यह बात हमने गली गाँव के नेताओ से लेकर देश के प्रधान मंत्री तक और एक चपड़ासी से लेकर राष्ट्रपति तक सबके भाषण से सुनी है | नेता लोग जब गाँव के दौरे में जाते है या किसी उदघाटन करने जाते है या प्रचार के समय भाषण देने जाते है तो वहाँ वो लोग पक्ष विपक्ष की आलोचना करते है और झूठी घोषणा करके वापस आते है लेकिन देश का भविष्य हमारे बच्चे किस हालात में है कितने बच्चे हर वर्ष स्कूल छोड़ रहे है क्यों छोड़ रहे है स्कूल बंद हो रहे है क्यों हो रहे है इस विषय में वो कभी एक शब्द नहीँ कहते है
शिमला- दूसरे राज्यों को बिजली देकर रोशन करने वाले हिमाचल की कुल 10770 प्राथमिक पाठशालाओं में से 679 पाठशालाएं विद्युत रहित हैं। इसके साथ ही 2131 माध्यमिक पाठशालाओं में से 173 और 929 उच्च पाठशालाओं में से 4 पाठशालाओं में बिजली की व्यवस्था नहीं है। बिजली रहित पाठशालाओं के मामले में जिला शिमला शीर्ष पर है। यहां 523 प्राथमिक पाठशालाओं में बिजली नहीं है।
इसी तरह सिरमौर की 51, सोलन की 12, बिलासपुर की 4, कुल्लू की 72 और जिला किन्नौर की 17 प्राथमिक पाठशालाएं विद्युत रहित हैं। इसके साथ ही जिला शिमला की 129 और जिला सिरमौर की 44 माध्यमिक पाठशालाएं तथा जिला शिमला की 4 राजकीय पाठशालाएं विद्युत रहित हैं। ऊना के विधायक सतपाल सिंह सत्ती द्वारा पूछे गए प्रश्न के जवाब में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने यह लिखित जानकारी सदन में दी। इसमें कहा गया है कि प्रदेश के अंतर्गत 53 प्राथमिक और 47 माध्यमिक पाठशालाएं शौचालय रहित हैं।
340 स्कूलों में 5 से कम विद्यार्थी
राज्य की 340 प्राथमिक पाठशाला ऐसी है, जिनमें विद्यार्थियों की संख्या 5 से कम है। इसी तरह 922 प्राथमिक पाठशाला ऐसी है, जिनमें केवल एक ही अध्यापक कार्यरत है। राज्य की 53 प्राथमिक और 47 माध्यमिक पाठशाला शौचालय रहित है। इनमें जिला सिरमौर की 34, मंडी की 12, सोलन की 2, कुल्लू की 5 राजकीय प्राथमिक पाठशाला शौचालय रहित है। इसके साथ ही जिला सिरमौर की 38, शिमला की 2, मंडी की 6 और सोलन की 1 माध्यमिक पाठशाला शौचालय रहित है।हमारे देश में सरकारी स्कूल के हालात दिन प्रतिदिन बिगड़ रहीं है॥ क्यों ॥इसके ऊपर ना कोई नेता बोल रहा है और ना किसी कोर्ट के जज ने कोई क़दम उठाया ना कोई tv चेनल ना कोई अध्यापक भी इस विषय पर सवाल पूछ रहा है ?
क्योंकि नेताओ के बच्चे वो सरकारी स्कूल में नहीँ पड़ते
क्योंकि किसी डॉक्टर के बच्चे सरकारी स्कूल में नहीँ पड़ते
क्योंकि किसी जज के बच्चे सरकारी स्कूल में नहीँ पड़ते
क्योंकि जो अध्यापक उसी स्कूल में पड़ता उसके खुद के बच्चे भी प्राइवेट स्कूल में ही पड़ते है
इसलिए ये लोग कभी भी सरकारी स्कूल की बिगड़ती हुई हालात पर धियान नहीँ दे रहे है पंचायत के तीन गाँव ,देवनल ,कूफोटी बढ़धार ऐसे है जिस में पिछले 2 साल में कम से कम 25 से 30 बच्चे 10वी से नीचे की कक्षा के छात्रों ने स्कूल छोड़ दिया है जिसमे 13 बच्चे कुफोटी गाँव से 11 बच्चे देवनल (चौऊरोटा) गाँव से और बाकी बढ़धार गाँव से है ये तीनो गाँव दलित समुदाय के गाँव है
जो लोग आरक्षण के ऊपर बड़ा डिन्डोरा पीटते है कि आरक्षण से ऐसा हुआ वेसा हुआ लेकिन मेरे पंचायत में अभी तक आरक्षण से कोई चमत्कार दिखाई नहीँ दिया सच बात तो यह है की ना तो मीडिया का साथी शिलाई रोहनाट से अरे परे जाना चाहता हालाँकि (कुछ मीडीया के लोग भी निष्पक्षता के साथ काम कर रहे है) और ना उनके पास नेताओ की रेलियौ की ख़बरे लगाने से फुरसत है कुछ लोग तो यहाँ तक बोल रहे है की आपको अपने पंचायत के गरीब लोगों के घर की टूटी फूटी घर के हालत की फोटो फ़ेसबुक में नहीँ डालनी चहिए क्योंकि इससे उनकी हकीक़त सामने आती है ये सिर्फ़ तीन गाँव के हालत है पूरे पंचायत में आंकडा 40 से ऊपर हो सकता है प्लीज़ इसको पढ़ने के बाद share ज़रूर करे ताकि कोई ना कोई विभाग इस पर संज्ञान ले | लेखक : बलदेव सिंह कानून की पढाई कर रहे है