मंडी के गोहर ब्लाक में सुचना के अधिकार के तहत सुचना देने में ढील बरती जा रही है. पंचायतों में लगाए गए आवेदनों पर जहाँ कोई सुनवाई नहीं हो रही वही खंड विकास अधिकारी के कार्यालय में लगाए जा रहे आवेदनों पर भी आवेदनकर्ताओं को बहाने बाजी करके टाला जा रहा है. शाला पंचायत से राईट यूनिट शाला के अध्यक्ष ने अप्रैल महीने में एक आवेदन दिया था जिसमें नरेंद्र सिंह ने ग्राम पंचायत शाला के 2018-2019 में किए गए कामों का ब्यौरा माँगा गया था लेकिन आज 36 दिन बीत जाने पर भी कोई सुचना उपलब्ध नहीं करवाई गई.
आज खंड विकास अधिकारी के समक्ष प्रथम अपील की सुनवाई की गई लेकिन वहां से भी गोलमोल जबाब दिया गया. खंड विकास अधिकारी का कहना था कि पहले मैं सुचना का अधिकार अधिनियम पढूंगा उसके बाद अपना फैसला दूंगा. जबकि यही सुचना फरवरी 2019 में वर्ष 2017-2018 के सन्दर्भ में मांगी गई थी तो सुचना बिना किसी सवाल या बहाने के उपलब्ध करवा दी गई थी.
वही दुसरे मामले में तेज सिंह ने ग्राम पंचायत खारसी में मनेरेगा के तहत हुए कामों के बारे सुचना के अधिकार के तहत एक आवेदन खंड विकास अधिकारी गोहर के कार्यालय में दिया था. जिसमें उस तेज सिंह ने अपने टिपर पर रेता और बजरी ढोने का काम किया था और उसकी पेमेंट जो लगभग 11000 बनती है और अभी तक ग्राम पंचायत खारसी पर बकाया है. तेज सिंह ने सुचना के अधिकार अधिनियम के तहत अप्रैल 2019 में एक आवेदन किया और उस काम के बारे सुचना मांगी तो आज 30 दिन से ज्यादा बीत जाने पर भी उसके आवेदन पर कोई कार्यवाही नहीं हुई.
यहाँ एक सवाल उठता है कि जब नरेंद्र सिंह को 2017-2018 के कामों के बारे जानकारी उपलब्ध करवा दी गई तो बिलकुल वही जानकारी 2018-2019 के कामों के बारे क्यों उपलब्ध नहीं करवाई जा रही. दूसरा जब तेज सिंह ने खारसी पंचायत में काम किया तो उसको पेमेंट क्यों नहीं की गई और सुचना के अधिकार के तहत उसको सुचना क्यों उपलब्ध नहीं करवाई जा रही.
राईट फाउंडेशन के अध्यक्ष सुरेश कुमार का कहना है कि गोहर ब्लाक की पंचायतों की इन पंचायतों में बहुत ज्यादा धांधलियां हो रही है जिसके चलते पंचायत अधिकारी सुचना उपलब्ध करवाने से डर रहे है. अभी हाल में ही आचार सहिंता के दौरान ग्राम पंचायत शाला में एक सड़क का उदघाटन किया गया जिसके बारे राईट फाउंडेशन ने चुनाव आयोग को शिकायत की थी लेकिन ग्राम पंचायत शाला के प्रधान राजकुमार को बचाने के लिए उस सड़क को निजी सड़क बताया गया. जबकि उसी सड़क पर 10 लाख की लागत से पूल बनाया जा रहा है. वही दूसरी ओर ग्राम पंचायत शाला में शमशान घाट के लिए वर्ष 2017-2018 में 2 लाख रुपये की धनराशी स्वीकृत हुई थी लेकिन आज तक वहां शमशान घाट नहीं बना. अब जब 2018-2019 में शमशान घाट के अपग्रेड के लिए 2.5 लाख रुपये स्वीकृत हुए तो वहां शमशान घाट का काम शुरू हुआ है. राईट फाउंडेशन का मानना है कि ग्राम पंचायत शाला में बहुत बड़े स्तर पर धांधलियां हुई है और ग्राम पंचायत शाला के प्रधान और सचिव को बर्खास्त किया जाना चाहिए और निष्पक्ष जांच किया जाना बेहद जरुरी है.