पचास दिन बीत जाने के बाद भी निशा हत्छयाकांड की गुत्थी नहीं सुलझा पाई पुलिस

( अनिलछांगू )हिमाचल प्रदेश के जिला कांगडा की तहसील फतेहपुर की नंगल पंचायत के गांव बरोह की युवती निशा ठाकुर की पंजाव के जीरकपुर में हुई हत्या का मामला तूल पकड़ता जा रहा है ,जिसमें जीरकपुर पुलिस की कार्यप्रणाली भी संदेह के घेरे में दिख रही है ।
जीरकपुर (मोहाली) में हुई निशा की मौत के मामले में पुलिस काफी ढ़ीली जांच कर रही है। घटना के 50 दिन बाद भी जीरकपुर पुलिस निशा की ननद, सास और देवर को गिरफ्तार नहीं कर पाई है।

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निशा के परिजनों ने जीरकपुर पुलिस पर यह आरोप लगाए है । हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के उपमण्डल फतेहपुर की ग्राम पंचायत नगंल के गांव बरोह के रहने वाले निशा के पिता करनैल सिंह ने आरोप लगाया है कि निशा का पति मनीष ठाकुर सपुत्र कुलबीर ठाकुर निवासी टौणी देवी हमीरपुर उनकी बेटी से काफी समय से 15 लाख रुपए मांग रहा था। उसने जीरकपुर में मकान बनाने के लिए जमीन खरीदनी थी। पैसे न देने पर  मनीष निशा को शारीरिक और मानसिक रूप से भी परेशान कर रहा था। निशा ने जीएनएम का कोर्स किया था तथा ओमनी अस्पताल चण्डीगढ़ में नौकरी करती थी तथा उसका घरवाला मनीष भी मोहाली में एक कम्पनी में नौकरी करता है तथा दोनो किराये के कमरे में रहते थे ।

दूसरी तरफ पुलिस इस मामले में आत्महत्या को उकसाने का मामला दर्ज कर मामले को दबा रही है जिस पर
निशा के भाई सुरेश राणा ने सवाल उठाया कि उसकी बहन ने यदि फंदा लगाया होता तो फंदा लगाने के समय पुलिस रिर्पोट के मूताविक नर्सिंग की ड्रैस क्यों पहनी थी तथा खाने का टिफन पैक रखा था, साथ ही जिस कमरे में फंदा लगाया वहां पंखा 10 फुट की हाईट पर था और वहां घटना के दौरान कोई टेबल और बैड भी नहीं था। आखिर उसकी बहन ने इतनी ऊपर चढ़कर फंदा कैसे लगा लिया? सुरेश ने कहा कि पुलिस ने उन्हें यह बताया कि जब वह मौके पर पहुंचे तो उनकी बहन का पति परिवार के साथ फरार हो चुका था,यदि वह निर्दोष होते तो मौके से नहीं भागते । सुरेश ने कहा कि निशा की मौत के पीछे ससुराल पक्ष के लोगों का पूरा हाथ है।

इस मामले में पुलिस ने आत्महत्या के लिए मजबूर करने का केस दर्ज कर पति मनीष ठाकुर और ससुर को गिरफ्तार किया, जबकि देवर, सास और ननद अभी तक भी फरार हैं।

परिजनों ने साथ ही आरोप जड़ा कि उनके आग्रह करने के बाद भी पुलिस ने उनके आने से पहले शव को कमरे से उठाकर पंचनामा पोस्टमार्टम रूम में करवा दिया, पर यह परिजनों की मौजूदगी में ही होना चाहिए था जिससे साफ जाहिर है कि पुलिस ने मौका बारदात को छिपाने और हत्या को आत्महत्या करार देने के लिए जल्दबाजी की । परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस उन पर दबाव बना रही है और आरोपी पक्ष को बचा रही है। इस मामले में परिजनों ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को भी पत्र लिख कर इंसाफ की मांग की है। पीड़ित परिजनों ने मामले की सीबीआई द्वारा उच्चस्तरीय जांच करवाने की मांग की है।

करनैल सिंह ने बताया कि उनकी बेटी नीशा ठाकुर की शादी  टौणी देवी हमीरपूर निवासी मनीष ठाकुर से 29 नवम्बर 2017 में हुई थी। शादी के बाद बेटी और उसका पति जीरकपुर में रहने लगे थे। उन्होंने आरोप जड़ा कि शादी के बाद मनीष उनकी बेटी को परेशान करने लगा  था। 25 अप्रैल को जब उन्होंने कॉल की तो निशा ने कॉल नहीं उठाई। फिर मनीष को कॉल की तो उसने बताया कि निशा ने फंदा लगा लिया है। करनैल सिंह के मुताबिक उनके पहुंचने से पहले ही बेटी के शव को मोर्चरी में रखवा दिया था। पुलिस कार्यवाही के मूताबिक जिस दिन निशा की मौत हुई उस दिन मनीष पूरा दिन कम्पनी में ड्यूटी पर था जो कम्पनी के बायोमैट्रीक पंच से दिखाया गया है लेकिन दूसरी तरफ सवाल ये उठता है कि ड्यूटी जाने से पहले निशा भी डयूटी जाने को तैयार थी जिस दौरान दोनो में बहसबाजी हुई तथा मनीष ने उसका गला दबा दिया तथा बचने के लिए कम्पनी में जाकर बायोमैट्रीक पंच किया तथा शाम को कम्पनी से आकर हत्या को आत्महत्या करार दिया ।परिजनो का कहना है कि  जीरकपुर पुलिस मिलिभक्त की वजह से मामले को दबा ऱही है इसी कारण ये मामला सीबीआई के पास जाना चाहिए ,अन्यथा उन्हें धरना प्रदर्शन करने पर वाध्य होना पड़ेगा ।

वहीं जब इस बारे में पुलिस थाना जीरकपुर के एएसआईं व इस केस के जांच अधिकारी अजीत सिंह से जानना चाहा तो उन्होंने ये कहकर फोन काट दिया कि मामले की जांच जारी है ।

वहीं एसएचओ जीरकपुर पवन कुमार का कहना है कि पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया है तथा फरार आरोपियो को पकड़ने के लिए पुलिस दो बार हमीरपुर में दबिश दे चुकी है लेकिन वो मिल नहीं रहे है । मामले की जांच चल रही है तथा आरोपी जल्द पकडे़ जाएगें ।

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