हिमाचल में 11 जुलाई को संभावित भूकम्प पर होगी मॉक ड्रिल

प्रदेश के सभी जिलों में 11 जुलाई को संभावित भूकम्प पर राज्य स्तरीय मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा। इस ड्रिल की तैयारियों के सिलसिले में आज यहां एक ‘टेबल टॉप’ बैठक आयोजित की गई।

प्रधान सचिव राजस्व एवं आपदा प्रबन्धन, ओंकार शर्मा ने कहा कि यह मॉक ड्रिल एक गम्भीर अभ्यास होगा, जिसके दौरान किसी भी प्रकार की आपदा के लिए मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करने और इसका परीक्षण करने में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबन्धन के लिए मानक संचालन प्रक्रिया अत्यंत आवश्यक है। किसी भी आपदा से निपटने के लिए पूरी तैयारी व प्रतिक्रिया आवश्यक है, जिसमें सभी का सहयोग होना चाहिए। इस अभ्यास के दौरान आपदा के समय राज्य आपदा प्रबन्धन योजना, जिला आपदा प्रबन्धन योजना और विभागीय स्तर की आपदा योजनाओं की क्षमता का भी पता चल पाएगा।

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उन्होंने कहा कि इस अभ्यास के दौरान राज्य स्तरीय आपताकालीन ऑप्रेशन केन्द्र राज्य सचिवालय में स्थापित किया जाएगा, जबकि जिला स्तर पर सम्बन्धित जिला मुख्यालयों पर केन्द्र स्थापित किए जाएंगे, जिनका संचालन उपायुक्त करेंगे। उन्होंने कहा कि यह प्रदेश में आयोजित की जाने वाली पांचवीं मॉक ड्रिल होगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश भूकम्प अतिसंवेदनशील जोन चार और पांच में आता है।

वरिष्ठ परामर्शदाता, राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (एनडीआरएफ), मेजर जनरल (सेनानिवृत्त) डॉ. वी. के. नाइक ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से इस ‘टेबल टॉप’ अभ्यास का हिमाचल प्रदेश सचिवालय से संचालन किया, जिसमें सेना, वायु सेना, आईटीबीपी और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। समस्त उपायुक्तों एवं जिला स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया। उन्होंने मॉक ड्रिल के आयोजन पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी।

निदेशक एवं विशेष सचिव राजस्व व आपदा प्रबन्धन डी.सी. राणा ने कहा कि अध्ययन के अनुरूप भूकम्प का एक काल्पनिक परिदृश्य सृजित किया जाएगा, जिसके अन्तर्गत यह माना जाएगा कि प्रदेश में रिक्टर पैमाने पर 8 मैगनिट्यूड का भूकम्प आया है, जिसका केन्द्र मण्डी जिला का सुन्दरनगर होगा, जिससे सभी जिलें व्यापक रूप से प्रभावित हुए हैं। उन्हांने कहा कि राज्य व जिला आपदा प्राधिकरणों को काल्पनिक भूकम्प के बारे में सूचना वीरवार सुबह दी जाएगी।

उन्होंने कहा कि यह अभ्यास एनडीएमए और सैन्य कर्मचारियों के सहयोग से आयोजित किया जाएगा, जिससे आपदा सम्बन्धी तैयारियों में पाई जाने वाली कमियों को दूर करने में सहायता मिलेगी।

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