Himachal: मां ने बेटे को दिया नया जीवन, पहले पैदल चलकर घटाया वजन- फिर डोनेट की किडनी

Khabron wala 

मां का प्यार वह दीपक है, जो अंधेरे में भी राह दिखा देता है, अपनी सांसें देकर भी, संतान की धड़कन बचा देता है। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में मंगलवार का दिन मातृत्व, साहस और त्याग की मिसाल बन गया।

मां ने बेटे को दिया नया जीवन

टांडा अस्पताल में 20 वर्षीय आदित्य की जिंदगी को उसकी मां पूजा शर्मा ने खुद की परवाह किए बिना बचा लिया। यह घटना न केवल एक सफल किडनी ट्रांसप्लांट की कहानी है, बल्कि मां के उस अटूट प्रेम की मिसाल भी है, जो हर मुश्किल से लड़ने की ताकत देता है।

ज्वालामुखी के चौकाठ गांव के रहने वाले आदित्य की जिंदगी लगभग एक साल पहले अचानक बदल गई, जब जांच में सामने आया कि उसकी दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं। डॉक्टरों ने स्थिति गंभीर बताते हुए किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी।

यह सुनते ही आदित्य की मां पूजा शर्मा ने बिना एक पल गंवाए कहा – “मैं अपने बेटे को किडनी दूंगी”। नेफ्रोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. अभिनव राणा भी उस समय मां के इस संकल्प से प्रभावित हुए, क्योंकि उन्होंने पूछा भी नहीं था और मां पहले ही जवाब दे चुकी थी।

टेस्ट में पता चला कि पूजा की किडनी बेटे के साथ पूरी तरह मैच कर रही है, लेकिन एक बड़ी चुनौती सामने आई- उनका वजन। उस समय उनका वजन 75 किलो था, और डॉक्टरों को डर था कि ज्यादा वजन ऑपरेशन में परेशानी पैदा कर सकता है।

बेटे की जान बचाने के लिए पूजा ने खुद को बदलने का संकल्प लिया। वे रोज सुबह 3:30 बजे उठकर पैदल चौकाठ से तीन किलोमीटर दूर नादौन जातीं और वापस आतीं। जिम में कड़ी मेहनत की, डंबल्स उठाए, डायटिंग की और डॉक्टरों की हर सलाह का पालन किया। एक साल की मेहनत के बाद उनका वजन 68 किलो हो गया, और ऑपरेशन के लिए रास्ता साफ हो गया।

मंगलवार को टांडा मेडिकल कॉलेज में नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अभिनव राणा और किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. अमित शर्मा की अगुवाई में 14वां सफल किडनी ट्रांसप्लांट किया गया। पूजा शर्मा ने अपनी किडनी बेटे को देकर उसे नई जिंदगी दी। फिलहाल मां-बेटा दोनों सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के ICU में डॉक्टरों की निगरानी में हैं और उनकी हालत स्थिर है।

टीम की मेहनत

इस सफल सर्जरी में डॉ. आशीष शर्मा, डॉ. संजीव चौहान, डॉ. दिव्यम कौशल, ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर नीरज जम्वाल, कल्पना शर्मा, दिव्यांशी शर्मा, एनेस्थीसिया विभाग, ओटी स्टाफ और नर्सिंग टीम का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

उसी दिन एक और ऐतिहासिक घटना घटी। शाहपुर के बंडी गांव के जगमोहन का भी किडनी ट्रांसप्लांट हुआ। खास बात यह रही कि यह उनका दूसरा किडनी ट्रांसप्लांट था। 12 साल पहले उन्हें मैक्स अस्पताल में पहली बार किडनी उनकी मां ने दी थी, और इस बार उनकी पत्नी ने जीवनदान दिया। डॉक्टरों के अनुसार यह पहला मामला है जब टांडा मेडिकल कॉलेज में किसी व्यक्ति का दूसरा किडनी ट्रांसप्लांट हुआ।

गांव में खुशी और गर्व का माहौल

आदित्य की सफलता की खबर जैसे ही चौकाठ गांव पहुंची, लोग खुशी से झूम उठे। सभी ने पूजा शर्मा को “मां की मूरत” और “जिंदा देवी” कहकर सम्मानित किया। गांव के बुजुर्ग कहते हैं “यह सिर्फ ऑपरेशन नहीं, बल्कि एक मां के त्याग की अमर कहानी है।”

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