( धनेश गौतम ) क्या हुआ कि जुवान नहीं है लेकिन दिल बड़ा हो तो जुवान मायने नहीं रखती है। धार्मिक नगरी मणिकर्ण में रहने बाले तपिन्द्र पाल उर्फ पिंदी उस्ताद जुवान से नहीं दिल से दोस्त बनाते हैं और दोस्ती इतनी पक्की कि जान छिड़कने को तैयार रहते हैं। भगवान ने पिंदी को जुवान नहीं दी लेकिन दिल इतना बड़ा दिया है कि वह कोई भी कार्य बड़ी आसानी से कर लेते हैं। यदि गाड़ी का टायर पंचर हो जाए तो जैक की जरूरत नहीं पड़ती बल्कि पिंदी गाड़ी को दोनों हाथों से उठा लेते हैं। बेट लिफ्टिंग के पिंदी अच्छे खिलाड़ी हैं और आज भी शौक रखते हैं।
यही नहीं पिंदी को गाड़ी अपने ऊपर चढ़ाने में महारत हासिल है। इसके अलावा मोटरसाइकिल व अन्य भार बाली वस्तुएं भी अपने शरीर में आसानी से रख लेते हैं। जिनके दांतों में भी गजब की शक्ति है और दांतों से 200 किलोग्राम का भार आसानी से उठाते हैं। इसके अलावा वे एक अच्छे पहलवान रहे हैं और पंजाब के आखड़ों में बड़े बड़े पहलवानों को धूल चटा चुके हैं। आनंदपुर साहिब रोपड़ के रहने बाले पिंदी वर्तमान में मणिकर्ण गुरुद्वारा के समीप अपने भाई के साथ दुकानदारी करते हैं और अधिकतर बार अकेले ही पूरी दुकान संभालते हैं। बात सिर्फ इशारों में ही करते हैं और सभी को इनकी बात आसानी से समझ आती है।
यदि किसी को समझ नहीं आती है तो वे कागज में लिखकर देते हैं। पिंदी को गम है कि भगवान ने उन्हें सबकुछ दिया लेकिन जुवान नहीं दी। यदि जुवान दी होती तो वह बॉलीबुड में नायक होते और एक अच्छे पहलवान होते। पिंदी उस्ताद की जिस से दोस्ती लगी उसे वे पूरी निष्ठा व ईमानदारी के साथ निभाते हैं। पिंदी उस्ताद का कहना है कि उन्होंने जुवान के लिए कई बार दुआ की लेकिन उनकी दुआ अभी तक नहीं सुनी लेकिन वे खुश हैं कि उन्हें भगवान ने जुवान के बदले कई हुन्नर दिए हैं। जिसके चलते लोग उन्हें जानते व पहचानते हैं।