स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पांवटा साहिब में चमचे को कर दिया गया सम्मानित , असली समाज सेवक हुए अपमानित

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पांवटा साहिब में आयोजित कार्यक्रम व सम्मान समारोह के दौरान लोगो को समाज सेवा में उनके सक्रिय योगदान के लिए सम्मानित किया गया।स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पांवटा साहिब में आज आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में फर्जी अवार्ड बाटे जाने का मामला सामने आया है कुछ ऐसे लोगों को भी सम्मान बांट दिए गए जो केवल एसडीएम की चमचागिरी में लिप्त हैं यह मामला सोशल मीडिया में खूब उछला

बताया जा रहा है कि संवाद प्रयाग कार्यक्रम के तहत एक ऐसे व्यक्ति को यह अवार्ड दे दिया गया जो अलग अलग जगह  अपनी कार्यप्रणाली दिखाने के लिए आतुर है एक और पत्रकारिता के नाम पर दूसरी ओर समाज सेवा के नाम पर गौरतलब है कि ऐसे अवॉर्ड लंबे समय से किए जा रहे समाज सेवा के लिए दिए जाते हैं परंतु चमचागिरी कर तथा केवल दिखावा कर ऐसे व्यक्ति को  अवार्ड दे दिया गया गया जो चंद दिनों से हि दिखावा कर रहा है वही  ऐसा कर समाज में गलत संदेश पहुंचाया जा रहा है जो लोग लम्बे समय से समाज से  समाज सेवा में जुटे  है उनको पुचा तक नहीं जा रहा है | वही इस सारे मामले में एसडीएम ऑफिस तथा प्रशासन के ऊपर भी उंगली उठ रही है  | बता दें कि प्रत्येक वर्ष स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम के दौरान विशेष क्षेत्रों में सक्रिय योगदान देने वाले लोगों को उपमंडल स्तर पर सम्मानित किया जाता है। इसी श्रृंखला में गुरुवार को एक चमचागिरी करने वाले पत्रकार को भी  सम्मानित किया गया।

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पांवटा प्रशासन द्वारा नशे के खिलाफ मुहिम की बाते कोरी अफवाह है पांवटा साहिब में नशे से हो रही लगातार मौतों के बाद नशे पर लगाम के सरकार और पुलिस प्रशासन के दावे हुए फ़ैल साबित हो रहे है  | जहा एक और  नशा निवारण के लिए अधिकारी केवल मीटिंगों  तक सिमित रह गये है तथा जमीनी स्तर पर नशे को रोकने के नहीं कुछ ठोस कदम नहीं उठाये  जा रहे है | वही प्रशासन के अधिकारी दफ्तरों में बैठकर नशे पर लगाम लगाने कि बाते कर रहे है जभी जमीनी स्तर पर नशे को रोकने के नहीं कुछ ठोस कदम नहीं उठाये  जा रहे है |

राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पांवटा साहिब में कलम नवीसों के हाथों पर काली पट्टी बंधी थी। पत्रकार कार्यक्रम की कवरेज के लिए कलम थमने वाले हाथों में काली पट्टी बांध कर पहुंचे। काली पट्टी बांधने के पीछे कारण स्थानी प्रशासन द्वारा पत्रकारों की अनदेखी है। दरअसल स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में अधिकतर पत्रकारों को प्रशासन की तरफ से निमंत्रण ही नहीं दिया गया था। लिहाजा पत्रकार प्रशासन से खासे नाराज है। हालांकि पत्रकारों ने प्रशासन की अनदेखी और अपनी नाराजगी को अपने दायित्वों के बीच नहीं आने दिया और कार्यक्रम की कवरेज के लिए निर्धारित समय और स्थान पर पहुंच गए थे। लेकिन प्रशासन के प्रति नाराजगी जाहिर करने के लिए नाराज पत्रकारों ने अपने बाजुओं पर काली पट्टी बांध रखी थी। पत्रकारों का आरोप है कि हर साल उन्हें कार्यक्रम में आमंत्रित किया जाता था। पत्रकारों ने प्रशासन के ऐसे रवैया की घोर निंदा की है ।

