बे-मौसमी सब्जी उत्पादन में अग्रणी राज्य बनने की ओर अग्रसर हिमाचल ,किसान नकदी फसलों की ओर हुए आकर्षित

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हिमाचल प्रदेश सरकार ने विभिन्न महत्वाकांक्षी योजनाएं शुरू कर राज्य में कृषि गतिविधियों में विविधता लाने के लिये एक वृहद् योजना आरंभ की है। सरकार विशेषतौर पर बे-मौसमी सब्जी उत्पादन को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के भरसक प्रयास कर रही है, जिसके लिए किसान समुदाय को पर्याप्त सिंचाई सुविधा प्रदान करने पर बल दिया जा रहा है।
राज्य सरकार द्वारा शुरू किए गए प्रोत्साहन कार्यक्रमों तथा योजनाओं के परिणामस्वरूप किसान पारम्परिक फसलों  के स्थान पर नकदी फसलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। सब्जी उत्पादन से सालाना 3500-4000 करोड़ का राजस्व सृजित हो रहा है और यह सेब उत्पादक क्षेत्रों में एक वैकल्पिक गतिविधि के रूप में उभरी है। पारम्परिक खाद्य फसलों की तुलना में बे-मौसमी सब्जी की खेती से आमदनी काफी अधिक है। बे-मौसमी सब्जियों से प्रति हैक्टेयर शुद्ध आय 60 हजार रूपये से लेकर दो लाख रुपये तक होती है, जबकि पारम्परिक फसलें केवल आठ हजार रुपये से 10 हजार रुपये प्रति हैक्टेयर तक की आय प्रदान करती है।
कृषि के अनुकूल जलवायु परिस्थितियों के कारण राज्य ने पहले ही टमाटर, खीरा, हरे मटर, बीन, गोभी, बंद गोभी, शिमला मिर्च, तथा आलू जैसी बे-मौसमी फसलों में पहले ही देश में अपनी पहचान बनाई है, जब इन फसलों की पैदावार मैदानी इलाकों में नहीं होती है। जून मध्यांतर से सितम्बर के बीच दिल्ली, लुधियाना, जालंधर, करनाल, अंबाला तथा चण्डीगढ़ से मंडियों में सब्जियों की कोई आमद नहीं होती है। इस दौरान हिमाचल से होने वाली सब्जियों की आपूर्ति के एवज में किसानों को बहुत अच्छे दाम मिलते हैं।
फसलों के सुव्यवस्थित विविधिकरण के लिए कृषि विभाग ने उच्च किस्म के सब्जियों के बीज, ग्राफटिड सब्जी बीज, विदेशी सब्जियों, सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली को लोकप्रिय बनाने, संरक्षित खेती और बीज ग्रामीण कार्यक्रम के माध्यम से बीज उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए एक विशेष योजना तैयार की है।
सब्जी उत्पादन को और अधिक बढ़ावा देने तथा कृषि क्षेत्र, विशेषकर सब्जी उत्पादन में तीव्र एवं समावेशी विकास हासिल करने के लिए राज्य सरकार ने संरक्षित खेती के अन्तर्गत सब्जी उत्पादन के लिए 111.19 करोड़ रुपये की लागत की एक अन्य परियोजना आरम्भ की है। अभी तक राज्य में 3286 पॉलीहाउस स्थापित किए जा चुके हैं जिनके अन्तर्गत 56 हेक्टेयर क्षेत्र शामिल है। सरकार इस परियोजना के अन्तर्गत किसानों को 80 प्रतिशत वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।
राज्य सरकार ने प्रदेश में सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आरम्भ किए हैं। राज्य में 224 करोड़ रुपये की सौर सिंचाई योजना कार्यान्वित करने का निर्णय लिया है जिसके अन्तर्गत लघु व सीमान्त किसानों को 90 प्रतिशत वित्तीय सहायता दी जाएगी, जबकि मध्यम एवं बड़े किसानों को 80 प्रतिशत उपदान प्रदान किया जाएगा। इसी प्रकार, लघु एवं सीमान्त श्रेणी के किसानों के समूह/किसान विकास संघ/किसानों की पंजीकृत संस्थाओं को 100 प्रतिशत वित्तीय सहायता दी जाएगी।
राज्य सरकार ने कृषि विभाग के माध्यम से 174.50 करोड़ रुपये की बहाव सिंचाई योजना शुरू करने को मंजूरी प्रदान की है जिसके अन्तर्गत 7152.30 हेक्टेयर भूमि को निश्चित सिंचाई के अन्तर्गत लाकर राज्य के 9580 किसानों को लाभान्वित किया जाएगा।
सरकार ने किसानों को खेती के मशीनीकरण के लिए राज्य में 20 करोड़ रुपये लागत से राज्य कृषि यांत्रिकरण कार्यक्रम शुरू करने का भी निर्णय लिया है। इस योजना के अन्तर्गत लघु एवं सीमान्त किसानों, महिला, अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति से सम्बन्धित पात्र लाभार्थियों को छोटे टै्रक्टर, पॉवर टिल्लर्ज, विडर्ज तथा अन्य आवश्यकता आधारित/अनुमोदित मशीनरी खरीदने के लिए 50 प्रतिशत उपदान प्रदान किया जाएगा।
राज्य ने जल संरक्षण तथा वर्षा जल संग्रहण के लिए केन्द्र सरकार को 4751 करोड़ रुपये की परियोजना स्वीकृति के लिए भेजी है। राज्य को प्रथम चरण में 708.87 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत हो चुकी है जिसके तहत तीन ज़िलों के कम से कम पांच विकास खंडों में कार्य होगा।
पांच जिलों में फसलों के विविधिकरण के लिए कार्यान्वित की गई जिका-चरण एक परियोजना की सफलता के दृष्टिगत केन्द्र सरकार ने इस महत्वाकांक्षी योजना को पूरे प्रदेश में लागू करने के लिए सैद्धान्तिक मंजूरी प्रदान कर दी है।
राज्य सरकार के ये प्रयास और पहल निश्चित रूप से राज्य में बे-मौसमी सब्जी उत्पादन को नए आयाम प्रदान करेगी और हिमाचल प्रदेश इस क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनकर उभरेगा। इसके साथ ही वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य को भी हासिल किया जा सकेगा।

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