सिविल अस्पताल में एक गरीब महिला अपने चार बच्चों के साथ डेढ़ महीने से इलाज के लिए चक्कर काट रही है। उसका कहना है कि वह टीबी की मरीज है और उसका इलाज नहीं किया जा रहा है।
पांवटा सिविल अस्पताल में एक बार फिर डॉक्टरों की लापरवाही और कमीशन खोरी का मामला सामने आ रहा है। 36 वर्षीय सरिता (बदला नाम) बेहद गरीब तबके की महिला है जिसके पास चार छोटे-छोटे बच्चे हैं और पति भी नहीं है। उसका कहना है कि वह 2 फरवरी 2025 से डॉक्टरों के चक्कर काट रही है और उसकी तबीयत लगातार बिगड़ रही है। जल्द से जल्द इलाज शुरू नहीं किया तो बच्चे यतीम हो जाएंगे । वहीं दूसरी और डेढ़ महीने बाद भी डाक्टर्स इलाज शुरू नहीं कर पाए हैं। रविवार को किसी तरह अशोक टाइम्स वेब पोर्टल के ऑफिस यह महिला पहुंची और अपनी आप बीती सुनाई।
सरिता ने बताया उसको पहले भी टीबी हुई थी और उन्होंने उसकी दवा भी खाई थी। इस बार फिर कई टेस्ट के बाद उसे टीबी पाया जा रहा है बावजूद इसके उनका इलाज शुरू करने के बजाए डॉक्टर मैहंगे टेस्ट लिख रहे हैं जिसके लिए उसके पास पैसे नहीं है। सरिता इस बात से भी डरी हुई है कहीं उसके छोटे-छोटे बच्चे भी इस गंभीर बीमारी की चपेट में ना आ जाए।
पांवटा सिविल अस्पताल में टीवी डायग्नोज करने के लिए लगभग सभी सुविधाएं मौजूद हैं। लगभग 50 लाख रुपए की लागत से अत्यधूनिक मशीनें लगाई गई है। सरकार द्वारा टीबी मरीजों के लिए सभी सुविधाएं दी गई है। बावजूद इसके डेढ़ महीने बाद भी टीबी डायग्नोज नहीं हो पाई।
बता दें कि 2 फरवरी 2025 को सिविल अस्पताल के डॉक्टर के पास सरिता इलाज के लिए पहुंची थी, उसके बाद 17 फरवरी को अस्पताल इलाज के लिए फिर गई। उसके बाद 3 मार्च को फिर इलाज के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर के पास पहुंची लेकिन इलाज फिर भी शुरू नहीं हो पाया। लगभग डेढ़ महीने बाद 10 मार्च 2025 को सरिता एक बार फिर पांवटा सिविल अस्पताल इलाज के लिए पहुंची क्योंकि उसकी हालत इस वक्त काफी गंभीर हो चली थी। सरिता ने बताया कि सांस लेना मुश्किल हो रहा था साथ में लगातार बुखार भी बढ़ रहा था और वजन भी कम हो रहा है यह सभी साइन टीवी के होते हैं। इसके अलावा चार बच्चों का दायित्व उसे और कमजोर कर रहा था। सरिता ने बताया कि सोमवार को भी डॉक्टर अतुल शर्मा ने उन्हें बताया कि ₹4000 का सीटी स्कैन और प्राइवेट इंस्टीट्यूट डॉक्टर अभिषेक गुप्ता के यहां अल्ट्रासाउंड करवाना होगा । उसके बाद ही वह कुछ बता पाएंगे । बीमार महिला किसी से उधार पैसे लेकर बाइपास पर अभिषेक अल्ट्रासाउंड से रिपोर्ट लेकर अस्पताल पहुंची । डॉ अरुण के केबिन के बाहर एक घंटा इंतजार के बाद किसी ने बताया कि लंच टाइम के बाद डाक्टर अरूण ड्युटी पर नहीं आएंगे। जिसके बाद बीमार महिला फिर बिना इलाज के अपने घर वापस चली आई। बताया जा रहा है कि अस्पताल से भूखी प्यासी बिना इलाज के घर लौटी महिला बेहोश हो गई शाम के वक्त संजय यादव उक्त महिला के पड़ोसी उसे अस्पताल लेकर आए।
नाम न छापने की शर्त पर सिविल अस्पताल के डॉक्टरों ने ही बताया कि टीबी उन्मूलन के लिए सिविल अस्पताल में सीटी स्कैन मुफ्त में करवाया जा सकता है । जिस से किसी भी तरह के टीबी की पुख्ता जानकारी कुछ घंटे में ही मिल सकती है। इस मामले में डॉक्टर्स ने ऐसा क्यों नहीं किया यह जांच का विषय है।
जिला टीबी उन्मूलन अधिकारी डाक्टर निसार अहमद से संपर्क किया गया। लेकिन वह भी शिमला में टीबी उन्मूलन के लिए एक ट्रेनिंग का हिस्सा बने हुए थे। उन्होंने बताया कि टीबी को लेकर सरकार की ओर से सभी टेस्ट और दवाएं मुफ्त दी जाती है और टीवी जैसी गंभीर बीमारी को डायग्नोज करने के लिए डेढ़ माह काफी अधिक समय है इस मामले में वह डॉक्टर से बात करेंगे। बताया जा रहा है कि जिला टीबी उन्मूलन अधिकारी डाक्टर निसार अहमद जमीन स्तर पर कार्य करने में असफल साबित हो रहे हैं
दरअसल पांवटा साहिब सिविल अस्पताल में टीबी के मरीजों के लिए एक अलग पूरा डिपार्मेंट बनाया गया है, जिसमें डॉक्टर अंकुर धीमान को हेड ऑफ द डिपार्टमेंट रखा गया है। यह जांच का विषय है कि आखिर एक महिला जो खुद को टीबी का मरीज बता रही है वह डेढ़ महीने से अस्पताल के चक्कर क्यों काट रही है।
एक और जहां केंद्र सरकार अब रुपए टीबी उन्मूलन के लिए अरबों रुपए खर्च कर रही है तो वहीं दूसरी ओर डॉक्टरों की लापरवाही मरीजों पर भारी पड़ रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार उप मंडल पांवटा साहिब में टीबी के मरीजों की संख्या कम नहीं हो रही है। वही मीडिया द्वारा मुद्दा उठाने के बाद महिला को अस्पताल में एडमिट कर लिया गया है