मुख्यमंत्री ने भू-जल स्तर में सुधार के लिए वर्षा जल संग्रहण पर बल दिया

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मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज  जल जागरूकता कार्यशाला और एप्रिसिएशन एवार्ड्ज-2019 कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि प्रदेश एवं देश के लोगों को जल संरक्षण के लिए जागरूक करना आवश्यक है।
जय राम ठाकुर ने शिमला शहर में जल संकट से निपटने के लिए राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना करने के लिए हिमाचल दस्तक का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि गत वर्ष शिमला में जल संकट आकस्मिक था तथा सरकार ने इससे निपटने के लिए हर सम्भव प्रयास किए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने भी इस संकट पर चिंता व्यक्त की थी। उसी समय सरकार ने ठान लिया था कि सरकार इस संकट की पुनरावृति रोकने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी। इस संबंध में विभिन्न कदम उठाए गए जिसके कारण इस वर्ष गर्मियों के दौरान शिमला शहर में इस तरह की कोई समस्या सामने नहीं आई तथा आज शहर में प्रतिदिन 53 एमएलडी पानी उपलब्ध है जो पिछली गर्मियों में 18 एमएलडी प्रतिदिन से कहीं अधिक है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि पानी की पाइपों में लीकेज होने के कारण पहले 9 एमएलडी पानी प्रतिदिन व्यर्थ हो रहा था। सरकार ने चाबा से गुम्मा पानी उठाने का निर्णय लिया जिसके लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध करवाई गई। इस परियोजना को 140 दिनों के रिकॉर्ड समय में पूरा किया गय जिसके कारण तथा शिमला को आज पर्याप्त पानी उपलब्ध हो रहा है। उन्होंने कहा कि गिरी जल आपूर्ति योजना के लिए 90 करोड़ रुपये दिए गए है। शिमला के लिए विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित 986 करोड़ रुपये की योजना शहर में आने वाले 50 वर्षों तक जल संकट का समाधान करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्षा जल के संग्रहण के लिए सभी को आगे आना चाहिए, जिससे वर्षा का जल व्यर्थ न हो। इससे न केवल भू-जल के स्तर में सुधार होगा व लोगों को पर्याप्त पेयजल प्राप्त होगा बल्कि भविष्य में भावी पीढ़ी को भी जल की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर जल संग्रहण के क्षेत्र में प्रशंसनीय कार्य करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों और संगठनों को एप्रिसिएशन पुरस्कारों से नवाजा।
उन्होंने सिंचाई एंव जन स्वास्थ्य विभाग के अभियन्ताओं वीरेन्द्र ठाकुर, दिनेश, रनजीत, मनोज और अजय गुलेरिया चाबा-गुम्मा योजना को निर्धारित समय पर पूरा करने के लिए पुरस्कृत किया। उन्होंने पानी के रिसाव को रोकने के प्रयासों के लिए कनिष्ट अभियन्ताओं, 11 की-मेन और फीटर को भी पुरस्कृत किया और ‘जल शक्ति समूह’ शिमला जल प्रबन्धन निगम लिमेटिड को पानी के रिसाव के सम्बन्ध में जानकारी देने के लिए पुरस्कृत किया।
मुख्यमंत्री ने शिमला शहर के 8 जल सखी समूहों को भी पुरस्कृत किया।
उन्होंने शिमला नगर निगम की महापौर कुसुम सदरेट, सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य के इंजीनियर-इन -चीफ नवीन पूरी, शिमला के उपायुक्त अमित कश्यप, शिमला जल प्रबन्धन निगम लिमेटिड के प्रबन्ध निदेशक गिल को शिमला शहर के जल संकट से उबरने में उनके सहयोग के लिए सम्मानित किया इस अवसर पर लोक सम्पर्क विभाग और शिमला जल प्रबन्धन निगम लिमेटिड द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित डक्यूमेन्ट्री ‘इफैक्टिव मेनेजमेंट ऑफ वाटर शिमला फॉर शिमला टाउन’ को भी दिखाया गया।
सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री महेन्द्र सिंह ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि शहर के लोगों को गर्मियों के मौसम में पिछले वर्ष के समान जल संकट का सामना न करना पड़े। उन्होंने कहा कि पानी के रिसाव को रोकने तथा अन्य स्त्रोतों से शहर को अतिरिक्त जल उपलब्ध करवाने के लिए आवश्यक कदम उठाए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने दो मंत्रालयों जल संसाधन, नदी विकास और गंगा रिजुविनेशन तथा पेयजल व स्वच्छता मंत्रालय को मिलाकर जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया है। उन्होंने शिमला शहर के लिए जलापूर्ति योजनाओं के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध करवाने के लिए मुख्यमंत्री का धन्यवाद किया।
शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि शिमला शहर न केवल एक पर्यटन गंतव्य और प्रदेश की राजधानी के रूप में विश्व प्रसिद्ध है, बल्कि देश के निरंतर बढ़ते पर्वतीय शहर के रूप में भी विख्यात है। उन्होंने कहा कि शिमला शहर का विकास अंग्रेजों ने अपने लिए अवकाश स्थल के रूप में किया तथा बाद में उन्होंने इसे ब्रिटिश इण्डिया की ग्रीष्म राजधानी बनाया। उन्होंने कहा कि यहां की जलापूर्ति प्रणाली 35000 की जनसंख्या के लिए विकसित किया गया था। अब शिमला शहर की आबादी लगभग 10 गुणा बढ़ गई है। इसके बावजूद शिमला शहर में नियमित पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित बनाने के लिए मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है।

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