मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज यहां राज्य तथा केन्द्र शासित प्रदेशों के ऊर्जा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए केन्द्र सरकार से हिमाचल प्रदेश में बहने वाली नदियों से उत्पादित विद्युत पर प्रदेश को रॉयल्टी प्रदान करने का आग्रह किया क्योंकि अन्य राज्यों को उनके प्राकृतिक संसाधनों के लिए रॉयल्टी प्रदान की जा रही है तथा प्रदेश में बहने वाली नदियां राज्य की प्राकृतिक संसाधन है।
उन्होंने कहा कि हालांकि भाखड़ा बांध व पौंग बांध जैसी प्रमुख बिजली परियोजनाएं हिमाचल प्रदेश की भूमि पर स्थित हैं परन्तु यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन परियोजनाओं से मुआबजे के रूप में मिलने वाले वैधानिक हिस्से से प्रदेश को वंचित रखा गया है। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं के कारण राज्य में बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हुए हैं और अभी भी पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य को बीबीएमबी परियोजनाओं से भी अपने हिस्से से वंचित रखा गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश वर्ष 1988 में शत प्रतिशत ग्रामीण विद्युतीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने वाला देश का पहला प्रदेश है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि राज्य ने समुद्र तल से 15,124 की ऊंचाई पर स्थित सबसे अधिक ऊंचाई वाले कोमिक गांव को बिजली पहुंचाने का भी गौरव हासिल किया है।
उन्होंने कहा कि यह राज्य लोगों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान को सुनिश्चित करने के अलावा पर्याप्त विद्युत आपूर्ति प्रदान करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सूक्ष्म और छोटी जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण की दिशा में प्रयासरत है। उन्होंने इन प्रयासों के लिए केन्द्र से विशेष अनुदान और उदार वित्तीय सहायता प्रदान करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राज्य में कुल 27हजार मैगावाट बिजली उत्पादन क्षमता में से मात्र 10547 मैगावाट का ही दोहन हो पाया है, इसका मुख्य कारण राज्य में सीमित संसाधन की उपलब्धता है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल केन्द्र सरकार की उदय योजना के कार्यान्वयन में देशभर में तीसरे स्थान पर है। उन्होंने केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री से राज्य की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते, आईपीडीएस और दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना की अवधि को एक वर्ष और बढ़ाने का आग्रह किया ताकि इन योजनाओं का लाभ राज्य के अधिक से अधिक लोगों को मिल सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य केवल पर्यावरण मित्र विद्युत उत्पादन कर रहा है और प्रदेश में ताप विद्युत उत्पादन पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में उपयोग में लाई जा रही 90 ऊर्जा पर्यावरण मित्र है और प्रदेश शत प्रतिशत उपभोक्ताओं को पर्यावरण मित्र बिजली प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के आर्थिक विकास में पर्यटन और विद्युत उत्पादन की अहम भूमिका है और राज्य सरकार अब जल विद्युत क्षेत्र व पर्यटन के साथ मिलकर प्रदेश में हाईड्रो पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने पर विचार कर रही है ताकि दोनों क्षेत्रों को राज्य की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए उपयोग में लाया जा सके। उन्होंने केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री से राज्य सरकार की इस पहल में केन्द्र, संयुक्त क्षेत्र उपक्रमों और बीबीएमबी में अपनी भागीदारी को सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने ऊर्जा नीति को और अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए ऊर्जा नीति में कुछ संशोधन किए हैं। उन्होंने कहा कि इससे बिजली क्षेत्र में निवेशकों को पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव के साथ अपनी विद्युत परियोजनाओं को आसानी से कार्यान्वित करने में सहायता मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री से सभी जल विद्युत परियोजनाओं को अक्षय ऊर्जा के अधीन लाने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा उत्तरदायित्व प्रावधानों की तरह जल विद्युत उत्तरदायित्व प्रावधान भी बनाए जाने चाहिए और इसके लिए अलग से निविदा दस्तावेज तैयार किया जाना चाहिए क्योंकि केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा मध्यावधि ऊर्जा खरीद के लिए बनाए गए निविदा दस्तावेज केवल थर्मल ऊर्जा खरीद के लिए ही व्यवहारिक है तथा जल विद्युत के लिए यह प्रासंगिक नहीं है। उन्होंने केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री से सौर ऊर्जा की तरह जल विद्युत को भी व्हीलिंग चार्जिज से मुक्त करने का आग्रह किया।
केन्द्रीय ऊर्जा, नवीन एवं नवीकरणीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री आरके सिंह ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि ऊर्जा एक मुख्य क्षेत्र है जो प्रदेश व राष्ट्र की समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। उन्होंने कहा कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार 31 मार्च, 2019 तक देश के सभी घरों में निर्बाध विद्युत आपूर्ति प्रदान करने के लिए वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि यह कठिन कार्य है और सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति व लगन से निर्धारित लक्ष्य को समयावधि में पूरा करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
आरके सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार विद्युत क्षेत्र में आवश्यक सुधार करेगी ताकि राज्य के दूर-दराज क्षेत्रों में विद्युत कनैक्शन प्रदान किए जा सकें। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार राज्य को ऊर्जा क्षेत्र में केन्द्र के कार्यक्रमों के प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित बनाने के लिए उदारता से सहायता प्रदान करवाएगी। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ट्रांसफार्मर, एलटी, एचटी लाईनों तथा उपकेन्द्रों इत्यादि के लिए भी सहायता प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा कि तीन वर्षों के भीतर प्रीपेड शुल्क सुविधा वाले स्मार्ट मीटर उपलब्ध करवाए जाएंगे, जिस पर मानव श्रम शक्ति की आवश्यकता नहीं होगी। उन्होंने कहा कि इससे न केवल उपभोक्ताओं को बेहतर विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित होगी बल्कि विद्युत नुकसान भी कम किया जा सकेगा।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार राज्य को केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हरसंभव सहायता उपलब्ध करवाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार निर्धारित समय में लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्य तथा उसकी टीम को प्रोत्साहन भी प्रदान करेगी।
भारत सरकार के ऊर्जा सचिव ए.के. भल्ला ने सम्मेलन में उपस्थित प्रतिनिधियों का स्वागत किया तथा केन्द्र सरकार द्वारा ऊर्जा क्षेत्र को सुदृढ़ करने के लिए उठाए जा रहे विभिन्न पगों की विस्तृत जानकारी दी।अरूणाचल प्रदेश के ऊर्जा मंत्री टामियो टागा, हरियाणा के ऊर्जा मंत्री कृष्ण लाल पवार, झारखंड के ऊर्जा मंत्री सीपी सिंह, केरल के ऊर्जा मंत्री एम.एम. मनी, उड़ीसा के ऊर्जा मंत्री सुशान्त सिंह, पश्चिम बंगाल के ऊर्जा मंत्री शोभन देव चटोपाध्याय, दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येन्द्र कुमार जैन, हिमाचल के ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा, भारत सरकार के नव एवं नवीकरण ऊर्जा सचिव आनन्द कुमार, अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी, अतिरिक्त मुख्य सचिव ऊर्जा तरूण कपूर, एसजेबीएनएल के प्रबन्ध निदेशक नन्द लाल शर्मा भी इस अवसर पर उपस्थित थे।