( धनेश गौतम )लाहुल स्पीति में भारी बर्फबारी के चलते जहां करोड़ों का नुक्सान हुआ हैवहीं 1000 से अधिक पर्यटक बर्फबारी के बीच फंस गए हैं। वहीं सीएम जय राम ठाकुर ने हवाई रैकी की। देश विदेश से आए पर्यटक चार दिनों से बर्फबारी के बीच फंसे हुए हैं जिनमें अधिकतर पर्यटकों की हालत नाजुक बताई जा रही है। इस बीच एक पर्यटक की ठंड के कारण मौत हो गई है।
1955 के बाद पहली बार घाटी में सितंबर माह में भारी बर्फबारी होने के कारण ये पर्यटक फंसे हुए हैं। देश के सबसे ऊंचे दिल्ली-लेह मार्ग में सरचू से लेकर बारालाचा तक जगह जगह 800 से अधिक पर्यटक फंसे हुए बताए जा रहे हैं। जिनमें पटसेउ में 300, बारालाचा में 300 व सरचू आदि क्षेत्रों में भी 200 से अधिक पर्यटक फंसे हुए हैं। इसके अलावा इस मार्ग पर 80 से अधिक बौद्ध भिक्षु भी फंसे हुए हैं। बताया जा रहा है कि अधितर पर्यटकों ने वाहनों में ही चार दिन गुजारे हैं। इसके अलावा ग्रांफू काजा मार्ग पर भी जगह जगह छतडू, छोटा दड़ा, बातल,चंद्रताल आदि स्थानों पर भी सैंकड़ों लोग फंसे हुए हैं।
मंगलवार को प्रदेश सरकार ने मौसम खुलते ही लाहौल स्पीति क्षेत्र की हवाई रैकी की है। जिसमें
प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर स्वयं रैकी करने लाहुल के कुछ क्षेत्रों में गए हैं लेकिन बर्फानी हवाएं होने के कारण वे पूरे क्षेत्र की हवाई रैकी नहीं कर पाए हैं। जबकि कृषि एवं आईटी मंत्री डॉ. राम लाल मारकंडेय ने सेना के हैलीकॉप्टर में बारालाचा दर्रा तक रैकी की है। कृषि मंत्री ने बताया कि पटसेउ व बारालाचा में भी 300-300 लोग फंसे हुए हैं।
इनमें से कुछ गंभीर हालत के लोगों को रैस्क्यू किया गया है। बताया जा रहा है कि उधर, ग्रांफू काजा मार्ग में भी सैंकड़ों वाहन व लोग बर्फबारी के बीच फंसे हुए हैं। इनमें से तीन सौ के करीब लोगों ने गांव में शरण ली है वहीं कुछ लोग छतडू, बातल व छोटा दड़ा के रैस्ट हाउस व ढाबों में रूके हुए हैं। इसके अलावा कोखसर में 123 लोग ढाबों में सुरक्षित है। वहीं बकरथाच में 210 छात्र व दस के करीब शिक्षक फंसे हुए हैं लेकिन यह सभी सुरक्षित बताए जा रहे हैं। पता चला है कि ये छात्र ट्रैकिंग पर निकले थे और इनके पास खाने पीने का सारा सामान मौजूद हैं। इसके अलावा दिल्ली-लेह व ग्रांफू काजा मार्ग में बहुत सारे बाईकरज व चालकों के फंसने का भी समाचार है।
वहीं हामटा, छोटा दडा, कुंजोमपास, खीरगंगा, पिन पार्वती, मानतलाई दर्रा, वातल आदि स्थानों पर ट्रैकरों के फंसे होने की भी आशंका है। गौर रहे कि इस बार 1955 के बाद करीब 63 वर्षों के बाद लाहुल स्पीति में सितंबर माह में भारी बर्फबारी हुई है। अचानक हुई भारी बर्फबारी के बाद यह घटना घटी है। सनद रहे कि दिल्ली-लेह व काजा मार्ग खुलते ही देश विदेश के पर्यटक कुदरत के सुंदर नजारों को देखने लेह लद्दाख, लाहुल स्पीति जाते हैं। इसके अलावा बहुत सारे बाईकरज व ट्रैकर भी यहां की पहाडिय़ों को नापने जाते हैं। इन्हें क्या मालूम था कि सितंबर माह में ही उनके घूमने का शौक उन्हें बर्फबारी के बीच फंसकर महंगा पड़ेगा। बताया जा रहा है कि फंसे लोगों में से बहुत सारे लोगों की हालत नाजुक बनी हुई है।
उधर, प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा है कि सभी फंसे हुए लोगों को सुरिक्षत निकालने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसी को भी ऐसी उम्मीद नहीं थी कि सितंबर माह में लाहुल स्पीति में भारी बर्फ होगी। जिस कारण यह पर्यटक अंजाने में सफर करते हुए फंस गए हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में जिला कुल्लू व लाहुल स्पीति में भारी नुक्सान इन तीन दिनों की बारिश और बर्फबारी से हुआ है।
लाहुल में आफत और प्रशाशन सोया हुआ : लाहुल स्पिति में आफत आई है और एक हजार से अधिक लोग बर्फ में फंसें हुए हैं लेकिन प्रशाशन सोया हुआ लगता है। मीडिया से प्रशाशन ने दूरी बना रखी है। यह कहना है प्रेस क्लब कुल्लु के प्रधान धनेश गौतम का। उन्होंने कहा कि उन्हें सिर्फ कुल्लु प्रशाशन से ही लाहुल की जानकारी मिल रही है जबकि लाहुल में बैठे अधिकार फोन तक नहीं उठा रहे हैं और न ही किसी तरह की प्रेस रिलीज भेजी जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रशाशन का यह रवैया ठीक नहीं है और प्रेस क्लब इसकी कड़े शब्दों में निंदा करता है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की है कि लाहुल के प्रशाशन को चुस्त दरुस्त करें।