रूसा के तहत सेमेस्टर सिस्टम को लेकर हिमाचल सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। जयराम सरकार ने हिमाचल के सभी डिग्री कॉलेजों में शैक्षणिक सत्र 2018-19 से स्नातक प्रथम वर्ष में सेमेस्टर सिस्टम को खत्म कर दिया है।अब कॉलेजों में पहले की तरह वार्षिक परीक्षा प्रणाली लागू होगी। हालांकि यह बदलाव नए दाखिलोें से ही लागू होगा। शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने वीरवार को सचिवालय में प्रेसवार्ता कर बताया कि रूसा के तहत च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) में प्रदेश सरकार ने बदलाव करने का फैसला लिया है।
हिमाचल विश्वविद्यालय को सिलेबस नए सिरे से तैयार करने के आदेश दे दिए गए हैं। इससे अब शैक्षणिक दिवस बढ़ेंगे, जिससे विद्यार्थियों को फायदा होगा। इस व्यवस्था से रूसा के तहत मिलने वाली ग्रांट भी प्रभावित नहीं होगी।मंत्री ने बताया क्यों खत्म किया सेमेस्टर सिस्टम शिक्षा मंत्री ने कहा कि भाजपा के दृष्टि पत्र की घोषणा को पूरा करते हुए सरकार ने रूसा के तहत सेमेस्टर सिस्टम को समाप्त कर दिया है। रूसा में बदलाव के लिए बीते दिनों सरकार ने एचपीयू के पूर्व कुलपति सुनील गुप्ता की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था।कमेटी की सिफारिशों पर बुधवार को कैबिनेट बैठक में चर्चा की गई। कैबिनेट ने कमेटी की सिफारिशों को लागू करने का फैसला लिया है। उन्हाेेंने बताया कि छात्र संगठनों, शिक्षक संगठनों से चर्चा करने के बाद सरकार ने यह बदलाव किया है।
कालेजों में प्रवेश प्रक्रिया पर संशय उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार ने जल्दबाजी में रूसा को लागू किया था। रूसा के तहत पहले से पढ़ाई कर रहे बीए, बीएसई और बीकॉम के विद्यार्थियों की परीक्षाएं सेमेस्टर सिस्टम के तहत ही होंगी।इन्हें वार्षिक परीक्षा प्रणाली में नहीं लौटाया जाएगा। सिर्फ कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले नए विद्यार्थियों पर नई व्यवस्था लागू होगी, उसके बाद यह व्यवस्था अगली कक्षाओं में भी सुचारु चलेगी।प्रदेश सरकार ने कॉलेजों में पंद्रह जून से प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने का शेड्यूल जारी किया है। अब नई परीक्षा प्रणाली के तहत क्या पुराने शेड्यूल के तहत ही प्रवेश मिलेगा या नया शेड्यूल जारी होगा। इस पर शिक्षा मंत्री ने बताया कि जल्द इस पर स्थिति स्पष्ट की जाएगी।
हिमाचल में इस वर्ष लागू हुआ था सेमेस्टर सिस्टमवर्ष 2013 में पूर्व कांग्रेस सरकार ने रूसा के तहत सीबीसीएस को यूजी में लागू किया था। कॉलेजों में इसके लिए न पर्याप्त शिक्षक थे, न क्लास रूम और न गैर शिक्षक स्टाफ। नए सिस्टम को समझने में शिक्षकों तक को भी समय लगा।रूसा के सीबीसीएस के तहत चुने जाने वाले विषयों की च्वाइस को भी कम किया गया। बार-बार मूल्यांकन की प्रक्रिया बदली, फिर भी परीक्षा परिणाम आने में पांच से आठ माह का समय लग गया।