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रशासन द्वारा उन चंद पत्रकारों को निमंत्रण दिया गया था जो अक्सर एसडीएम कार्यालय में अपनी हाजिरी देने पहुंचते हैं | वही स्थानीय पत्रकारों का आरोप है कि कुछ चमचागिरी करने वाले पत्रकार जो कि अपने निजी काम करवाने तथा एसडीएम ऑफिस से  फोन करवा कर विज्ञापन इकट्ठे करने में लगे रहते हैं तथा एसडीएम के पिच्ग्लू बने हुए हैं तथा सारा दिन वही बैठ कर चाय पानी पीते रहते हैं ऐसे पत्रकार जो कि अपने गांव पंचायतों में एसडीएम को घुमाते रहते हैं तथा निजी स्वार्थ हित साधने हेतु चमचागिरी में व्यस्त हैं उन्हें चंद  पत्रकारों को बुलाकर बाकी पत्रकारों का अपमान किया जो कि सहन नहीं किया जाएगा |स्थानी पत्रकारों का कहना है चंद पांचवी सातवीं फेल पत्रकार एस डी एम की चमचागिरी कर बाकी पत्रकारों के खिलाफ भी साजिश रच रहे हैं |

छोटे नशे तस्करों को गिरफ्तार कर अधिकारी केवल खानापूर्ति कर रहे है जबकि जहा से नशे कि बड़ी खेप सप्लाई हो रही है उन बड़ी मछलियों को पकड़ने में पांवटा साहिब पुलिस  असफल साबित हो रही है | नशे के कैप्सूल , स्मेक , गोलिया ,इंजेक्शन , आदि शहर में बिक रहे है | कई महंगे नशे होने के कारण युवा पीढ़ी इस नशे कि दलदल में फस तो जाती है परन्तु निकल नहीं पाती  कुछ युवा  नशा न मिलने के कारण  मौत का रास्ता चुन लेते है कुछ कुछ नशा छोड नहीं सकने के कारण तो कुछ ओवर डोस के कारण |

लेकिन इन मौतों  से पांवटा साहिब पुलिस  के उन दावो की पोल खुल गयी है जिसमे  नशा कारोबारियों पर लगाम लगाने के दावे किये जा रहे थे |  परन्तु नशे से मौतों  के बाद पांवटा साहिब पुलिस पर भी सवाल उठ रहे है की शहर में इतना नशा बेचा जा रह है तो पुलिस कड़ी कारेवाही क्यों नहीं कर रही | सवाल ये उठता है कि इस मौत के लिए आखिरकार जिम्मेवार कौन पुलिस प्रशासन सरकार या समाज जा परिवार  | वही पुलिस द्वारा नशे को रोकने के दावे भी फ़ैल हो गये है |

वही यह भी सवाल उठता है कि जहा सरकार व मुख्यमंत्री जय राम  ठाकुर प्रदेश में नशा मुक्ति की बड़ी बड़ी बाते कर रहे है परन्तु धरातल पर सब धराशायी है | सात राज्यों में मुख्यमंत्री व अधिकारी भी निपटने के लिए रणनीति बनाने पर विचार कर रहे है | हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, राजस्थान के मुख्यमंत्रियों तथा केन्द्र शासित क्षेत्र चण्डीगढ़ के प्रशासक के साथ मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर नशे पर लगाम लगाने कि रणनीति बना रहे है मादक पदार्थों की तस्करी से संबंधित सूचना के आदान-प्रदान के लिए एक प्रभावी प्रणाली का निर्माण कर  नशा तस्करी में संलिप्त अपराधियों को पकड़ने कि बात कर रहे है ।  परन्तु हिमाचल प्रदेश में नशे से मौतों में वृद्धि हो रही है

वही सवाल यह भी उठता है कि क्या नशे की लत लगा चुके युवको को सही  राह पर लाने का कोई कारागार उपाय क्यों नहीं किये जाते | निजी नशा मुक्ति केंद्र 3 महीने के ही 40000  रुपए मांग लेते है व गरीब परिवार इतनी फीस देने में असमर्थ होता है | ऐसे में सरकार को नशा मुक्ति केंद्र खोलने की और सोचना  होगा |पुलिस में मामले में जाँच शुरू करदी है । पांवटा साहिब में पिछले समय से नशे से मौते हो रही है

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