एनएसजी ने 6001 मीटर उंची देउ टिब्बा चोटी फतह किया। 12 महीने बर्फ से ढकी रहने वाली इस चोटी को फतह पाना बहुत कठिन है। तकनीकी रूप से महत्वपूूर्ण देउ टिब्बा को फतह पाना अपने आप में महत्वपूर्ण है। एनएसजी के 20 सदस्य दलों में से 16 सदस्यों ने इस चोटी को फतह किया। जानकारी देते हुए एनएसजी दल के टैक्निकल एडवाईजर और टैक्निकल डायरेक्टर व्रिगेडियर अशोक अभय ने बताया कि देउ टिब्बा बहुत महत्वपूर्ण चोटी है तथा इसको फतह करना जैसे ऐवरेस्ट के समीप पहुंचना है। इस चोटी को बहुत ही तकनीकी तरीके से फतह किया जाता है। 13 जून को सुबह 7 बजे 18 सदस्यों में से 16 सदस्यों ने इस चोटी को फतह करने में सफलता हासिल की। उन्होंने कहा कि बर्फ बारी, बारिश और ओले के चलते उन्हें चोटी केा फतह करने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि यह पश्चिमी हिमालय के पीर पंजाल रेंज मनाली के समीप जगतसुख गांव के दुहांगन घाटी में यह चोटी पड़ती है। ट्रैक इंडिया आउट डोर के माध्यम से यह चोटी फतह की गई । ट्रैक इंडिया के डारेक्टर ऐवरेस्ट विजेता एवं अटल बिहार वाजपायी पर्वतारोहण खेल संस्थान के पूर्व निदेशक राजीव, डारेक्टर नरेश शर्मा और डायरेक्टर चंदन शर्मा ने इस चोटी को फतह करने के गुर सिखाए। उन्होंने कहा कि देउ टिब्बा पूरे विश्व की सबसे कठिन चोटियों में से एक है। इसके लिए अच्छा प्रशिक्षण होना चाहिए दल के पास इक्यूमेंट अच्छा होना चाहिए, प्रशिक्षण आला दर्जें का होना चाहिए। विलडप अच्छा होना चाहिए। इस कठिन चोटी को फतह करने के लिए जवानों द्वारा कड़ी मेहनत की गई। उन्होंने कहा कि यह अभियान उनका प्री ऐवरेस्ट के लिए है। मई 2019 में एनएसजी के कमांडोज द्वारा ऐवरेस्ट को फतह करना एकमात्र लक्ष्य है तथा 16 जून को मनाली वापस पहुंचे। गु्रप लीडर जय प्रकाश ने बताया कि यह प्री ऐवरेस्ट की शुरूआत पिछले वर्ष शुरू कर दिया गया था। देउ टिब्बा कलाइम करने से पहले माउनलून जो कि 7135 मीटर चोटी है को 2017 में अगस्त सितंबर में फतह किया था उसके बाद 13 जून को देउ टिब्बा को फतह किया। यह दूसरा अभियान था पोस्ट मानसून के लिए अगस्त-सितंबर में माउंट जोगिन वन का अभियान आरंभ करेंगे जो कि उतराखंड गंगोत्री एक्सेस में पड़ता है को कलाईम करेंगे और दिसंबर-जनवरी में विंटर ट्रेनिंग के लिए कश्मीर के गुलमर्ग में जाएंगे। इसके पश्चात दल माउंट ऐवरेस्ट फतह करने के लिए तैयार हो जाएगी तथा मार्च अंत में नेपाल के लिए रवाना होंगे। मई के अंत तक माउंट ऐवरेस्ट को फतह करेंगे और वापस भारत लौटेंगे। एनएसजी के तकनीक निदेशक एवं डायरेक्टर ब्रिगेडियर अशोक अभय ने बताया कि उनके अभियान का लक्ष्य मात्र चोटी फतह करना नहीं था उनके दल द्वारा छिक्का, सैरी, टैंटाछौटा चंद्रताल और देउ टिब्बा के वेस कैंप में देखा की टै्रकर जो जाते हैं वह वेस्ट मैटिरियल वहीं पर फेंक रहे हैं। एनएसजी के कमांडोज ने बताया कि खाली पानी की बोतलें, सिल्वर कवाईल, चौकलेट के रैपर इत्यादि पड़े हुए थे जिन्हें जवानों से विभिन्न स्थानों से एकत्र किए जो की चार बोरी था वापस मनाली ले आए।