राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है और देवभूमि में नशे का बढ़ना चिंता का विषय है। इसलिए हम सबको मिलकर नशामुक्त हिमाचल बनाने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है।राज्यपाल आज रामपुर में चार दिवसीय लवी मेला के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे।
आचार्य देवव्रत ने कहा कि नशा देवभूमि में भी अपने पांव पसार रहा है और युवा इसकी चपेट में आ रहे हैं, जो हम सब के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि सरकार व पुलिस प्रशासन के सहयोग से इस दिशा में प्रभावी पग उठाए गए हैं, लेकिन हम सभी को मिलकर इस दिशा में प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि नशा एक परिवार से जुड़ी समस्या नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक बुराई है, जो देश की भावी पीढ़ी को बर्बाद कर रही है। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक महत्व के त्यौहारों के आयोजन की आड़ में जो नशे व जुआ जैसे अवैध कार्य चलते हैं उन्हें बंद किया जाना चाहिए ताकि इन त्यौहारों की सार्थकता बनी रहे।
राज्यपाल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय लवी मेला ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, जो न केवल व्यापारिक गतिविधियों बल्कि पौराणिक परम्पराओं के लिए भी विख्यात है। उन्होंने कहा कि अपनी उच्च संस्कृति को सुरक्षित रखने में भी यह मेला महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इस अवसर पर राज्यपाल ने लोगों से प्राकृतिक कृषि की दिशा में आगे बढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए 25 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जो जहरमुक्त खेती की दिशा में एक सकारात्मक पहल है। उन्होंने लोगों को रासायनिक खेती के दुष्परिणामों से अवगत करवाया तथा कहा कि अत्याधिक रसायनों के उपयोग से हमने अपनी जमीनों को बंजर बना दिया है और जो अन्न व फल रसायनों के उपयोग से तैयार किए जा रहे हैं वह स्वास्थ्य पर विपरीत असर डाल रहे हैं।
यही कारण है कि आज अनेक असाध्य रोग पैदा हो गए हैं। उन्होंने कहा कि रसायनिक कृषि के पश्चात्, जिस जैविक कृषि को अपनाने के लिए कहा जाता रहा है, वह भी रसायनिक कृषि से कम घातक नहीं है। इससे भी किसानों की लागत बढ़ रही है और पहले तीन सालों में कृषि उपज भी कम होती है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक कृषि आज विकल्प बनकर हमारे सामने है, जिसे अपनाकर हम न केवल अपनी भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ा सकते हैं बल्कि पानी की कम खपत होगी और यह कृषि पर्यावरण मित्र भी है। इससे किसानों का लागत मूल्य खत्म हो जाएगा और निश्चित तौर पर आय दो गुणा से अधिक होगी।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक कृषि भारतीय नस्ल की गाय पर आधारित है। इससे अपनाने से स्थानीय नस्ल की गाय की रक्षा भी होगी। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे स्थानीय नस्ल की गायों को सड़कों पर न छोड़ें और उनकी उपयोगिता को समझते हुए नस्ल सुधार पर कार्य करें।
राज्यपाल ने लोगों को अंतरराष्ट्रीय लवी मेले की बधाई दी तथा जिला प्रशासन की व्यापक व्यवस्था के लिए सराहना की।इससे पूर्व, राज्यपाल ने लवी मेले में विभिन्न विभागों की प्रदर्शनियों का उद्घाटन किया। उन्होंने किन्नौरी मार्केट में बिक रहीं वस्तुओं के प्रति खासी रूचि दिखाईं।
इस अवसर पर, मुख्य सचेतक एवं विधायक नरेन्द्र बरागटा ने राज्यपाल का स्वागत करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा राज्यपाल के मार्गदर्शन में प्राकृतिक कृषि को व्यापक स्तर प्रचारित किया जा रहा है ताकि किसानों और बागवानों को इसका लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक कृषि वैकल्पिक पद्धति के तौर पर हमारे सामने है, जिसका सबको लाभ लेना चाहिए ताकि भविष्य को सुरक्षित बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा आरम्भ किए गए जन मंच कार्यक्रम के सार्थक परिणाम सामने आए रहे हैं और यह एक मजबूत मंच बनकर उभरा है जहां लोगों की समस्याओं का सामाधान मौके पर सुनिश्चित हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार लोगों के कल्याण के लिए प्रयासरत है और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गतिशील नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा प्रदेश को विभिन्न परियोजनाओं के लिए उदार वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है।
रामपुर के विधायक नंद लाल ने भी राज्यपाल का स्वागत किया।उपायुक्त शिमला एवं लवी मेला आयोजन समिति के अध्यक्ष अमित कश्यप ने राज्यपाल का स्वागत तथ सम्मानित किया। उन्होंने इस अवसर पर मेले की गतिविधियों की जानकारी दी।आनी के विधायक किशोरी लाल तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।