेरोजगार होने के कारण परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो गया और उन्होंने गांव में ही सिलाई का कार्य करने शुरू करने का मन बनाया और गांव की लड़कियों को भी सिलाई का प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया जिससे परिवार को आर्थिक सहायता मिलना शुरू हो गई।
वर्श 2014 में मुख्य सहायिका निर्मल शर्मा से मिली तो उन्होंने उन्हे स्वयं सहायता समूह का गठन करने के लिए प्रेरित कियां उन्होंने दुर्गा शक्ति समूह का गठन किया औरं शुरूआती दौर में 10 महिलाएं समूह के साथ जुड़ी तथा 50-50 रूपए प्रत्येक माह प्रति महिला सदस्य इकठठा करने लगी। कार्य करने के लिए स्वयं सहायता ग्रुप को विकास खंड स्वारघाट की तरफ से 1.50 लाख रूपए की सहायता मिली जिससे समूह की महिलाओं ने सामूहिक रूप से कंटिग-टेलरिंग तथा अन्य विभिन्न प्रकार के कार्य जैसे लिफाफे बनाना, सब्जी व दूध बेचने का कार्य इत्यादि शुरू किया और इन उत्पादों को बाजार में बेचना शुरू कर दिया जिससे अन्य महिलाओं की भी आर्थिकी में सुधार आने लगा।
अब समूह की महिलाओं ने प्रतिमाह 200 रूपए प्रतिमाह एकत्रित करने शुरू किए। समूह द्वारा समूह की महिलाओं को आवश्यकता पड़ने पर 2 प्रतिशत ब्याज पर ऋण भी दिया जाता हेैं। समूह की सदस्य मनिद्र कौर को लड़की की स्कूल फीस के लिए 2 हजार रूपए, मीना देवी को 7 हजार रूपए लड़की की किताबे खरीदनें के लिए और नीलम शर्मा को अपनी लड़की का दाखिला कालेज में करवाने के लिए 4 हजार तथा राजेश कुमारी को घरेलू कार्य के लिए 3 हजार रूपए की जब आवष्यकता पड़ी तब समूह द्वारा इन्हें ऋण राषि उपलब्ध करवाई गई।
अब महिलाएं समूह से काफी खुश हैं उनका कहना है कि जब भी उन्हें पैसे की आवश्यकता पड़ती है तो पैसे के लिए उन्हें इधर-उधर नहीं भटकना पड़ता बल्कि समूह से आसानी से ऋण मिल जाता है। समूह की प्रत्येक महिला प्रतिमाह कम से कम 7 से 10 हजार रूपए कमा रही हैं। वह स्वयं सिलाई का कार्य करती और लड़कियों को सिलाई का प्रशिक्षण भी दे रही हैं तथा दूध बेचकर 15 हजार रूपए से ज्यादा प्रतिमाह कमा रही है। इसके अतिरिक्त समूह की आमदनी ब्याह-शादियों के दौरान ज्यादा हो जाती हैं।
शुरूआती दौर में जो महिलाए घर से बाहर निकलने को तैयार नहीं होती थी लेकिन अब धीरे-2 महिलाएं समूह के साथ जुड कर न केवल अपनी आर्थिकी ही बड़ा रही है अपितु सामाजिक कार्यों में भी अपना सहयोग दे रही हैं। मीना देवी दुर्गा षाक्ति समूह की प्रधान हैं जो हमेशा गांव की भलाई के लिए विभिन्न गतिविधियों में षामिल रहती है। समूह द्वारा हर माह गांव में स्वच्छता का कार्य किया जाता हैं और अन्य महिलाओं को सशक्त व आत्मनिर्भर बनाने के लिए जागरूक किया जाता हैं। अब मीना देवी गांव में अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं तथा स्वालंबन व महिला सषक्तिकरण के लिए अन्य महिलाओं को भी स्वयं सहायता समूह का गठन करने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। यह सुखद आष्चर्य का विशय है कि समूह की आय का कुछ हिस्सा गरीब तथा असहाय लोगों की मदद के लिए व्यय किया जाता है।