अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) बी.के. अग्रवाल ने आज यहां हिमाचल प्रदेश की वैश्विक व्यस्क तम्बाकू सर्वेक्षण (गैटस) रिपोर्ट जारी की। गैटस व्यवस्थित तरीके से व्यस्कों में तम्बाकू के प्रयोग की निगरानी तथा तम्बाकू नियंत्रण के मुख्य घटकों का पता लगाने के लिये एक वैश्विक पैमाना है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की देख-रेख में प्रथम चरण का सर्वेक्षण वर्ष 2009-10 में किया गया था जबकि इसका द्वितीय चरण वर्ष 2017 अंत तक चला। देश के विभिन्न 30 राज्यों में किया गया और हिमाचल प्रदेश ने तम्बाकू पर नियंत्रण की दिशा में संतोषजनक उपलब्धि हासिल की है। प्रदेश में इस अवधि के दौरान तम्बाकू का प्रयोग करने वालों में लगभग 24 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि तम्बाकू पर पूरी तरह नियंत्रण करना चुनौतिपूर्ण कार्य है, लेकिन ठोस प्रयासों से इसमें काफी हद तक कमी लाई जा सकती है। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि शिमला को देशभर में सबसे पहले तम्बाकू मुक्त शहर घोषित किया गया था और बाद में समूचा हिमाचल तम्बाकू मुक्त हुआ। उन्होंने कहा कि हमें न केवल इस क्रम को जारी रखना है, बल्कि इसका सेवन करने वालों में और कमी लाने के प्रयास करने हैं।
उन्होंने कहा कि सर्वविदित है कि तम्बाकू स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है, लेकिन उत्पादन कम करने में सफलता नहीं मिल रही है, जो निश्चित तौर पर चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि तम्बाकू के नुकसान के प्रति आम जनमानस को जागरूक करने की आवश्यकता है। इस कार्य में स्वास्थ्य विभाग, पुलिस, स्वयं सेवी संस्थाएं, पंचायती राज संस्थान तथा मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि राज्य में 1.30 लाख लोगों के चालान कर 1.50 करोड़ रुपये की राशि वसूली गई और यह राशि प्रदेश में तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रमों पर खर्च की जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने हि.प्र. सचिवालय तथा विश्वविद्यालय को पूरी तरह तम्बाकू मुक्त करने का लक्ष्य रखा है ताकि राज्य के दूसरे संस्थान भी इनका अनुसरण कर सकें। उन्होंने कहा कि राज्य में युवाओं को इसके सेवन से बचाने पर कार्य किया जा रहा है।
टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान मुम्बई से आए डा. आलोक रंजन ने गैटस रिपोर्ट पर विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 16 फीसदी लोग तम्बाकू का सेवन कर रहे हैं जबकि देश में यह दर 28.6 फीसदी है। इसमें बीड़ी का सेवन करने वाले काफी अधिक है। उन्होंने कहा कि दुनियाभर में तम्बाकू से हर वर्ष लगभग 70 लाख लोगों की मौत हो जाती है। तम्बाकू हमारे शरीर के प्रत्येक अंग को नुकसान पहुंचाता है। धुंआ रहित तम्बाकू से फेफड़ों के केंसर का खतरा रहता है जबकि अन्य उत्पादों के सेवन में मूंह तथा गले के केंसर की बहुतायत देखने को मिलती है।
राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ. गोपाल चौहान ने हिमाचल प्रदेश में तम्बाकू नियंत्रण में किए जा रहे कार्यों तथा प्रगति पर विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य तम्बाकू का सेवन करने वालों की संख्या को 10 प्रतिशत से नीचे लाना है। उन्होंने कहा कि राज्य में इस उपलब्धि को हासिल करने में मीडिया का बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि विभाग ने राज्य के सभी शिक्षण संस्थानों में साईनेज लगाने के प्रयास किए लेकिन तम्बाकू उत्पादन कंपनियां यदा-कदा इन्हें हटा देती हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में सार्वजनिक स्थलों पर बीड़ी-सिगरेट का सेवन पूरी तरह से वर्जित है और उलंघन करने पर चालान किया जाता है। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों के 100 मीटर के दायरे में तम्बाकू के उत्पाद बेचना गैर कानूनी है। इसी प्रकार नाबालिगों को तथा खुली सिगरेट बेचने पर भी प्रतिबंध है।
स्वास्थ्य निदेशक डा. बलदेव ठाकुर ने स्वागत किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश को पूरी तरह तम्बाकू मुक्त करना हमारा लक्ष्य है। उन्होंने इस कार्य में आम जन-मानस, विशेषकर युवाओं के सहयोग का आग्रह किया है। उन्होंने युवाओं का आहवान किया कि नशीले पदार्थों से दूर रहें और अपने जीवन को सफल बनाएं। उन्होंने कहा कि प्रबल इच्छाशक्ति से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।हि.प्र. वालंटरी स्वास्थ्य संस्था की अध्यक्ष पुष्पा चौहान ने धन्यवाद किया।
मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन नीरज, विभिन्न जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी, चिकित्सकगण, स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि तथा मीडिया के सदस्य भी उपस्थित थे।