मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने केन्द्र सरकार द्वारा डीलरों के पंजीकरण के लिए निर्धारित सीमा को 10 लाख रुपये प्रतिवर्ष से बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने के निर्णय को सराहा है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार का यह निर्णय प्रदेश के व्यापारियों को राहत प्रदान करने में सहायता करेगा। इसके फलस्वरूप 20 लाख रुपये सालाना से कम के टर्नओवर वाले व्यापारियों को जीएसटी के अंतर्गत पंजीकरण करवाने की आवश्यकता नहीं होगी।
जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने केन्द्र सरकार से असम व उतराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश की कठिन भौगोलिक स्थितियों की दृष्टि से प्रदेश के व्यापारियों के लिए सीमा को बढ़ाने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि अब अधिकांश विशेष श्रेणी राज्यों के डीलर पंजीकरण के लिए निर्धारित की गई 20 लाख रुपये की सालाना की सीमा में शामिल होंगे, जिससे लाखों व्यापारियों को लाभ मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के 75 से 80 प्रतिशत व्यापारी छोटे व्यापारी हैं तथा इस निर्णय से उन्हें बेहद लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि अब तक 92 हजार से भी अधिक डीलरों ने जीएसटी के अंतर्गत पंजीकरण करवाया है तथा इनमें से 80 प्रतिशत से भी अधिक को इस निर्णय के उपरान्त सालाना कम बार रिटर्न भरनी होंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस निर्णय के अतिरिक्त केन्द्र सरकार ने पांच करोड़ रुपये तक की टर्न ओवर वाली फर्मों को मासिक रिटर्न के स्थान पर तिमाही रिटर्न भरने का निर्णय लिया है। इससे पहले यह सीमा 1.5 करोड़ रुपये थी तथा व्यापारियों को बार-बार रिटर्न भरने मुश्किलें पेश आती थीं। इस निर्णय के उपरान्त छोटे उद्योग से जुड़े व्यापारियों को बार-बार रिटर्न भरने के दबाव से राहत मिलेगी।
जय राम ठाकुर ने कहा कि वाशिंग मशीन, फ्रिज, मिक्सर, फुटवेयर इत्यादि पर जीएसटी दरें घटाने के निर्णय से मध्यमवर्गीय परिवारों को राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि सेनेटरी नैपकिन पर जीएसटी माफ करने के निर्णय से महिलाओं के स्वास्थ्य व स्वच्छता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इससे पूर्व सेनेटरी नैपकिन पर 12 प्रतिशत जीएसटी लागू था।